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शनिवार को पड़ रही दीपावली क्या ओर कैसे करें भाग्य के देव शनिदेव को प्रसन्न,,बता रहे है,स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

2020 की शुभ दीपावली का पर्व इस बार 14 नवंबर दिन शनिवार को पड़ रहा है। इसी दिन ही नरक चतुर्दशी और दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। शनिवार को बड़ी अमावस्या होने के कारण ही इस दिन को शनैश्चरी अमावस्या का भी योग बना है। ऐसे में आप देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भाग्य के देव्य शनि देव महाराज की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं और उनके दुष्य प्रभाव यानी शनि की ढइया साढ़े साती से बचने के उपाय भी सहजता से कर सकते हैं। ऐसे में आप पर शनिदेव की महा कृपा पाने के लिए कार्तिक मास की यह अमावस्या बहुत शुभ है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कार्तिक मास की शनैश्चरी अमावस्या को कुछ सरल उपाय करने से ना सिर्फ आपको शनिदोष से मुक्ति मिलेगी बल्कि आपके घर में धनधान्य वैभव प्रसिद्धि भी आएगी।तो जानते हैं उन उपायों के बारे में…

भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार दीपावली के दिन तीन शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें विशेष पूजा अर्चना किया जाना चाहिए। दीपावली के दिन विशेषकर अपने अपने इष्ट ओर गुरु की ओर गणेश और लक्ष्मी की आराधना की जाती है. साथ ही कुबेर की भी आराधना की जाती है।चूंकि शनिवार है तो शनिदेव की अवश्य पूजा करनी चाहिए।

इस वर्ष अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना होने से:-
इस वर्ष अयोध्या में इस बार की दीपावली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है इसके पीछे कारण है कि लगभग 500 साल बाद पहली बार राम जन्मभूमि में विशेष जगमग करती दीपावली मनाई जाएगी।अयोध्या में ओर पूरे भारत भर के उच्चकोटि के राम भक्त बड़े-बड़े साधक हैं जो अमावस्या के लगते ही अपनी साधना को अयोध्या क्षेत्र में प्रारंभ करते हैं। इस बार दीपावली 14 नवंबर को शनिवार के दिन पड़ रही है।जो आपके भाग्य को विशेष रूप से बढ़ाने वाली है।

भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार दीपावली के तीन शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें सामान्य से लेकर विशेष साधना पूजा अर्चना की जानी चाहिए।दीपावली के दिन विशेषकर अपने अपने इष्ट अपने गुरु और गणेश और लक्ष्मी की ओर कुबेर की आराधना की जाती है।इसके अलावा छोटी दीपावली व बड़ी को सरस्वती जी और विशेषकर महाबली हनुमान जी की भी विशेष सिद्धि कृपा दायक आराधना की जाती है। दिवाली की पूजा के लिए तीन मुख्य लग्न कौन-कौन से हैं और इनका क्या समय है यह मैं यहां बता रहा हूँ,,

1-दीपावली के दिन पूजा के लिए पहला शुभ मुहूर्त मीन लग्न में दोपहर 2 बजकर 6 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट तक बना है। यह मीन लग्न विशेषकर व्यापारियों के लिए है। इस लग्न में व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों में गणेश-लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं।उनकी पुरानी या टूटी मूर्ति के स्थान पर नई मूर्ति की पूजा कर स्थापना कर सकते हैं।

दीप जलाने की शुभ लग्न यानी शुभ समय:-

दीप प्रज्वलन यानी जलाने का शुभ समय या लग्न को प्रदोष लग्न कहते हैं। ये समय दिवाली के दिन शाम के 5:35 बजे से 7:25 तक यह शुभ मुहूर्त है। यह स्थिर लग्न होता है,इस समय जलाया गया दीपक आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति करता है। इसमें आप अपने घर में गणेश-लक्ष्मी ओर शनिदेव की पूजा अर्चना कर सकते हैं।शनिदेव की मूर्ति को छोड़कर पूर्णिमाँ देवी की व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।

रात्रि पूजा का शुभ समय लग्न:-

रात्रि पूजा लग्न यानी समय मन्त्र तंत्र अनुष्ठान के साधकों के लिए होता है, जिसमें आप मंत्र तंत्र यंत्र की विशेष सिद्धि करते हैं,नए मंत्र का जाप कर उसे जाग्रत कर सकते हैं।इस लग्न में पूजा अर्चना की विशेष महत्ता होती है।इस सम्बंधित दिवाली के दिन रात्रि का 11:43 बजे से 1:59 तक विशेष शुभ मुहूर्त है।

चौघड़िया लग्न यानी विशिष्ट साधना का सिद्ध समय:-

दिवाली के दिन इन तीनों मुहूर्त के बीच इन तीनो महूर्तो का यानी प्रातः दोपहर शाम ओर कुछ रात्रि का मिलकर समल्लित समय मिलकर एक बहुत शुभ मुहूर्त बनता या आता है, जिसे ज्योतिष में चौघड़िया शुभ मुहूर्त कहते हैं। वह शाम के 8:56 से रात्रि 10:35 तक रहेगा. इसमें आप कोई भी सामान्य या विशेष पूजा पाठ यज्ञानुष्ठान कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं, मूर्ति स्थापना कर सकते हैं।
शनिवार की साधना पूजा करें:-
इस शनिवार को शनिमंदिर में जाकर सबसे पहले अपने बुरे कर्मो की क्षमा मांगे ओर फिर शनिदेव को सरसों का सवा आठ किलों तेल कुछ चढ़ा कर शेष दान करें।कम से कम सवा पाव काले तिल उड़द लोह कीलें सवा 5 मीटर का काला या सवा 5 मीटर का गेरुवा व चप्पल या सर्दी के कपड़े या चमड़े के जूते ओर एक या 5 या 8 या सामर्थ्यानुसार काले या ऊनी कम्बल दान दक्षिणा के साथ करें।
अयोध्या की दिशा में जलाए दीपक:-
ओर एक दीपक या पांच दीपक अयोध्या की दिशा में श्री राम सीता लक्ष्मण हनुमान ओर राम राज्य यानी हिंदुत्व का विस्तार हो यो,इस दीपावली को अवश्य जलाएं।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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