अब तक जितनी भी राममूर्ति जी की दंड लगाने को लेकर बाबा रामदेव से लेकर ओर बहुत सारे कथित व्यायाम पहलवानों की वीडियो देखी होंगी,वे सब की सब बिल्कुल गलत दंड है, इस सब दंडों में बार बार दंड लगाने की रिपीटेशन यानी दोहराना है।जबकि राममूर्ति जी हमारी प्राचीन भारतीय दंड व्यायाम पद्धति पफ़स्सि योग व्यायाम की परंपरा के सर्वश्रेष्ठ महाबली रहें है,न कि ये दंड व्यायाम प्रणाली राममृति जी ने विकसित की थी,बल्कि ये आदिकाल से ही थी।हमारे योगियों ने स्वास्थ्यवर्द्धक व्यायाम प्रणाली की दो धारा विकसित की है-
1-योगासन पद्धति,जो योगियों के ध्यान अभ्यास व समाधि से आयी शारारिक जड़ता को मिटाने ओर अत्याधिक समय तक समाधि में रहने से जो शरीर मे रक्त संचार करने से ओर पेट मे खानपान यानी अन्न आदि की रुकी पाचनतंत्र प्रणाली को फिर से सहजता से चलाने के लिए किए जाने वाले व्यायाम।ओर दूसरे थे,
2-मनुष्य को कैसे कम समय मे अत्यधिक शक्तिशाली बनाने की व्यायाम प्रणाली।यो योगासन अलग हैऔर ये व्यायाम पद्धति बिल्कुल अलग और योगासन से भी अधिक सर्वश्रेष्ठ व्यायाम पद्धति है।इसमें सभी प्रकार के योगासन के लाभ स्वयं ही प्राप्त होते है।
यो इस प्राचीन भारतीय दंड बैठक व्यायाम प्रणाली जिसे पफ़स्सि व्यायाम पद्धति कहा जाता है,जो आज राममूर्ति दंड के नाम से विख्यात होने लगी है,उसमें एक ही दंड लगाने में अधिक से अधिक देर तक टाइम यानी समय बढ़ाना होना होता है।ओर साथ ही साथ अपनी सांस को रोके रखने की क्षमता को बढ़ाना होता है,तब आपको इसी एक व्यायाम से 5 शक्तियों की प्राप्ति होती है-
1-पावर,
2-फोर्स,
3-स्ट्रेंथ,
4-स्टैमिना,
5-एनर्जी।
ओर असाधारण कुम्भक शक्ति की प्राप्ति।
अब जाने कैसे करें सच्ची राममूर्ति दंड…
सबसे पहले अपने शरीर पर अच्छी तरहां से तेल लगाकर मालिश कर ले,फिरअपने दोनों हाथों को जमीन पर जमा ले,ओर अपने दोनों कंधे के समांतर यानी बराबर रखें तथा अपने दोनों पैरों को भी पास पास थोड़ा अंतर रखकर,अब अपने सारे शरीर को एक सीध में कर ले।तब एक गहरा सांस भरें और धीरे धीरे अपनी सीने को जमीन की ओर अपनी बाहों को कोहनी से बहुत ही धीरे धीरे मोड़ते ओर साथ ही दोनों कोहनियों को अपने सीने की ओर लगाकर ही जमीन तक आये,अब कुछ देर यही रुके ओर अब इसी पोजिशन में रहते हुए अपने शरीर को अपने दोनों पंजों से धकेलते हुए अपने सिर की ओर ही आगे को बढ़ना है और अपने दोनों हाथ को भी कोहनी से मोड़े मोड़े ही आगे की ओर शरीर को धकेलो,इस सारी मुद्रा में सारा शरीर पैरों से लेकर सिर तक एक ही सीध में जमीन से कुछ ही ऊपर को रहता हुआ, जरा सा आगे को बढ़ाना है,तब इसी अवस्था मे लगभग सारा शरीर एक सीध में हो जाएगा और आपकी नाक जमीन से कुछ इंच ही ऊपर रह कर लगी सी हो जाएगी और फिर वहीं रुक कर रुकना भी है,ओर अब जितना सम्भव हो रुककर फिर वैसे ही सारा शरीर सीधा रखकर अपने पंजों के बल से अपने शरीर को पीछे खिंचते हुए,ओर साथ ही दोनों हाथों से भी बिना कोहनी ऊपर को उठाये,पीछे को खिसकना है,यहां ऊपर को बिल्कुल भी नहीं उठाना है,ये याद रहे।