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रेही क्रिया योगाभ्यास (भाग-1) आपको बना देगा शक्तिशाली, सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज

रेहीक्रियायोग अभ्यास से अपने नियंत्रण में करें अपने शरीर के जेनरेट पावर यानी पुनर्निर्माण क्रिया को और पाओ तुरंत थकान रहित स्फूर्ति, थोड़ी देर में ही भरपूर निंद्रा, बॉडी की बेलेंस इम्नयूटी पावर और स्वास्थ्य को सही रखने वाले जींसों और नए सेल्स ओर उनकी तुरंत प्रोटेक्शन

[भाग-1]

आज साइंस लगातार अपनी वैज्ञानिक शोधों में ये पाता है कि,मनुष्य को भरपूर नींद को कम से कम 5 से 8 घँटे चाहिए,जिनमे उसका शरीर का जीन्स या हार्मोन्स आपके थके टूटे शरीर के सभी सेल्सों का पुनर्निर्माण कर उसे प्रसन्नचित्त, स्वस्थ,ताजगी भरा,युवा जवान बना सके,वैसे भी हर व्यक्ति को सदा जवान बने रहने और इस भौतिक शरीर के लगातार जवान बने रहने से सभी संसारी भोगों को भोग सकने की शक्ति सहित आनन्द प्राप्त हो सके,यो वो सभी मेडिकल दवाइयों व विटामिनसों ओर आयुर्वेदिक आदि पैथियों की निर्मित प्रकार्तिक पेड़ पौधों यानी हर्बल्स औषधियों का सही अनुपात में सेवन करता हुआ,अपनी शारारिक प्राकृतिक क्षमता को खोकर जीवन को स्वास्थ्य की जगहां बीमार बना लेता है।


जैसे कि,मेलाटोनिन एक स्वाभाविक रूप से आनेवाला हार्मोन है जो झपकी को नियंत्रित करता है। यह मस्तिष्क में बनता है, जहां ट्राइप्टोफैन सेरोटोनिन में परिवर्तित होता है और तब मेलाटोनिन में, जो कि सोतें समय रात में शीर्षग्रंथि द्वारा स्रावित होकर नींद लाने और उसे लगातार बनाये रखने का काम करता है।
ओर जब ये बनना कम या अनियंत्रित हो जाता है,तब हमारी नींद उचटती ओर पूरी नहीं होती है।रेहीक्रियायोग विधि इसी को मुख्य शीर्षग्रन्थि में सदा संतुलित रखती हुई बिन बांधा के प्रवाहित होने सहयोग देती है।
ऐसे ही हमारे शरीर की अनेको ग्रन्थियों से ये हार्मोन्स स्रावित होते है,जो कि मुख्यतौर पर इस प्रकार से है,ओर बहुत से भक्तो ओर मेडिकल से जुड़े भक्तो ने पढ़ा होगा ही,की मुख्य 7 प्रकार के चर्को से 7 प्रकार के हार्मोंसों का क्या प्रभाव मनुष्य पर होता  व उसे रेहीक्रियायोग विधि से कंट्रोल करने पर क्या लाभ होता है,जाने-

1-कार्टिसोल:-
कार्टिसोल एड्रेनल ग्रंथि में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। एड्रेनल में थकान कोर्टिसोल के असंतुलन के कारण होती है। एड्रेनल थकान मुख्य रूप से एक मस्तिष्क तनाव की समस्या है। इसके असंतुलन से नींद आना, चक्कर आना, नाखूनों का कमजोर होना, रक्त में शुगर की मात्रा का बढ़ना और वजन का बढ़ना जैसी समस्यायें हो सकती हैं।रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


2-थायरायड:-
मनुष्य के शरीर की हर कोशिका को ढंग से काम करने के लिए और स्वस्थ्य रखने के लिए थायराइड हार्मोन की जरूरत है। थायराइड ग्रंथि एक ऐसे हार्मोन का निर्माण करती है जो शरीर के ऊर्जा के प्रयोग की कार्यविधि को प्रभावित करता है। इसकी ही कमी से डिप्रेशन, मानसिक सुस्ती, पेट मे कब्ज, त्वचा का रूखा फट जाना होना, नींद ज्यादा आना और बालों के गिरने जैसी समस्यायें हो जाती हैं।रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


3-एस्ट्रोजन:-
एस्ट्रोजन के तीन रूप एस्ट्रोन(E1), एस्ट्राडियोल (E2) और एस्ट्रियोल(E3) का सही अनुपात महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार एस्ट्रोजन का स्तर बिगड़ने से ह्रदय संबंधी बीमारियां और कैंसर तक हो सकता है। एस्ट्रोजन की कमी के कारण,लिंग के द्रव्य व योनि में सूखापन, सेक्स के समय दर्द, मूत्राशय में संक्रमण और डिप्रेशन की समस्यायें होती हैं। इसकी अधिकता से अनिद्रा, माइग्रेन, तेजी से वजन का बढ़ना, पित्ताशय से जुड़ी समस्यायें और महिलाओं में माहवारी के समय अधिक रक्त स्त्राव की समस्यायें हो जाती है।यो रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


