भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई थी साथ ही बहुत सारे लोग अनेक असाध्य तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन से बुरी तरहां पीड़ित हुए ओर उनकी आगामी पीढ़ी में भी इस त्रासदी का भयंकर प्रभाव बन हुआ है।इसी सबको अपने शब्दों में अभिव्यक्त करती इस दिवस पर मेरी श्रद्धाजंलि कविता इस प्रकार से है कि,
भोपाल गैस कांड की प्रदूषित त्रासदी पर ज्ञान कविता
सोने लगे सभी पंछी
ओर लौटने लगे सब घर।
अपने ख्यालों के सपने लिए
सब थे चढ़े भविष्य के पर।।
किसे पता था अब कब क्या होगा
बस अनुमान जीवन का पक्ष।
स्याह रात की काली स्याही
घेर रही मौत बन भक्ष।।
शैतान लगा रिसाने अपनी
फैला मौत माया का जाल।
लीलता गया हर सपने को
जो जैसा था वैसा पहुँचा मौत के गाल।।
भोपाल शहर बीच बनी थी
एंडरसन केमिकल फेक्ट्री।
कीटनाशक दवा बनती वहां
उसी में हुआ रिसाव गैस मौत भरी।।
शहर भोपाल मचा भूचाल
घर गली भर गई सब सड़कें।
घुट गए दब गए हो अहसाय
जगा दिन मौत बन वहां तड़के।।
कोन ले ख़बर किसकी
सब अपनी जान बचाएं।
भागे कहां किस ओर दिशा में
सब ओर मौत है छाए।।
गैस रिसाव परिणाम हुआ ये
पशु पक्षी संग मरे पेड़ और पौध।
सोया रह गया मौत नींद ले
भगदड़ मची दूजे को रौंद।।
आंखे खो दी बन दमा के रोगी
जी रहा शेष बच मर मर।
अगली पीढ़ी अपंग है जन्मी
जाने कब होगा वंश सेहत भर।।
मिला मुआवजा लाखों उनको
पर प्रदूषित आज तक जीवन।
शेष बचे उस शाप भोगते
मरे विष प्याला जबरन पीवन।।
यो नियम बना की शहर दूर हो
ऐसी सभी फेक्ट्री विषैली।
पर वही हाल है आज ओर सब
फेक्ट्री शहर बीच आज फैली।।
जाने कब और किस दिन होगा
फिर ऐसा मौत का मंज़र।
दुआ करें और विरोध करें सब
लग मरे न हम इन प्रदूषण खंजर।।
यो नहीं फैलाओ प्रदूषण विषैला
मिटा मन तन अज्ञानी मैला।
समझो भविष्य सुख सुंदरता को
जहर न घोलो ध्वनि धुंआ शराब नशीला।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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