
पूरी दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती रोटी कपड़ा और मकान रही है। लेकिन इसे पूरा करने के लिए सरकारें क्या कदम उठाती है इस पर आज सबसे बड़ा सवालिया निशान है।
इसी को लेकर भारत के बड़े समाजसेवी और पेशे से डॉक्टर स्वतंत्र जैन ने PIL लगाई है।
डॉ स्वतंत्र जैन काफी वक्त से अकेले ही इस लड़ाई को लड़ रहे थे लेकिन अब वे इस लड़ाई को दूर तक ले जाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, रोटी पर उसका भी उतना ही अधिकार है जितना कि एक अरबपति उद्योगपति का…. डॉ स्वतंत्र जैन कहते हैं पृथ्वी पर किसी का एकाधिकार नहीं है इस पर अधिकार सभी का है, चाहे वो इंसान हो या पशु, पक्षी इत्यादि।
यह पृथ्वी प्रकृति की है और हम सब इस प्रकृति की देन हैं। और इस प्रकृति ने इतना खजाना दिया है कि इस धरती का कोई भी इंसान, पशु, पक्षी… जो भी इस संसार में हैं वे भूखें नहीं सो सकते हैं। लेकिन फिर भी दुनियाभर में लोग भूख से तड़पकर मर जाते हैं। ऐसा क्यों है?
जब प्रकृति ने हम सबके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई है फिर लोग भूख से क्यों मर रहे हैं। आखिर लोगों के हक को कौन मार रहा है?
इसी को जानने के लिए डॉ स्वतंत्र जैन PIL लगाने जा रहे हैं।
बता दें कि डॉ जैन ने change.org पर एक पिटिशन भी फाइल की है जिसमें उन्होंने सब कुछ लिखा है।

आप भी जाकर पिटिशन साइन कर सकते हैं।
अगर डॉ स्वतंत्र जैन की बात आपको पसंद आती है या पिटिशन में कही बातें सत्य हैं तो हम आपसे आग्रह करेंगे कि आप सब भी उनका साथ दें और दुनिया को हंगर फ्री बनाने में उनका सहयोग करें।
बता दें कि डॉ स्वतंत्र जैन ने Change.org पर जो पिटिशन साइन की है उसमें उन्होंने हंगर फ्री वर्ल्ड को लेकर बहुत कुछ लिखा है। वो हम यहां साझा कर रहे हैं जिसे क्लिक करके आप भी उनकी इस नेक मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं और आप भी पुण्य कमा सकते हैं।

डॉ स्वतंत्र जैन लिखते हैं “हमारा ग्रह, भव्य धरती माता, हमारी साझी विरासत है। यह हमें संसाधनों की अविश्वसनीय संपदा प्रदान करता है, जिसका मूल्य मानवीय क्रियाकलापों से हुई क्षति को ध्यान में रखते हुए भी लगभग 33,000 ट्रिलियन डॉलर है। प्रति व्यक्ति, यह पृथ्वी की प्राकृतिक संरचना में हमारे व्यक्तिगत हिस्से के बराबर है, जो लगभग 4.1 मिलियन डॉलर है। फिर भी, इस धन का न तो समान वितरण किया जाता है और न ही जिम्मेदारी से इसका उपयोग किया जाता है।
आज, हम स्वयं को ऐसे परिदृश्य में पाते हैं, जहां पृथ्वी के संसाधनों का अत्यधिक और बेरोकटोक दोहन कर रहे हैं। साथ ही विरासत में मिली इस संपदा को तेजी से और खतरनाक तरीके से नष्ट कर रहे हैं। प्रमुख निगम इन संसाधनों का दोहन इस बात की परवाह किए बिना करते हैं कि इससे न केवल हमारे पर्यावरण को बल्कि अंततः हमारी सामूहिक सम्पदा को भी नुकसान पहुंचता है। इसमें तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है।
इस याचिका में अत्यधिक शोषणकारी प्रथाओं पर लक्षित वैश्विक विरासत के कार्यान्वयन का प्रस्ताव किया गया है। कर से प्राप्त राजस्व को हमारे विश्व की सबसे कमजोर आबादी के बीच संसाधन वितरण के लिए पुनर्निर्देशित किया जाएगा, जिससे पौष्टिक भोजन, पर्याप्त आश्रय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वच्छ, स्वस्थ पर्यावरण तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित होगी। इससे न केवल संतुलन बहाल होगा बल्कि सभी के लिए एक टिकाऊ भविष्य भी सुनिश्चित होगा।
हमारा ग्रह और अधिक क्षरण बर्दाश्त नहीं कर सकता। अब समय आ गया है कि हम जिम्मेदार उत्तराधिकारी की भूमिका निभाएं। इस याचिका का समर्थन करके, आप ग्रहीय न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहे हैं तथा इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि पृथ्वी के संसाधनों के अत्यधिक दोहन की उचित कीमत चुकानी चाहिए। कृपया आज ही हस्ताक्षर करें, और हमारे सामूहिक भविष्य के लिए वैश्विक विरासत कर को विश्व स्तर पर लागू करने में हमारी सहायता करें।