इस अवस्था मे सारा शरीर सीधा ही रहेगा,इस बात को सारी दंडों को लगाते में ध्यान रखें।अब धीरे धीरे कंधे ओर कूल्हे से सारा शरीर व सीने को हाथों के बल कोहनियों को भी सीधा करते ऊपर की ओर उठते जाए,ओर पहले की ही मुद्रा में आ जाना है।और यही रुके रहना है।न कि अपने कूल्हों की ओर से उठना है,जैसा की आजकल की प्रचलित दंडों में सर्पासन की तरहां कूल्हों को उठाकर बार बार दंड लगायी जाती है,ये यहां बिलकुल भी नहीं करनी है।ये याद रखनी है,यही यहां समझने की विशेष बात और रहस्य है,जो रामूर्ति कि दंड को इन सभी प्रकार की दंड से बिलकुल ही अलग करती है।
अब दूसरी बात है,वो है,की ये एक ही दंड में सीने को जमीन की ओर ले जाने में ही सारा समय धीरे धीरे बढ़ाते जाना है।ओर फिर आगे की ओर बढ़ने इर वहीं रुकने में ओर फिर वहां से वापस लौटने में ही सारा समय लगाना है,यो इन दंडों में बार बार दंड लगाने या दोहराने का बिलकुल भी नियम नहीं है।अव ये ही एक दंड में कम से कम 1 मिनट से समय बढाते हुए 5 मिनट तक समय लगाकर वो एक ही दंड पूरी करनी है।ऐसी ज्यादा से ज्यादा केवल 5 या 10 दंड ही लगानी है,जो एक दंड 5 मिनट में पूरी हुई,यो 10 दंड में 50 मिनट लगेंगे।न कि सो या हजार दंड लगानी है।
अब इस दंड में कौन कौन से अंग कैसे शक्तिशाली बनते है,आओ जाने:-
1-इस दंड में लगातार पूरा शरीर एक सीध में कसे हुए रहने से सारी मांशपेशियां फौलाद की तरहां सख्त ओर मजबूत हो जाती है।जिससे कि सारे शरीर के जितने भी बेंड यानी जोड़ पैर की उंगलियों से लेकर एड़ी, घुटने,जांघ ओर नितम्ब ओर कमर व कंधे ओर गर्दन तक हैं,वे सबके सब पूरी तरहां से मजबूत बन जाते है।
2-पैर के पंजे पर सारा जोर होने से ओर अपने शरीर को आगे और पीछे खींचने से ये अंग पिंडलियों तक बड़ा ही शक्तिशाली बन जाता है।
3-जांघे ओर विशेषकर पेट की मांसपेशियों पर विशेष जोर पड़ता है,वे विशेष ताकतवर बनती है।
4-दोनों हाथ पर लगातार सारे शरीर का वजन एक मिनट से लेकर कई मिनट तक लगे ही रहने से हाथों की अंदर से बाहर तक कि ट्राइसेप्स मसलसों में वजन को उठाये ओर रोके रखने और साथ ही उसे धकेलने की शक्ति बढ़ती जाती है।यो वे तो बहुत शक्तिशाली बनते जाते है।
5-हाथ के पंजों ओर कलाई पर लगातार जोर बने रहने से ओर शरीर को आगे की ओर जाकर फिर वहीं उसे वजन के साथ रोके रखना और फिर वापस खींचने के इस देर तक किये व्यायाम से उनकी पकड़ की शक्ति बड़ी ही असाधारण होती जाती है।
