गुजरात में भाजपा की मुसीबतों को और बढ़ाते हुए कभी हाँ कभी ना के मिथक को तोड़ते हुए दलित नेता जिग्नेश मेवाणी आखिरकार कांग्रेस के साथ आ ही गए और उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया। हार्दिक पटेल पहले ही कांग्रेस का साथ देने का वादा कर चुके हैं और अब जिग्नेश के आने से गुजरात में कांग्रेस मजबूती की और बढ़ रही है।
इतना ही नहीं इन नेताओं के आने से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की हर रैली में जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है। आईएनएस अबके बलबूते कांग्रेस गुजरात में अपना हाथ मजबूत करने की कोशिश में है और उसे उम्मीद है कि गुजारत उसके हाथ लग सकता है।
आपको बता दें कि दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से शुक्रवार को मुलाकात की। राहुल से मुलाकात के बाद जिग्नेश ने मीडिया से बातचीत के बाद कहा कि ‘हमारी 90 फीसदी मांगें जो कि हमारा संवैधानिक अधिकार है उन्हें घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा।’
वहीं राहुल ने कहा ‘गुजरात की आवाज को सुना जाना जरूरी है चाहे वो जिग्नेश की आवाज हो या हार्दिक पटेल या फिर अल्पेश ठाकोर की आवाज हो। हम अपने मन की बात नहीं करना चाहते हम गुजरात के मन की बात करना चाहते हैं।’
बता दें कि बीते दिनों गुजरात के दिग्गज ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। अल्पेश ने नवसर्जन जनादेश रैली का आयोजन कर कांग्रेस का दामन थामा था। बता दें कि कांग्रेस जिग्नेश अल्पेश और हार्दिक पटेल जैसे क्षेत्रीय नेताओं के दम पर गुजरात में सत्ता का सपना पूरा करना चाह रही है।
इससे पहले मंगलवार को जिग्नेश की राहुल गांधी से मुलाकात करने की खबर आई थी। हालांकि बाद में जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट कर राहुल गांधी से मुलाकात की खबरों का खंडन किया था। उन्होंने भी तब हार्दिक के अंदाज में फेसबुक पर लिखा कि मिलेंगे तो खुलकर मिलेंगे।
जिग्नेश ने लिखा था कि हम राहुल गांधी या किसी भी नेता से मिलेंगे तो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये नहीं बल्कि दलित समाज के जिन सवालों को लेकर गुजरात की भाजपा सरकार बात करने को तैयार नहीं उन सवालों पर कांग्रेस का पक्ष जानेंगे। दलितों से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस के स्टैंड के लिए ही मिलेंगे। उन्होंने भाजपा के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि 22 साल में गुजरात की जनता को क्या मिला।
बता दें कि राज्य में 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा और 18 दिसंबर को मतगणना। गुजरात विधानसभा चुनाव को 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव का क्वार्टर फाइनल माना जा रहा है। वहीं इस बार का आम चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नाक का सवाल बन गया है।