मनीष कुमार की कलम से….
बिहार की राजनीति कब किधर करवट बदल लें कोई नहीं जान सकता है। नीतीश कुमार बिहार के सुशासन बाबू होते हुए भी इस्तीफा दे बैठे।
भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए 3 बड़ी पार्टियों द्वारा तैयार किया गया गठबंधन अब हिचकोले खाने लगा है।
पहले समाजवादी पार्टी का महागठबंधन से अलग हो जाना फिर नीतीश कुमार का मोदी से मिलना इसके बाद भी सब कुछ ठीक रहना राजनीतिक समीकरण को न्यौते देता रहा है।
लेकिन आज ऐसा क्या हो गया कि सुशासन बाबू को अपने पद का त्याग करना पड़ा इसके पीछे के क्या कारण रहे कि सब कुछ ठीक ठीक का गाना गाने वाले भी नीतीश के इस कदम से हैरान परेशान नज़र आ रहे हैं।
तेजस्वी यादव से शुरू हुऐ इस विवाद का अंत ऐसे होगा इसकी संभावना बिलकुल भी नहीं जताई जा रही थी।
लेकिन बिहार के राजनीतिक गलियारे से जो ख़बर आ रही है उसने देश की राजनीति में भूचाल सा ला दिया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है। यानी बिहार में महागठबंधन टूट चुका है। बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता को इसे सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
बुधवार की शाम अचानक बिहार से नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिलने लगा है। दोपहर में आरजेडी की बैठक के बाद लालू और तेजस्वी यादव, दोनों ने ही दावा किया था कि महागठबंधन पर कोई खतरा नहीं है। लालू ने तो यहां तक कहा था कि उनकी नीतीश कुमार से बात होती रहती है और उन्होंने कभी तेजस्वी से इस्तीफा नहीं मांगा है, लेकिन कुछ ही घंटे में तस्वीर बदल गई।
आरजेडी की बैठक खत्म होने के बाद शाम करीब पांच बजे जेडीयू की बैठक शुरू हुई। बैठक खत्म होते ही नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलने का मन बना लिया। सूत्रों के मुताबिक विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया था कि कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।
अब सवाल यह उठता है कि इन सबके बीच इस स्टोरी का विलेन कौन रहा? किसके कहने पर ये सब हुआ? इस फ़िल्म की पटकथा किसने लिखी?
इन सब सवालों के बीच हम आपको छोड़ रहे हैं। वैसे तस्वीर धुंधली जरूर है लेकिन इसका कांसेप्ट क्लियर है।
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मनीष कुमार