महाराजा रणजीत सिंह के समय सन 1837 लाहौर अब पाकिस्तान मे महाराजा ओर अनेक अंग्रेज डॉक्टरों के निर्देशानुसार उनके सामने एक योगी हरिदास साधु ने लगभग 40 दिनों की भूमिगत समाधि को लगाया था,जब वो भूमि में उतरा तो उसने उनसे कहा कि-कब 40 दिन पुरे हो जाये,तब आप ये गडढे के ऊपर से तख्ता आदि हटाकर मेरी गर्दन के पीछे से रीढ़ की हड्डी तक नीचे तक गाय के घी से कुछ देर हलकी सी मालिस कर देना,बस मेरी ये समाधि खुल जाएगी और मैं उठकर चेतन्य खड़ा हो जाऊंगा।तब उसने उस दिन शौच आदि करके निराहार होकर एक लँगोटी में उस गहरे गड़ढें में सिद्धासन लगाकर बैठा ओर आपनी जीभ जो बड़ी विचित्र प्रकार की थी,जो आगे से काफी अंदर तक दो भागों में बंटी थी,ठीक सांप की जीभ की तरहाँ, उसे अपने गले की ओर ले जाकर आपनी गले के अंदर के भाग में स्थित नाँक के छिदों के स्थान पर तालु चक्र पर लगाया यानी खेचरी मुद्रा लगाकर गहरा सांस लिया और एक दम स्थिर होकर जड़ समाधि में चला गया,अब महाराजा रणजीत सिंह और अंग्रेज डाँक्टरों के आगे ही उसे उस गड़ढें को तख्तों से बंद करके उसपर कोई फसल बोकर व वहाँ सैनिक तैनात करके चले गए,अब 40 दिनों बाद वहाँ महाराजा सहित सब पहुँचे ओर अपनी देखरेख में वो उपजी फ़सल को हटाकर फिर गडढे से तख्ते हटाकर,नीचे देखा तो,हरिदास योगी उसी मुद्रा में बैठे थे,जिस मुद्रा में तब छोडकर गए रहे,अब उन्हें गाय के घी से पीठ पीछे मालिस कर उठाया,तो वे ऐसे उठे जैसे,गहरी नींद से जागे हो,ओर बिना अंग के अकड़े सहज ही उठकर बाहर आ गए,ओर सबने उनकी इस हठयोग समाधि की सिद्धि की प्रशँसा की,तब हरिदास बोले कि,यदि आप मुझे नहीं उठाते,तो मैं अनेक वर्ष या युग तक भी इसी प्रकार जड़ समाधि में सज्ञाशून्य होकर बैठा रहता।
ये है हठयोग की संज्ञाशून्य जड़ समाधि की सिद्ध अवस्था इस सच्चे रहस्य को जानने के लिए मेरे लेख खेचरी मुद्रा रहस्य और दूसरा लेख हठयोग का अर्थ व उसका सिद्धांत क्या है,उसे पढ़े।
हठ योग का अर्थ व उसका सिद्धांत क्या है ओर उसके मुख्य आसन कौन से है,आज के युग मे हठ योग कितना प्रभावी है,क्या इससे सच मे समाधि की प्राप्ति की जा सकती है आदि विषयों पर बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी…
खेचरी मुद्रा का सच्चा रहस्य को बता रहे है,सिद्धबाबा स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी…
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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Jai satya om sidhaye namah