6-कंधों की ओर गर्दन की शक्ति भी सारे शरीर को आगे की ओर खींचने से बड़े ही शक्तिशाली बनते है।
7-सीना या छाती पर लगातार बड़ा ही जोर होने और उस जोर को रोके ही रखने के अभ्यास के बढ़ते रहने से सीना या छाती स्टील की भांति सख्त ओर मजबूत होती जाती है,जिससे कि जब भी सीने पर कितना ही पत्थर या आदमी खड़े करने से लेकर हाथी तक का वजन रखें,तो फेफड़ों की पसलियां सारा वजन को सांस भरे रखने पर आसानी से ओर बड़ी मजबूती से संभाले रखती है।ओर आगे चलकर अभ्यास के बढ़ते जाने पर आप अपने सीने के चारों ओर जंजीर बांध कर उसे तोड़ सकते है।तब लोहे की जंजीर के चुभने का यहां यानी सीने ओर फेफड़ो व बगल व कमर की मांसपेशियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।और सांस भरकर सीने के साथ मांसपेशियों को फूलाने से जंजीर आदि तोड़ने के करतब सहजता से किये जाते है।
यो इस दंड में ये पांचों शक्तियां भरपूर मिलती जाती है।
ओर रिपीटेशन यानी बार बार दोहराई जाने वाली ये कथित राममूर्ति जी की दंड से कुछ नहीं मिलता है।ये सब मेरी यहां बताई दंड की बिगड़ी दंड है,जो बस केवल कितनी दंड लगाई,पांसों या हजार दंड लगाई,ये ही दिखाने का काम करती है।जो लाभ चाहिए,वो नहीं मिलता है।इस लेख में केवल दंड कैसे लगाए बता हूं,ओर अगले लेख में पफ़स्सि व्यायाम पद्धति के अनुसार राममूर्ति बैठक कैसे लगाए,ये दंड ओर बैठक लगा कर सही तरीका से बताऊंगा,इतने इसे समझे और करें।
यो अब जाने पफ़स्सि व्यायाम की राममूर्ति दंड कैसे लगाए…
अपने दोनों हाथों को जमीन पर जमा ले,ओर अपने दोनों कंधे के समांतर यानी बराबर रखें तथा अपने दोनों पैरों को भी पास पास थोड़ा अंतर रखकर,अब अपने सारे शरीर को एक सीध में कर ले।तब एक गहरा सांस भरें और धीरे धीरे अपनी सीने को जमीन की ओर अपनी बाहों को कोहनी से बहुत ही धीरे धीरे मोड़ते हुए ओर साथ ही दोनों कोहनियों को अपने सीने की ओर लगाकर ही मोड़ते हुए जमीन से कुछ ही ऊपर तक आये,अब कुछ देर यही रुके ओर अब इसी पोजिशन में रहते हुए अपने शरीर को अपने पैरों के दोनों पंजों से धकेलते हुए अपने सिर की ओर की दिशा में ही आगे को बढ़ना है और अपने दोनों हाथ को भी कोहनी से मोड़े मोड़े ही आगे की ओर शरीर को धकेलो,इस सारी मुद्रा में सारा शरीर पैरों से लेकर सिर तक एक ही सीध में जमीन से कुछ ही ऊपर को रहता हुआ,जितना बढा जा सके उतना बढ़कर आगे को अब कुछ देर वहीं ठहरना है,तब इसी अवस्था मे लगभग सारा शरीर एक सीध में हो जाएगा और आपकी नाक जमीन से कुछ इंच ही ऊपर रह कर लगी सी हो जाएगी और फिर वहीं रुक कर रुकना भी है,ओर अब जितना सम्भव हो रुककर फिर वैसे ही सारा शरीर सीधा रखकर अपने पंजों के बल से अपने शरीर को पीछे खिंचते हुए,ओर साथ ही दोनों हाथों से भी बिना कोहनी ऊपर को उठाये,पीछे को शरू की अवस्था मे आते हुए खिसकना है,यहां ऊपर को बिल्कुल भी नहीं उठाना है,ये याद रहे।