
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ चुका है। अभी हाल ही में हरियाणा चुनाव से पहले भी राम रहीम जेल से बाहर आया था।
कमाल की बात तो यह है कि राम रहीम को आसानी से पैरोल भी मिल जाती है।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा का मुखी राम रहीम साढ़े 7 साल बाद सिरसा डेरे में पहुंच गया है। 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग से करीब एक हफ्ते पहले उसे 30 दिन की पैरोल मिली। सजा के बाद वह पहली बार सिरसा डेरा पहुंचा है।
सूत्रों की मानें तो राम रहीम 6 फरवरी तक सिरसा में रहेगा और इसके बाद वह उत्तरप्रदेश के बागपत आश्रम में चला जाएगा।
रोहतक की सुनारिया जेल से राम रहीम को लेने हनीप्रीत 2 गाड़ियां लेकर आई थी। राम रहीम शाह सतनाम जी धाम के अंदर बने ‘तेरा वास’ में ठहरा है।
सिरसा पुलिस ने डेरे के सभी गेटों पर 200 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए हैं। डेरे को जाते रास्ते पर भी 10 नाके लगाए गए हैं। जिस गेट से राम रहीम की एंट्री हुई, वहां SHO को पुलिस टीम के साथ तैनात किया गया है। इस गेट से किसी को अंदर जाने की परमिशन नहीं है।

यहां वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी बैन की गई है। डेरा प्रेमियों को भी यहां आने से रोका जा रहा है। रास्ते से ही पुलिस उन्हें वापस लौटा रही है। खुद राम रहीम ने भी सिरसा पहुंचने के बाद वीडियो जारी कर कहा था कि कोई यहां न आए।
राज्य में भी जल्द ही निकाय चुनाव होने वाले हैं। इसमें 8 नगर निगमों समेत 32 नगर परिषदों और पालिकाओं में चुनाव होने हैं। इसके लिए फरवरी में घोषणा हो सकती है। इससे भी राम रहीम की पैरोल की टाइमिंग को जोड़ा जा रहा है।
इससे पहले भी विधानसभा चुनाव के बीच सितंबर 2024 में राम रहीम ने सरकार से 20 दिन की इमरजेंसी पैरोल मांगी थी। तब मामला चुनाव आयोग तक भी पहुंचा लेकिन राम रहीम को वोटिंग से एक हफ्ते पहले 1 अक्टूबर को पैरोल मिल गई थी।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा में जल्द ही निकाय चुनाव होने वाले हैं। इसमें 8 नगर निगमों समेत 32 नगर परिषदों और पालिकाओं में चुनाव होने हैं। इसके लिए फरवरी में घोषणा हो सकती है। इससे भी राम रहीम की पैरोल की टाइमिंग को जोड़ा जा रहा है।
इससे पहले भी विधानसभा चुनाव के बीच सितंबर 2024 में राम रहीम ने सरकार से 20 दिन की इमरजेंसी पैरोल मांगी थी। तब मामला चुनाव आयोग तक भी पहुंचा लेकिन राम रहीम को वोटिंग से एक हफ्ते पहले 1 अक्टूबर को पैरोल मिल गई थी।
खैर मजे की बात तो देखिए… गुरमीत राम रहीम को मंगलवार 28 जनवरी को 12वीं बार पैरोल दी गई, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव और हरियाणा नगर निगम चुनाव के साथ संयोग से मैच कर गया है। ऐसा लगता है कि हर चुनाव के साथ इस अपराधी के लिए जेल के दरवाजे खोल दिये जाते हैं। जब जब हरियाणा या उससे लगते प्रदेशों में चुनाव होते हैं तब-तब राम रहीम को जेल से बाहर छोड़ दिया जाता है।
लेकिन भारत की जनता को पता होना चाहिए कि गुरमीत गुरमीत राम रहीम को 2017 में अदालत से दो मामलों में 20-20 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन तब से अब तक 270 दिन यह पैरोल लेकर जेल से बाहर ही रहा। सवाल यह उठता है कि इस तरह के ‘अति विशिष्ट’ अपराधी को बार-बार पैरोल पर छोड़ने का झंझट ही क्यों हो? वैसे भी कोर्ट कचहरियों में मुकदमों की संख्या बहुत है। जेलों में कैदियों की भी संख्या भी कम नहीं है।
जैसे ही चुनाव हों इस अपराधी को एक महीने के लिए जेल से रिहा कर देना चाहिए, क्यों बेमतलब कोर्ट कचहरी का चक्कर, औपचारिकता का मतलब ही क्या रह जाता है। जब कभी भी हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, यूपी में किसी भी तरह के चुनाव हों या फिर लोकसभा इलेक्शन हो इस शातिर अपराधी को एक महीने पहले ही बिना कोर्ट कचहरी के जेल से बाहर जाने की अनुमति दे देनी चाहिए।
सरकारें भी तो राम रहीम के चरणों में नतमस्तक रहती हैं। चुनाव से पहले आशीर्वाद भी तो जरूरी है।