4-प्रोजेस्टेरोन:-
पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्वस्थ प्रोजेस्टेरोन संतुलन की जरूरत होती है। प्रोजेस्टेरोन, अतिरिक्त एस्ट्रोजन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। अच्छे प्रोजेस्टेरोन के बिना, एस्ट्रोजन हानिकारक और नियंत्रण से बाहर हो जाता है। इसकी कमी से अनिद्रा, स्त्रियों के स्तनों में दर्द,पुरुषों के छाती का अनावश्यक उभार, मनुष्य का वजन बढ़ना, सिर दर्द, तनाव और बांझपन व नपुंसकता जैसी समस्यायें हो सकती हैं।यो रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


5-टेस्टोस्टेरोन:-
पुरुषों और महिलाओं दोनों में कमी के साथ टेस्टोस्टेरोन आमतौर पर उनके स्वास्थ्य व व्यवहार में प्रभावी रूप से देखा जा सकता है। कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में बताया गया है कि महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन की वजह से सेक्स के प्रति अनिच्छा, हृदय रोग, और स्तन कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। एक अध्ययन के अनुसार कम टेस्टोस्टेरोन के कारण मनुष्य मृत्यु दर में भी बढ़ोत्तरी देखी गयी है।वैसे ही टेस्टोस्टेरोन की अधिकता होने से मुँहासे,पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, चेहरे और हाथ पर अत्यधिक बाल,सेक्स के प्रति काल्पनिक पागलपन होना, हाइपोग्लाइसीमिया, बालों का झड़ना, बांझपन और डिम्बग्रंथि अल्सर जैसी समस्यायें हो सकती हैं। जबकि इसकी कमी वजन बढ़ना, थकान, चिड़चिड़ापन और शीघ्रपतन जैसी समस्याओं का कारण बनती है।यो रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


6-लेप्टिन:-
लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन वसा कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। लेप्टिन का एक प्रमुख काम ऊर्जा के लिए शरीर की वसा भंडार का उपयोग करने के लिए दिमाग को निर्देश देना है। इसकी कमी से दिमाग में प्रोटीन की कमी हो जाती है और शरीर की सभी नसों से जुड़े कार्यों पर भी प्रभाव पड़ता है। यह घ्रेलिन नामक भूख दिलाने वाले हार्मोन के कार्य को प्रभावित करता है जिससे आपको लगातार खाने की इच्छा होती रहती है और ज्यादा खाने की वजह से मोटे होने लगते हैं।या भूख नही लगती है।यो रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।


7-इन्सुलिन:-
इन्सुलिन हार्मोन हमारे खून में ग्लूकोज के स्तर को नियमित करता है और अगर यह बनना कम हो जाता है तो इसकी कमी से हमारे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और यह स्थिति ही डायबिटीज यानी शुगर को हमारे शरीर मे पैदा करती है। जब भी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है तो यह अग्नाशय ग्रंथि को बताता है कि वो इन्सुलिन हार्मोन को स्त्रावित करें।जब ऐसा करने में बांधा आती है,तब इन्सुलिन हार्मोन की कमी से डायबिटीज, थकान, अनिद्रा, कमजोर स्मृति और तेजी से वजन बढ़ना या घटना जैसी समस्यायें हो जाती हैं।यो रेहीक्रियायोग करने पर ये संतुलित व नियंत्रित होकर यही सब लाभ हमें निरोगी बनाकर देती है।
यो इन सहित ओर भी अनेको प्रकार के हार्मोन्स जीन्स शरीर मे अपना कार्य मानसिक शक्ति और अधिक संतुलित कार्य मनुष्य की बढ़ती कुंडलिनी शक्ति के द्धारा कार्य करते है।


जो रेहीक्रियायोग का नियमित अभ्यासी है,वो इन सब चक्रों में अपने मन की शक्ति जिससे ये शरीर बना है,उसमे सिर से लेकर पैरों तक ओर फिर पैरों से लेकर सिर की चोटी तक घूमता है,तो यही मन की घूमती वरुण चक्रों में प्रवाहित होकर मनःशक्ति उन्हें जाग्रत करती व नए स्वास्थ्य हार्मोंसों का नवनिर्माण करती है,जैसे कि,पहले तो साधक के मूलाधार चक्र से निर्मित-ऋण शक्ति और धन शक्ति,इंगला पिंगला शक्ति यानी-पुरुष व स्त्री की जनेन्द्रिय के दो अंडकोष ओर ठीक ऐसे ही स्त्री ओर पुरुष के सहस्त्रारचक्र में स्थित पीयूष ग्रन्थि के दो भागों से नियंत्रित होने वाले सभी हार्मोंसों का स्राव संतुलित होकर साधक मनुष्य को पूर्ण स्वास्थ्य देता चलता है।यहां तक कि रेहीक्रियायोग विधि मनुष्य को “कायाकल्प” सिद्धि तक प्रदान करती है,जिसका मूल सम्बन्ध नाभिचक्र के द्धारा घटित होता है।


आगामी भाग में इसकी ओर बारीकी के साथ हार्मोंसों का निमार्ण ओर संतुलन ज्ञान बताता है, इतने इस विषय का अध्ययन करते अभ्यास करें।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

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