Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / हस्तरेखा विज्ञान (भाग-4) : हाथ में मंगल पर्वत के प्रभाव को जानिये, मंगल पर्वत कैसे देता है शुभ अशुभ लाभ? बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

हस्तरेखा विज्ञान (भाग-4) : हाथ में मंगल पर्वत के प्रभाव को जानिये, मंगल पर्वत कैसे देता है शुभ अशुभ लाभ? बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

 

 

 

 

 

हस्तरेखा विज्ञान में आज श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज मंगल पर्वत के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं। कि कैसे मंगल पर्वत मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है?

 

 

इससे पहले श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज हस्तरेखा विज्ञान के तीन भाग बता चुके हैं जिन्हें आप नीचे दिए लिंक में पढ़ सकते हैं।

 

 

हस्तरेखा विज्ञान (पार्ट 3), हथेली पर गुरु पर्वत का स्थान, मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले इसके शुभ-अशुभ प्रभाव को जानें : श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

 

हस्तरेखा विज्ञान का ज्योतिष शास्त्र में बढ़ा महत्त्व है। हस्तरेखा विज्ञान को जानने और समझने वाला बड़ा ज्ञानी महात्मा माना जाता है, लेकिन जैसे-जैसे हम आधुनिक युग की तरफ बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे यह ज्ञान, विद्या समाप्ति की ओर बढ़ रही है और इसकी जगह आधुनिक चीजों ने ले ली है। लेकिन श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज एक ऐसे ज्ञानी महत्माओं में से हैं जिन्होंने गहन अध्ययन करके ये जानकारियां प्राप्त की हैं जिन्हें आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

स्वामी जी के बताए परम ज्ञान से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। तो आइए हस्तरेखा में मंगल पर्वत के प्रभाव को जानते हैं।

