आधुनिकता की मृत्युकारी अंधी भाग दौड़ में हम इतने सुंदर स्वस्थ रहे पर्यावरण को नष्ट करते हुए ये भूलते जा रहे है।की यही पर्यावरण हमें सभी प्रकार से बचाये हुए है।जिसको यदि हमने नहीं बचाया तो हम खुद भी नहीं बचने के है।यो इस पर्यावरण को जितनी जल्दी हो सके उतनी ही जल्दी बचाने के उद्देश्य से हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।
ओर इसी दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,
ध्वनि प्रदूषण पर कविता
ईश्वर की सुंदर धरती को
नरक बनाता ये है कौन।
मिटा रहा दिन दर घँटे
मार पैर कुल्हाड़ी अपने कोन।।
सुबह होती थी सूरज सुंदरआभा
रात सुहानी दिखती अम्बर।
आज धुंध की स्याही इस कदर छाई
खुद चहरे देख नजर बढे नम्बर।।
चारों ओर विज्ञान नाम पर
मौत का हो रहा पूरा इंतजाम।
लगे बम्ब चारों ओर धरती पे
बस एक तिल्ली जलनी अंतिम काम।।
फोड़ पटाखें फुलझड़ी खुशी को
करा अठ्ठाहस जोर से ध्वनि राक्षस।
उस संगत दे पी शराब मौत की
जो इन्हें सटक रहा नित बन भक्षस।।
धूल उड़ाती तेज गाड़ियां
धुंआ छोड़ते कारखाने।
दिन में उड़ कर आकाश को खाती
रात बरसती आ जमीं मौत हमें खाने।।
जहाज पानी में प्रदूषण घोले
मछली मरती जल जल पी।
आकाश को खाते यान संग रॉकेट
रक्षा मंडल तोड़ दिया धरती का भी।।
खांस रहे बच्चे नव बूढ़े
पीकर नशा नित प्रदूषित धूल।
दवा पी रहे बचकर मरने
मुरझाये अध खिले मानुष फूल।।
फैल रहा है धरती अम्बर
मौत बीमारी देता धुंआ।
कोन है दोषी इस प्रदूषण
कोन से खोदा ये मौत का कुआं।।
खुश आंख मूंदे उस कहावत भांति
की मैने तो कर ली आंखों बंद।
नहीं दिख ओर देख रही मौत मुझ
बस बचा हूँ मैं अपने अहं के अंध।।
अरे,,नाश पीटों कथित बुद्धिजीवी
खुद मरोगे संग जीवों जंतु मार।
सुधरो अभी कुछ ही वक्त बचा है
मिटाओ प्रदूषण सब नर संग नार।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org