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तो जेठमलानी ने केजरीवाल से मांग ही ली अपनी फीस

 

 

 

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किए गए मानहानि के केस में केजरीवाल की ओर से पेश होने वाले मशहूर वकील राम जेठमलानी ने अब केजरीवाल का साथ छोड़ दिया है। सीएम केजरीवाल के वरिष्ठ सलाहकार राम जेठमलानी ने केजरीवाल को एक पत्र लिखकर मानहानि केस से हटने और अपनी कानूनी फीस की अदायगी करने के लिए कहा है।

केजरीवाल के अपने निर्देश पर अरुण जेटली के खिलाफ अभद्र भाषा इस्तेमाल करने से इनकार करने के बाद राम जेठमलानी ने यह कदम उठाया है। वरिष्ठ वकील जेठमलानी ने सीएम केजरीवाल को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि वह अरुण जेटली के खिलाफ ‘धोखेबाज’ से भी ज्यादा आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे।

जेठमलानी ने केजरीवाल से 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की कानूनी फीस की अदायगी करने के लिए भी कहा है। केजरीवाल व अन्य 5 आप नेताओं के खिलाफ 10 करोड़ के मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान पक्षकार जेठमलानी ने जेटली के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी थी। जेटली ने इसके बाद जेठमलानी से स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल अपने क्लाइंट केजरीवाल के निर्देश पर किया था। केजरीवाल के पक्षकार जेठमलानी ने हां में जवाब दिया था और इसके बाद जेटली ने सीएम के खिलाफ एक और मानहानि का मुकदमा कर दिया।

एक और मानहानि के मुकदमे में फंसने के बाद केजरीवाल ने दिल्ली हाइ कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया और जेठमलानी को एक पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने जेटली के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपमानजनक शब्द के लिए उन्हें कोई निर्देश नहीं दिया था।

अपने हलफनामे में केजरीवाल ने कहा, ‘यह समझ से परे है कि मैं वरिष्ठ सलाहकार जेठमलानी को इस तरह के आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए कहूंगा। ना तो मैंने और ना ही मेरे काउंसलर अनुपम श्रीवास्तव ने जेठमलानी को 17 मई को ऐसे आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था।’
इसके जवाब में जेठमलानी ने भी इस केस से हटने का फैसला करते हुए सीएम से अपनी कानूनी फीस भरने के लिए कहा है। यह फीस 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है। दिल्ली सरकार ने इससे पहले फरवरी में जेठमलानी की 3.5 करोड़ रुपए की फीस भरी थी। राम जेठमलानी केजरीवाल की तरफ से 11 बार अदालतों में पेश हुए। जेठमलानी ने इसके लिए 1 करोड़ रुपये का रिटेनर और प्रति सुनवाई 22 लाख रुपये की फीस ली थी।

हालांकि सीएम कार्यालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। सीएम ऑफिस ने कहा कि अब तक उन्हें जेठमलानी के केस से हटने के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है।

जेठमलानी ने हमसे बातचीत में बताया, केजरीवाल ने मुझे एक पत्र लिखा था, मैंने उसका जवाब भेजा है। मैं अपनी तरफ से इस पत्र में की गई बातचीत का खुलासा नहीं करूंगा। आप केजरीवाल से दोनों पत्रों को सार्वजनिक करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि मैंने उनसे इसे सार्वजनिक नहीं करने का वादा किया है।’

सूत्रों के मुताबिक, जेठमलानी ने इस पत्र में केजरीवाल के साथ अपने आवास पर हुईं कई मुलाकातों का जिक्र किया है। एक बार इन मुलाकातों के दौरान जेठमलानी ने सीएम केजरीवाल को बताया था कि उनकी काले धन के खिलाफ लड़ाई से प्रभावित होकर पीएम मोदी ने उन्हें 2010 में बीजेपी जॉइन करने के लिए कहा था।

इस पत्र के जरिए जेठमलानी ने सीएम को यह भी याद दिलाया है कि बीजेपी के काले धन पर किए अपने चुनावी वादे को पूरा ना करने पर केजरीवाल और उनका गुस्सा एक तरह का था। मोदी ने हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए जमा कराने का वादा किया था और जेठमलानी इस चुनावी वादे को पूरा ना करने पर मोदी और जेटली को दोषी मानते थे।

जेठमलानी ने अपने पत्र में केजरीवाल पर यह भी आरोप लगाया कि बातचीत में कई बार केजरीवाल ने जेटली के खिलाफ इससे भी ज्यादा आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया करते थे और इसी वजह से 17 मई को मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने वैसे ही शब्दों का इस्तेमाल कर दिया।


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