लोकसभा चुनाव के पहले नेताओं के पार्टी छोड़ने और दल बदलने का सिलसिला तेज होना शुरू हो गया है। रोजना कोई न कोई नेता पार्टी छोड़ दूसरे दलों में शामिल हो रहा है। सबसे बड़ी बात है कि दल छोड़ने में बड़े नेता भी शामिल हैं, कुछ टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे हैं, कुछ अपने चहेतों को टिकट न मिलने की वजह से पार्टी का त्याग कर रहे हैं, तो कुछ बड़े नेता पार्टी में अपनी अनदेखी की वजह से पार्टी छोड़कर जा रहे हैं।
असम के तेजपुर से भाजपा सांसद राम प्रसाद शर्मा ने भी पार्टी छोड़ दी है। शर्मा ने भाजपा छोड़ते हुए कहा कि पार्टी में नए घुसपैठियों के कारण पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। पुराने नेताओं की अनदेखी हो रही है चापलूसों को पार्टी में जगह मिल रही है।
बता दें कि राम प्रसाद शर्मा संघी रहे हैं। संघ के लिए कई साल काम किया है। विश्व हिंदू परिषद से भी शर्मा का बड़ा जुड़ाव रहा है। शर्मा ने भाजपा में हर वक़्त साथ दिया है।
उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि “मैंने आज भाजपा छोड़ दी। मैं असम के उन पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए दुःख महसूस करता हूं जिन्हें नए घुसपैठियों के कारण नजरअंदाज किया जा रहा है।”
खुद राम प्रसाद शर्मा का कहना है कि मैंने “आरएसएस और विहिप के लिए 15 वर्ष और भाजपा के लिए 29 वर्ष काम किया है। लेकिन उन्हें कभी कोई समस्या नहीं हुई। उन्हें टिकट मिला न मिला, उन्हें इस बात की चिंता नहीं रही वे पार्टी के लिए काम करते रहे। लेकिन आज ऐसा समय आ गया है कि पार्टी में चापलूसों को जगह दी जा रही है, पुराने नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है। उनकी अनदेखी हो रही है। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
शर्मा की नाराजगी असम के मंत्री और एनईडीए के संयोजक हिमंत बिस्वा शर्मा के नाम पर भी बताई जा रही थी। वे उसी वक्त से नाराज चल रहे थे जब से हेमंत बिस्वा शर्मा को एनडीए में शामिल किया था। बिस्वा का नाम “शारदा चिट फंड घोटाले” में मुख्य आरोपी के तौर पर रहा है।
टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शारदा चिट फंड घोटाले में मुकुल रॉय और असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा का नाम मुख्य आरोपियों में रहा है।
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राजस्थान ब्यूरो
जगदीश जी तेली
ख़बर 24 एक्सप्रेस