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Atul Subhash Suicide Case: बेटे की आखिरी निशानी देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

अतुल सुभाष की आत्मा उनके मां बाप और उनके बच्चे में बसती थी। जब अतुल सुभाष ने आत्महत्या की, उससे पहले उन्होंने एक वीडियो बनाया और अपनी मौत का जिम्मेदार अपनी पत्नी और उसके मायके वालों को बताया था। अतुल सुभाष ने मरने से पहले यह भी कहा था कि उनका बेटा उनके लिए बेहद प्यारा है लेकिन वो अभी उनकी पत्नी के पास है जो बेहद ही घटिया औरत है।
और इसके बाद अतुल सुभाष ने काफी लंबा वीडियो बनाकर फांसी के फंदे पर झूल गए। इसी को लेकर अतुल सुभाष के मां बाप ने अपने बेटे की आखिरी निशानी के लिए सुप्रीम कोर्ट से कस्टडी मांगी थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अतुल सुभाष की मां को उनके नाबालिग बेटे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह बच्चे के लिए अजनबी हैं। अतुल सुभाष ने 2024 में आत्महत्या कर लिया था। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी का मुद्दा सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष उठाया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ‘यह कहते हुए दुख हो रहा है, लेकिन बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है। अगर आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिल लें। अगर आप बच्चे की कस्टडी चाहते हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है।’ 34 वर्षीय सुभाष 9 दिसंबर, 2024 को बंगलूरू के मुन्नेकोलालू में अपने घर में फंदे से लटके पाए गए थे। उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।

शीर्ष अदालत सुभाष की मां अंजू देवी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने चार वर्षीय पोते की कस्टडी की मांग की थी। सुनवाई के दौरान सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है। वकील ने कहा कि हम बच्चे को बंगलूरू ले जाएंगे। हमने लड़के को स्कूल से निकाल लिया है। जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए मां को बंगलूरू में ही रहना होगा।

अंजू देवी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की कस्टडी की मांग की और आरोप लगाया कि उनकी अलग रह रही बहू ने बच्चे के स्थान को गुप्त रखा है। उन्होंने तर्क दिया कि छह साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से बच्चे के साथ बातचीत करने के लिए कुछ तस्वीरों का हवाला दिया गया, जब वह केवल दो साल का था।

शीर्ष अदालत ने बच्चे को 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले का फैसला मीडिया ट्रायल के आधार पर नहीं किया जा सकता। इससे पहले 4 जनवरी को बंगलूरू की एक अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुभाष की अलग रह रही पत्नी, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी थी। निकिता और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज की गई है।

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