इस अवस्था मे सारा शरीर सीधा ही रहेगा,इस बात को सारी दंडों को लगाते में ध्यान रखें।अब धीरे धीरे कंधे ओर कूल्हे से सारा शरीर व सीने को हाथों के बल कोहनियों को भी सीधा करते ऊपर की ओर उठते जाए,ओर पहले की ही मुद्रा में आ जाना है।और यही रुके रहना है।न कि अपने कूल्हों की ओर से उठना है,जैसा की आजकल की प्रचलित दंडों में सर्पासन की तरहां कूल्हों को उठाकर बार बार दंड लगायी जाती है,ये यहां बिलकुल भी नहीं करनी है।ये याद रखनी है,यही यहां समझने की विशेष बात और रहस्य है,जो राममूर्ति कि दंड को इन सभी प्रकार की दंड से बिलकुल ही अलग करती है।
ध्यान रखने की विशेष बात:-
अब यहां दूसरी बात यह है,की ये एक ही दंड में सीने को जमीन की ओर ले जाने में ही सारा समय धीरे धीरे बढ़ाते जाना है।
ओर फिर आगे की ओर बढ़ने इर वहीं रुकने में ओर फिर वहां से वापस लौटने में ही सारा समय लगाना है,यो इन दंडों में बार बार दंड लगाने या दोहराने का बिलकुल भी नियम नहीं है।
अब ये ही एक दंड में कम से कम पहले आधा मिनट से बढ़ाते हुए,आगे फिर 1 मिनट तक मे एक दंड लगाए और इससे आगे भी समय बढाते हुए 5 मिनट तक समय लगाकर वो एक ही दंड पूरी करनी है।यो समय बढाते हुए,केवल ऐसी ज्यादा से ज्यादा केवल 5 या 10 दंड ही लगानी है,जो सबसे उत्तम एक दंड 5 मिनट में पूरी हुई ओर होनी चाहिए,यो 10 दंड में 50 मिनट लगेंगे।न कि सो या हजार दंड लगानी है।
आप इस लेख को ठीक से पढ़ेंगे ओर समझेंगे तो,जल्दी ही समझ आ जायेगा कि,आपको शक्तिशाली बनने का कितना बड़ा स्वास्थ विज्ञान बताया गया है।बस अब इसे करना बाकी है।
विशेष बात:-हाँ,इस व्यायाम दंड करते में आप थोड़ा इस बात से विचिलत हो सकते है,की अरे इसमे एक ही दंड पर मैं बहुत टाइम से रुका यानी ठहरा हुआ हूं,क्योकि नहीं,इसे ही रुक रुक कर बार बार करता रहूं,ओर यही गलती मत कर बैठना है,यही तो हुआ था,इस दंड के साथ ओर फिर लोगों में आजकल के ये कथित ओर बेकार की समय बिगाड़ने वाली दंड का प्रचलन बढ़ता चला गया।कि कौन सबसे अधिक दंड लगाएगा,नतीजा दंड तो बढ़ गयी,पर शक्ति में घटोत्तरी आती गयी,नतीजा आज हमारे पहलवान पहले की तरहां शरीर से बॉडीबिल्डर की तरहाँ शक्तिशाली तो दिखाई देते है,पर अंदर से वो अतुलित ओर चमत्कारिक बलशाली नहीं है।
यो केवल एक दंड में ही सही तरीके से समय बढ़ाना है।और शक्तिशाली बनने का चमत्कार आप कुछ समय बाद खुद देखेंगे।
सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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Jai satya om sidhaye namah
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