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तुलासन की सही विधि करने से नाड़ी शुद्ध करके प्राणायाम कोष में कैसे करें प्रवेश और कैसे लें लाभ, बता रहे हैं सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज

वैसे तो तुलासन का सीधा सा अर्थ है- तुला (Tola या Tula) का अर्थ तराजू या Scale से है ओर आसन का अर्थ,उस सम्बन्धित मुद्रा में अधिक देर तक खड़े होने, झुकने या बैठने या लेटने से होता है। इसे अंग्रेजी में Pose या पोश्चर (Posture) भी कहते है। तुलासन को अंग्रेजी में स्केल पोज या Scale Pose कहते है।
तुलासन को करने का समय कम से कम 10 सेकेंड से लेकर 25 सेकेंड से 60 सेकेंड तक या इससे ऊपर का दो मिनट या ज्यादा हठयोग स्थिति में प्रवेश होता है। इसमें बार बार दोहराव नहीं करना होता है।
इस आसन के नियमित अभ्यास से,आपके ये अंग होंगे मजबूत:-
हाथ (Arms)
कंधे (Shoulders)
पेट (Abdomen)
हिप्स (Hips)
पीठ (Back)
कलाइयां (Wrists)
आदि बहुत मजबूत होती हैं।

तुलासन करने के लाभ है:-

तुलासन के नियमित अभ्यास से शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं। जैसे,
हाथों,पंजो,कलाई कोहनी और कंधों की ताकत को सुधारता है।
डाइजेस्टिव सिस्टम को सुधारता है।
पसलियों और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
सिक्स पैक एब्स बनाने में बहुत लाभकारी है।
तन और मन में चेतना शक्ति और संतुलन का विकास करता है।
धीरे धीरे ओर गहरी सांस लेते छोड़ने के साथ मूल बंध लगाने से तुलासन करने पर मूलाधार चक्र एक्टिवेट होकर वीर्य रज की शुद्धि ओर बह्मचर्य व तेज बढ़ता है।
उड्डियान बंध तुलासन में सामान्य लगता हैं।जिससे सांस संतुलित बनती है,ब्लड प्रेशर ठीक होता है।।
एंग्जाइटी, स्ट्रेस आदि की समस्या को दूर करता है।
नाभि के सभी दोषों को जड़ से समाप्त करता है।नाभि सही तो शरीर हर प्रकार से सही हो जाएगा।

तुलासन करने की विधि (Step by Step Instructions) :-

सबसे पहले अपने योग मेट या आसन पर बैठकर,फिर अपने नांक के सामने सीधे हाथ के उल्टे भाग को करके,उस पर सांस को थोड़ा जोर से मारकर जांच ले कि,कोन सा स्वर चल रहा है,सिर सहजासन में बैठ कर,चल रहे स्वास की साइड के पैर को अपने दूसरे पर की जांघ पर घुटने से मोड़कर रखे और अब दूसरे पैर को इस पैर के ऊपर लेकर जांघ पर रखें।
जिससे आसानी से पद्मासन की मुद्रा में आ सकें।
दोनों पैरों के टखने जांघों पर दबाव डालेंगे।जिससे वहां स्थित शक्ति पॉइंट जागरूक होगा।
दोनों हाथों को जांघों के पास रखें।
हथेलियों से योग मैट यानी जमीन पर दबाव डालें।
दबाव डालते हुए नितंब को ऊपर उठाने यानी जो पद्धमासन कि मुद्रा बनी थी,उसे ऊपर को खींचकर वहीं रोकने की कोशिश करें।
ओर तभी मूलबंध भी लगा ले और धीरे से गहरे सांस ले और छोड़े,कम से कम 5 या 10 बार करें।
इस​ स्थिति में कम से कम 10 से लेकर 30-60 सेकेंड तक बने रहें।
इसके बाद धीरे धीरे नीचे की तरफ आ जाएं।
धीरे-धीरे लगे पद्धमासन को खोल दें।साथ ही मूलबंध भी खोल दें।
अब इस आसन में दूसरी टांग बदलकर पहले जैसा ही दोहराये।
इस तुलासन को दोनों पैरों की मुद्रा बदलकर केवल दो बार ही करें।हाँ चाहे इसमे रुकने का समय बढ़ाते हुए गहरे सांस के साथ मूलबंध लगाते हुए,अपने सम्पूर्ण शरीर मे गति करते प्राण शक्ति के प्रवाह को ध्यान से देखने का अभ्यास कर सकते है।

तुलासन में सावधानियां:-

तुलासन को बार बार बिलकुल भी नहीं करें।
आपका हार्ट व पेट या पसली का ऑपरेशन हुआ है,तो कम से कम 6 महीने के बाद बहुत धीरे से एक एक स्टेप का अभ्यास करते हुए करना प्रारम्भ करें।
इसमें कुम्भक नही करें।
इसमे झूले नहीं,अन्यथा नाभि दोष हो जाएगा,बहुत अभ्यास बढ़ने पर ही झूलना करें।
भरे पेट नहीं करें।

मांसपेशियों में दर्द बढ़े तो न करें।
स्वामी जी यूटीयूब चेनल पर इस लिंक पर देखें,तुलासन-

https://youtu.be/2r1oJGHVjrg

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

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