हस्तरेखा शास्त्र और मंगल पर्वत तथा उसका मनुष्य पर प्रभाव:-

मनुष्य के हाथ में मंगल पर्वत को दो स्थान पर माना गया हैं-1-अंगूठे के नीचे से जीवन रेखा और मस्तक रेखा के बीच का कुछ भाग,ये साकारात्मक मंगल का क्षेत्र है,इसे नीच का मंगल माना जाता है।और -2- दूसरा उच्च का नाकारात्मक मंगल पर्वत,जो बुध पर्वत यानि कंग की ऊँगली के नीचे जहां हृदय रेखा शुरू होती उसके नीचे और जहां मस्तक रेखा समाप्त होती है,और भाग्य रेखा से कुछ पहले उस स्थान का कुछ भाग पर स्थित होता है। ऊपर के मंगल का ज्यादा उन्नत और उभरा होना व्यक्ति में आक्रामकता एवं साहस को बढ़ावा देता है,जन्मकुंडली में भी वह व्यक्ति मंगली होता है,क्योकि मंगल देवताओं का सेनापति है,इसलिए ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा कठिन और विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयत्न करते रहते हैं और इस स्थान पर किसी वृत्त, दाग या तिल का होना इसे और ज्यादा पुष्ट करता है।यदि यहां कोई जाल या कटी रेखा हो तो उसे वाहन दुर्घटना में चोट भी लग सकती है और उसका कोई अंग भंग हो सकता है। ऊपर का मंगल यदि बुध पर्वत की ओर खिसका हो तो जातक का स्वभाव में उग्रता होने से वो शीघ्र गाली गलौज,अभद्र भाषा बोलने लगता है।इस पर्वत का अच्छा उठा होना व्यक्ति को पुलिस या प्रसाशनिक क्षेत्र या मिलट्री में उच्च पद देता है।अंगूठे के नीचे वाले मंगल पर्वत से निकलकर कोई रेखा केवल यदि जीवनरेखा तक आये,तो व्यक्ति चिंताए करता है,और यदि वो रेखा जीवनरेखा जहां काट रही हो, उस समय तथा उम्र में किसी अग्नि कांड में,या दुर्घटना में अथवा लड़ाई में अपने शरीर में अवश्य भारी चोट या कोई अंग भी गंवा सकता है।यदि जीवन रेखा उस स्थान पर टूट रही हो,या कमजोर हो,तो व्यक्ति को डायबटीज बनने के पुरे लक्षण है और उसे रक्त दोष भी रहता है,
इसके अतिरिक्त मंगल पर्वत पर कोई क्रास का निशान किसी विवाद में कोर्ट कचहरी और कम से कम हवालात या जेल का सामना करना पड़ेगा या द्वीप होना जातक को सिरदर्द, थकान, गुस्सा जैसी समस्याएं दे सकता है। यह पर्वत दबा हुआ सा या अविकसित हो तो जातक डिप्रेशन और लो ब्लड प्रेशर का मरीज होता है। यदि मगंल के उस पर्वत से कोई रेखा चंद्र पर्वत तक जाये तो ऐसा जातक सोचने की अधिकता के चलते निर्णय लेने में देरी तथा रुक रुक कर अनियमित कार्य करने का आदी होता है।और उसे सफलता ना मिलने के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है।अंगूठे के पास वाला मंगल का समय 27 से 48 वे वर्ष तक होता है।इसके बाद उसे सफलता मिलती है।ये मंगल क्षेत्र भी इसी प्रकार से उन्नत होने पर जातक कुछ हठी और आत्म विश्वास से युक्त होता है। वह किसी भी कार्य को चुनौती के रूप में स्वीकार करता है। इस स्थिति का मंगल अंगुठे की तरफ खिसका हो तो जातककुछ कुटिल कूटनीति से कार्य करने वाला होता है।नतीजा वह कुछ समस्या हल कर लेता है और बाहरी लोगों या अचानक बने मित्रों से धोखा मिलता है। मंगल का अनेक रेखाओं से दबा या घिरा होना,जो भी कार्य करेगा,उसमें अवश्य पहले बांधाएं खड़ी हो जायेगी,उन्हें हटाने में बड़ा समय लग जाता है,अंत में अपेक्षित धन या महनत के ज्यादा खर्च होने पर कम लाभ मिलता है,या जो मिलता है,वो उसके लिए विशेष लाभ और आनन्द नही देता और उस स्थान पर जाल का चिह्न हाई ब्लड प्रेशर देता है। यदि नीचे का मंगल शुक्र की ओर झुका हुआ हो तो शुक्र और मंगल से प्रभावित होने के फलस्वरूप उसे बुरी संगत या ज्यादा उतेजना के चलते या बुखार सा बने रहने से धातु की क्षीणता होनी या वीर्य या रज दोष होता है,यो वह सुस्त और मन की एकाग्रता की कमी और शरीर कमजोर हो जाता है। इस स्थिति में उसमें काम के प्रति आसक्ति और विपरीत लिंगियों से धोखे मिलते है और वह काम पिपासा के कारण बुरे व्यसन में फंस जाता है। यदि इन दोनों पर्वतों पर द्वीप या क्रास का निशान मिले और चन्द्र पर्वत कमजोर हो, तो जातक को उसका प्यार न मिले तो वह दुखी होकर आत्महत्या या हत्या तक कर सकता है। मंगल पर्वत का उन्नत होना तथा जाल रहित होना व्यक्ति को उच्च पद,प्रतिष्ठा,सम्मान देता है।दोनों मंगल लगभग साफ और ज्यादा रेखा नहीं हो,तो व्यक्ति को पहलवानी के क्षेत्र या योग प्राणायाम के क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलती है,अन्यथा उसे इनका अच्छा शौक रहता है।
मंगल आम तौर पर ऐसे क्षेत्रों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता आदि की आवश्यकता पड़ती है जैसे कि- पुलिस की नौकरी, सेना की नौकरी, अर्ध-सैनिक बलों की नौकरी, अग्नि-शमन सेवाएं, खेलों में शारीरिक बल तथा क्षमता की परख करने वाले खेल जैसे कि कुश्ती, दंगल, टैनिस, फुटबाल, मुक्केबाजी तथा ऐसे ही अन्य कई खेल जो बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा क्षमता की मांग करते हैं। इसके अतिरिक्त मंगल ऐसे क्षेत्रों तथा व्यक्तियों के भी कारक होते हैं जिनमें हथियारों अथवा औजारों का प्रयोग होता है जैसे हथियारों के बल पर प्रभाव जमाने वाले गिरोह, शल्य चिकित्सा करने वाले चिकित्सक तथा दंत चिकित्सक जो चिकित्सा के लिए धातु से बने औजारों का प्रयोग करते हैं, मशीनों को ठीक करने वाले मैकेनिक जो औजारों का प्रयोग करते हैं और अस्त्र विक्रेता तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्र एवं इनमे काम करने वाले लोग मंगल प्रधान होते है।यदि मंगल पर्वत उठा हो तो,उसके भाइयों की संख्या अधिक होती हैं तथा विशेष रूप से छोटे भाइयों की। मंगल पर्वत पर छोटी छोटी रेखाएं हो,वे एक दूसरे को काट नही रही हो तो,वे उस व्यक्ति के बहुत से अच्छे और सच्चे दोस्तों होते हैं तथा विशेष रूप से उन मित्रों के जो व्यक्ति के बहुत अच्छे मित्र हों तथा जिन्हें भाइयों के समान ही समझा जा सके।
अंगूठे की जड़ से निकली कोई एक रेखा से दो या तीन रेखाएं निकल कर जीवन रेखा तक जाती हो,तो उस व्यक्ति को उसकी किसी भी क्षेत्र में की गयी प्लानिंग से बड़ी ही उच्चकोटि की सफलता मिलती है,और मानो तीन रेखाएं होंगी,तो तीन बार उसके जीवन में बड़ी सफलता और पुरुषकार मिलेगा।बस जीवन रेखा इन रेखाओं से कटने पर भी उस स्थान पर अच्छी हो,और साथ ही ऐसा व्यक्ति यदि प्रेम में है तो उसे अवश्य किसी प्रतिभाशाली उच्च जीवनसाथी से प्रेम और विवाह की प्राप्ति होती है,इसके साथ शुक्र पर्वत उभरा होना चाहिए।
मंगल पर्वत पर जो स्पष्ट रेखा होती है,उसे अतिरिक्त जीवन रेखा भी कहते है,यो ऐसी कोई एक रेखा व्यक्ति को युद्ध में अनेक भयंकर दुर्घटना होने पर भी जीवनदान देती है और जीवन रेखा के कमजोर होने पर भी उसे स्वस्थ रखती और कठिन बोमरियों,विशेषकर हार्टअटैक या बड़े बुखार से गुजरने पर भी बचाती है।जीवन रेखा के साथ साथ चल रही या जीवन रेखा से निकल कर मंगल क्षेत्र की और जाये या मंगल और से निकली रेखा जीवन रेखा के साथ साथ चले तो व्यक्ति के जीवन में अतिरिक्त गुप्त प्रेम सम्बन्ध और उनसे लाभ देती है,ये स्पष्ट हो तो दिव्य प्रेम और बुध पर्वत उठा हो,तो प्रेम में उच्चकोटि की कविताएँ शायरी,अभंग लिखना और गाने से प्रसिद्धि मिलती है,और ये रेखा यदि शुक्र पर्वत पर जाकर फट गयी हो,वो प्रेम भंग होगा और यदि ये रेखा शुक्र पर्वत पर अन्य आड़ी तिरछी छोटी रेखाओं से कट रही हो,वो प्रेम सम्बन्ध वासनात्मक और अंत में बड़ा विवादस्थ होकर समाप्त होता है,उसमें मानहानि आदि या जेल तक उठानी पड़ती है।
उपाय:-मंगल पर्वत दबा हो,तो अनामिका ऊँगली में त्रिकोना मूंगा चाँदी या सोने में शुक्लपक्ष के मंगलवार को पहनना चाहिए।
-अन्यथा तीन धातु की बनी सोने,ताँबे,चांदी का छल्ला पहनना चाहिए।
-क्रोध बढ़ा रहने पर कलाई पे प्रत्येक महीने की पूर्णमासी को कलावा बांधकर रखें और आगामी पूर्णमासी को बदलकर फिर पहन ले,तो मंगल का सभी दोषों में बड़ी शांति और लाभ मिलेगा।

