क्या वर्तमान समय युग में पूर्व प्रचलित इन शंकराचार्यों के 12 ओर सहयोगी अखाड़ों ओर कुंभ स्नान आदि की के वर्चस्व की भांति, अन्य अलगाव किए गए, शेष प्राचीन, नवीन सनातनियों धर्म विचारकों का भी एक भिन्न विशेष मुहूर्त पर धार्मिक स्नान आदि के महामेले के आयोजन की विशेष आवश्यकता है??
अनेक भक्तों के प्रश्न आएं, कि स्वामी जी, ये कुंभ में मुख्य चार ओर 12 साल में आने वाला महाकुंभ उत्सव में बहुत सी भारतीय हिंदुत्व की प्राचीन ज्ञान तर्क विचारधारा ओर युगपरिवर्तन के साथ नवीन विचारक उनके अनेक विख्यात विचारकों का कोई इस मेले में विशेष स्थान नहीं मान्य है, बस इन शंकराचार्यों और इनके सहयोगी धर्म संगठनों का ही यहां वर्चस्व बना रहता है, इनके ही प्रचारित नियम मान्य कानूनी तौर पर मान्य रहते है, चाहे कोई कितना ही विशेष धर्म विचारक आदि हो, इसके लिए कोई नवीन धार्मिक ओर वैचारिक नियमावली रखते क्या समाज में व्यवस्था होनी चाहिए??
इस विषय में सत्यास्मि मिशन की सनातनी नवीन धर्म विस्तारक विचारधारा के स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी इस प्रश्नों के उत्तर में इस विषय पर संक्षिप्त में कहते हैं, कि…
कुंभ मेले की तरह अन्य सभी धर्माचार्यों को भी एक जुट होकर कोई शुभ मुहूर्त का उपयोग कर अपने अपने अनुयाइयों के साथ गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों पर अपने सत्संग करना चाहिए।
क्योंकि कुंभ मेले में तो इन शंकराचार्यों के 12 अखाड़ों का वर्चस्व रहता है, उन्हीं के नियम चलते ओर मान्य है, जिनमें अन्य इनसे भी प्राचीन संप्रदायों ओर नवीन सम्प्रदायों के धर्मगुरुओं का कोई मान्य स्थान ओर स्नान आदि का महत्व नहीं रहता है, ऐसी अनेक संगठनात्मक बातें विचारणीय है, जिन्हें सभी इन शंकराचार्यों से भिन्न प्राचीन सनातन विचारधारा के महान विचारकों के बनाए गए सम्प्रदायों या अखाड़ों ओर नवीन धर्मगुरुओं के सम्प्रदायों के अपने अपने विचारधाराओं के प्रचार प्रसार सहित ज्ञान धाराओं का उच्चतम विकास प्रसार किया जा सके,ताकि अन्य सनातनियों जनसाधारण भक्तजन भी अपने रुचि अनुसार धर्म ज्ञान को अपना सके।
इस विषय में अवश्य कार्यवाही के साथ ओर भी विस्तारित ज्ञान विकास की आवश्यकता है साथ ही अवश्य भविष्य में लागू की जाएगी।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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