आज यानी 31 दिसंबर, साल 2024 का अंतिम दिन है। और आज हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जो किसी न किसी बात को लेकर खूब चर्चा में रहे। या जिन्होंने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी वजह से उनकी चर्चा होने लगी।
आज हम एक ऐसे ही चर्चित नेता की बात करने जा रहे हैं जिन्हें महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है।
हम बात कर रहे हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की जिन्होंने न केवल अपनी मेहनत, निष्ठा और ईमानदारी से पार्टी को यहां तक पहुंचाया बल्कि खुद ने भी एक बेहतरीन मिसाल पेश की।
क्योंकि एक वक्त ऐसा भी आया था जब इनका टिकट काट दिया गया था। लेकिन बावनकुले ने इस बात का विरोध नहीं किया बल्कि पार्टी के लिए खूब प्रचार किया। इसी को देखते हुए बावनकुले को महाराष्ट्र भाजपा की कमान भी मिली।
ऐसे नेताओं को चंद्रशेखर बावनकुले से सीख लेने की जरूरत है जो टिकट कटने पर पार्टी छोड़ देते हैं या पार्टी के खिलाफ खड़े हो जाते हैं। लेकिन चंद्रशेखर बावनकुले ने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने साबित किया कि वे भाजपा के प्रति कितने निष्ठावान नेता हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया कि कितनी भी विपरीत परिस्थिति आ जाएं ऐसे में गलत निर्णय से बचना चाहिए और पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पार्टी के साथ खड़े रहना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 (Maharashtra Assembly Election 2024) में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत हुई। लेकिन इस जीत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) की क्या भूमिका रही होगी? इस पर कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता है।
आपको बता दें कि बीजेपी की जीत का श्रेय न केवल सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और उनकी कुशल रणनीति को जाता है, बल्कि इस जीत की कहानी में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का अहम योगदान भी शामिल है। महाराष्ट्र के चाणक्य ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद तो शायद विपक्ष को भी नहीं रही होगी।
ओबीसी वर्ग से आने वाले बावनकुले ने न केवल अपनी नेतृत्व क्षमता से कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया, बल्कि पांच सूत्रीय रणनीति के साथ जमीनी स्तर पर चुनावी खेल को बदल दिया।
देवेंद्र फडणवीस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले चंद्रशेखर बावनकुले ने पार्टी के प्रचार प्रसार में रात दिन एक कर दिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया। वे जहां जहां गए वहां वहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह देखते ही बना।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ने पूरे चुनाव अभियान को एक सूत्र में पिरो दिया। यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आह्वान था जिसने हिंदुत्व और बीजेपी के समर्थकों को एकजुट किया।
बता दें कि चंद्रशेखर बावनकुले ने 2019 में टिकट न मिलने के बावजूद पार्टी से अपनी निष्ठा बनाए रखी। 2023 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोड़ने के लिए राज्यभर में अनगिनत यात्राएं कीं। ट्रेन से सफर, हज़ारों कार्यकर्ताओं से मुलाकात, और लगातार बैठकों के माध्यम से उन्होंने एक नई ऊर्जा भरी। बावनकुले ने अमित शाह, जेपी नड्डा और देवेंद्र फडणवीस के साथ तालमेल बिठाकर एक ऐसी रणनीति तैयार की, जिसने 100 से अधिक सीटों पर बीजेपी को निर्णायक बढ़त दिलाई।
बावनकुले ने हर कार्यकर्ता को यह लक्ष्य दिया कि वे अपने क्षेत्र में बीजेपी के वोट प्रतिशत को दोगुना करें। इन छोटे लेकिन प्रभावशाली कदमों ने 120 से अधिक विधानसभा सीटों पर जीत सुनिश्चित की।
महायुति सरकार की ढाई साल की उपलब्धियों को जनता के बीच बीजेपी की पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया। फसल बीमा, कर्ज माफी, और लड़कियों के लिए योजनाओं को बीजेपी के ब्रांड के तहत प्रचारित किया गया। बावनकुले ने सुनिश्चित किया कि यह संदेश हर मतदाता तक पहुँचे।
बावनकुले संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं को एक साझा मंच पर लाए। यह तालमेल चुनावों में जमीनी स्तर पर निर्णायक साबित हुआ।
ओबीसी नेता होने के साथ-साथ चंद्रशेखर बावनकुले ने अपनी व्यक्तिगत मेहनत और समर्पण से महाराष्ट्र में बीजेपी को नई पहचान दी। उनकी रणनीति, संगठन क्षमता, और जमीनी जुड़ाव ने पार्टी को हर वर्ग की समर्थन दिलाया। बावनकुले की यह भूमिका उन्हें महाराष्ट्र बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बनाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व, गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति, देवेंद्र फडणवीस का अथक प्रयास और चंद्रशेखर बावनकुले जैसे नेताओं की मेहनत ने महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को ऐतिहासिक बना दिया। यह सफलता 2029 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी की संभावनाओं को और मज़बूती देगी।
रिपोर्ट : मनीष कुमार अंकुर (एसोसिएट एडिटर, खबर 24 एक्सप्रेस)