इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से होम्योपैथी की रोगनिवारक महान महिमा को अभिव्यक्त कर जनसंदेश देते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि
प्रत्येक साल 10 अप्रैल को जर्मनी के प्रसिद्ध चिकित्सक ओर होम्योपैथी पद्धति के संस्थापक सैमुअल हैनीमैन की याद में विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल को ही हुआ था। हमारे देश भारत में भी प्रत्येक साल आयुष मंत्रालय इसके सम्बन्धित एक थीम निर्धारित करता है और देशभर में यह दिवस एक विशेष चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है।इस साल हैनिमैन की 266 वीं जयंती मनाई जाएगी।
होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल पर ज्ञान कविता
जड़ से हो यदि रोग मिटाना
तो चिकित्सा करो होम्योपैथी।
रोग मिटे बढ़े प्रतिरोधक शक्ति
मीठी खा गोली होम्योपैथी।।
डॉक्टर हनीमैन जर्मन में जन्में
ओर खोजी चिकित्सा मिटाने रोग।
रोग की जड़ में जाकर जानो
किस कारण विकृत है रोग।।
वंशानुगत है या वातावरण देन है
या है अतिवादी परिश्रम कारण रोग।
या प्राकृतिक कीटाणु कारण
या अधिक जीवाणु बढ़ बना है रोग।।
ओषधि बनती होम्योपैथ में
पेड़ पौधों का मूल अर्क।
उसकी मात्रा निश्चित करते
रोग देख कर रोगी संग सुतर्क।।
अब होम्योपैथी दो विधि प्रचलित
हर रोग की एक निश्चित दवा।
ये प्राचीन चल रहा तरीका
दूजी एक रोग की अनेक दवा।।
पथ्य अपथ्य परहेज़ सदा रख
नियमबद्ध जीवन रख जीओ।
बात पित्त कफ त्रिप्रकृति जानो
उसी अनुसार भोजन खा पीयो।।
जानो मनुष्य जीवन का अर्थ
जो बहुमूल्य बहुत उपयोगी है।
यही ज्ञान होम्योपैथी विधि देती
सुपाच्यता भोजन बनाये सर्व निरोगी है।।
गलत धारणा फैली इस बारे
की होम्योपैथी चिकित्सा देर दे फल।
बल्कि जल्दी काम शैतान का होता
होम्योपैथी देती स्वस्थ जीवन भरा कल।।
आओ मनाये होम्योपैथी दिवस हम
सही ज्ञान इस चिकित्सा जान।
यदि स्वस्थ सदा रहना हो हमको
अपनाओ होम्योपैथी चिकित्सा ज्ञान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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