
!!सेवा सबसे बड़ा पुण्य!!
जप करो या तप करो
या करो कुछ दान।
यदि न सेवा कोई करी
ये सब फलहीन तू जान।।
चरण दबाए मात पिता
बुजुर्ग की कर तन सेवा।
जगे दया का महाभाव
ब्रह्मचर्य बढ़े तेज बन खेवा।।
अपनी रोटी सब सकते
ओर खुद ही खाते सब।
दूजे रोटी सेक दें
उस आशीष जगे भक्ति तब।।
गरीब विशेष असहाय की
करो सहायता अवश्य।
दया भाव का विकास हो
ध्यान लगे देखे परम दृश्य।।
मंदिर जा सेवा करो
कर झाड़ू पोछा इष्ट।
मिले शांति सहज ही
सिद्ध हो मनोरथ अभीष्ट।।
बीमार जीव की सेवा से
निज तन का मिटता रोग।
वृक्ष सींचे जो कहीं भी
वो रहता सदा निरोग।।
गुरु सेवा सबसे बड़ी
मिले उन तन सेवा स्वर्ग।
गुरु सेवा सब तीर्थ फल
चार धर्म सिद्ध सब वर्ग।।
जो करें न कोई सेवा
ओर उपेक्षा करें ये ज्ञान।
वो भोगे नरक जीते जी
वो खोए किया सभी तप दान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org