राष्टीय आयुर्वेद दिवस के विषय मे बताते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी बताते है कि,,
इस वर्ष के ‘आयुर्वेद दिवस’ का आयोजन कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में आयुर्वेद की संभावित भूमिका पर केंद्रित होगा। राष्टीय आयुर्वेदिक दिवस सन् 2016 से प्रति वर्ष धन्वंतरि जयंती के दिन मनाया जा रहा है। ओर इस वर्ष यह दिवस 13 नवंबर 2020 को मनाया जायेगा।
आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य आयुर्वेद और उसके अद्वितीय चिकित्सा उपचार सिद्धांतों की शक्तियों पर समाज का ध्यान केंद्रित करना ओर कराना है। आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करके रोग और संबंधित मृत्यु दर को कम करने की दिशा में काम करना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम,आयुर्वेदिक दवाइयों का जनसाधरण को अल्प मूल्य पर अधिक से अधिक उपलब्ध कराना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में योगदान के लिए आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करने के साथ-साथ समाज में चिकित्सा के लिये आयुर्वेदिक सिद्धांतों को बढ़ावा देना इसके उद्देश्यों में समल्लित है। इस प्रकार, आयुर्वेद दिवस, उत्सव और समारोह से अधिक व्यवसाय और समाज के लिए समर्पण का एक अवसर है।
आयुष मंत्रालय ने 5वें ‘आयुर्वेद दिवस’ को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें वर्तमान विश्व्यापी कोविड़ -19 महामारी से संबंधित चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है और इस संदर्भ में आयुर्वेद रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्माण में कैसे मदद कर सकता है।
इस वर्ष ‘आयुर्वेद दिवस’ पर ‘कोविड-19 महामारी के लिए आयुर्वेद’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य आयुर्वेद प्रणाली की विभिन्न पहलों के माध्यम से कोविड-19 महामारी को कम करने के बारे में वर्चुअल माध्यम से सूचना प्रसार का एक अवसर है। दुनिया भर के लगभग 1.5 लाख प्रतिभागियों के वेबिनार में भाग लेने की उमीद है। आयुष मंत्रालय ने विदेशों में दूतावासों व सामाजिक मिशनों से भी अनुरोध किया है कि वे उपयुक्त गतिविधियों के साथ आयुर्वेद दिवस का आयोजन करें, जिसमें जनता की अधिक से अधिक किसी न किसी रूप में पूरी सहभागिता हो।
ओर साथ ही इस राष्टीय आयुर्वेदिक दिवस स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की कविता है कि,,
आयुर्वेद दो अर्थ बना
आयु जीवन ओर वेद विस्तार।
यो आयुर्वेद है स्वास्थ ज्ञान
जो आयु करें स्वास्थ व्यवहार।।
सनातन धर्म की देन है
आयुर्वेदिक स्वास्थ उपाय।
त्रिप्रकृति दोष मनुष्य
बात पित कफ इस काय।।
इसी चिकित्सा ज्ञान को
प्रकट हुए धन्वंतरि वैद्य।
कार्तिक तेरस दिवस पर
दिए तेरह नियम वेध अवैध।।
किसके संग क्या खान पान
क्या रुचिकर स्वास्थ हविष्य।
कोन मनुष्य जीवन तरे
कोन भोजन हरे बन विष।।
त्रिप्रकृति की काट है
इसी त्रिप्रकृति जगत।
पेड़ पौधे घास पात जड़
पीस खाय लगाय किस सत।।
गो दूध मूत्र व गोबर
देशी शहद ओर गंगा जल।
किस अनुपात उपयोग करें
औषधि बन दे स्वास्थ अचल।।
किस पहर क्या खाएं हम
किस पहर नहीं क्या खाएं।
किस पहर सोना लाभ दे
किस पहर हानि हम पाएं।।
यही नियम हम भूल रहे
कर स्वास्थ का सत्यानाश।
बिन नियम हमारा जीवन आज
यो जीवन रोग भरा हर सांस।।
नियम सदा आवश्यक सब
सभी जन्में नियम के भोग।
नियम ही जीवन के सर्व कर्म
उन्हीं कर्म फल रोग निरोग।।
जो तोड़े नियम जगत
वही दंड पाएं बन रोग।
फिर से नियम अपनाएं जो
वही पुनः स्वस्थ होय बन निरोग।।
यो मनाएं आयुर्वेद दिवस
अपना आयुर्वेदिक ज्ञान।
स्वयं स्वस्थ समाज संग
जय नमन धन्वंतरि भगवान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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