पीएम मोदी की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक उज्ज्वला योजना, जिसका प्रचार इस कदर हुआ कि जितना खर्च इस योजना को शुरू करने में हुआ उससे कहीं ज्यादा खर्च इसके प्रचार प्रसार में हुआ होगा। न्यूज चैनल्स, टीवी चैनल, अखबार, होर्डिंग, बैनर, पोस्टर से लेकर तमाम तरह से इस योजना का प्रचार हुआ।
इसके तहत करोड़ों लोगों ने लाभ लिया। इस योजना की सबसे खास बात यह थी कि योजना थी तो वाकई अच्छी। ग्रामीण महिलाओं व गरीबों को धुएं से मुक्ति मिल रही थी, वहीं बरसात में सूखी लकड़ियां, ईंधन ढूंढने की दिक्कत खत्म हो रही थी। लेकिन इस योजना के साथ कुछ ऐसा हुआ कि यह योजना सबसे बड़ी फ्लॉप योजना साबित हुई।
इस योजना के तहत 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया।
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना यानि पीएमयूवाई के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया जबकि 7.67 करोड़ लाभाथिर्यों ने एक ही बार सिलेंडर भरवाया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उच्च सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से पीएमयूवाई के ऐसे लाभार्थियों का ब्योरा मांगा था जिन्होंने विगत पांच वर्षों में एक बार सिलेंडर रिफिल कराया या नहीं कराया।
उल्लेखनीय है कि मई 2016 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ग्रामीण और वंचित परिवारों, खासकर ईंधन के रूप में जलावन लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले आदि जैसे पारंपरिक ईंधन का उपयोग करने वालों के लिए एलपीजी जैसे खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक प्रमुख योजना के रूप में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई थी। लेकिन इस योजना का हाल यह हो गया ये सपने में भी किसी ने सोचा नहीं होगा।
जब हमने इस योजना के बारे में पड़ताल की और लोगों से बात की तो पता चला कि इस योजना की फ्लॉप होने की वजह गैस के बेतहाशा बढ़ते दाम बताए गए। गैस सिलेंडर के दाम 1000 रुपए से ज्यादा हो गए हैं जिस वजह से लोगों का मोह इससे हटकर अपने पुराने हाल में आ गया।
खैर पीएम मोदी की दूसरी बड़ी महत्वाकांक्षी योजना थी स्वच्छ भारत मिशन के तहत “हर घर शौचालय” यह भी फेल होती नजर आ रही है। अब आप सोचेंगे इसमें महंगा क्या है? तो इसमें महंगा कुछ नहीं है। इसमें भ्रष्टाचार है। यह योजना धरातल पर कम और कागजी ज्यादा रही। इस योजना के तहत बनने वाले शौचालयों का महज 30% लोग ही इस्तेमाल कर रहे हैं। सबसे खास बात यह थी कि इस योजना में भी सरकार ने पानी की तरह पैसा बहाया। प्रचार में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन जो सोचा था वो नहीं हो पाया। अतः यह योजना भी भ्रष्टाचार और सरकार की अनदेखी की भेंट चढ़ गई।
इन योजनाओं का अब भी जबरदस्त तरीके से प्रचार हो रहा है। लेकिन लोग हैं कि क्या कहें? हमाम है और सब नंगे हैं। भ्रष्टाचार है परंतु राष्ट्रवाद सबसे ऊपर है। अभी हर घर तिरंगा जा रहा है। सबको देशभक्ति का घोल बनाकर पिलाया जा रहा है। और इस देशभक्ति की आड़ में बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार सब कुछ दब चुका है।