मंगली दोष या मंगल की अशुभता के कारण सदा व्यक्ति को उसका विवाह योग और उसका सुख नहीं मिलकर निरन्तर टलता रहता है और उचित वर या कन्या मिलने पर भी रिश्ता नहीं हो पा रहा हो और प्रेम सम्बन्ध में निरन्तर असफलता और ग्रहस्थ सुख भंग होकर में प्रेम और शांति नही मिले तो करें तुरन्त ये अचूक उपाय:-

विशेष ध्यान विधि:-किसी भी समय में घर में या ऑफिस में समय मिले तो कुर्सी पर ही या पूजाघर में या बिस्तरे पर हो सीधे बैठकर ध्यान मुद्रा बनाते हुए अपनी अनामिका ऊँगली को थोडा देर दूसरे हाथ की उँगलियों से हल्के से सहलाये और दोनों पर्वतों को भी अंगूठे से दबाते हुए सहलाये और अब जब उसमें स्पर्श का अच्छा सा अनुभव हो तब आँखे बन्द करके अपने गुरु मन्त्र,जो की सबसे उत्तम रहता है या गुरु चालीसा का पाठ या ॐ मंगलायै नमः या हनुमान चालीसा का पाठ उसी ऊँगली और उन पर्वतों का ध्यान मन ही मन में करते जपे या पढ़े और जितनी देर सम्भव हो ऐसा करें,यदि रोज 1 मिनट भी कर लिया जाये,तो जानना सभी प्रकार के मंगल दोष कम होकर बड़ी शांति और चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।इसमें किसी रत्न पहनने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

 

“इस लेख को अधिक से अधिक अपने मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों को भेजें, पूण्य के भागीदार बनें।”

अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं? घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
अगर आप इस तरह की कोई भी समस्या अपने जीवन में महसूस कर रहे हैं तो एक बार श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के पास जाएं और आपकी समस्या क्षण भर में खत्म हो जाएगी।
माता पूर्णिमाँ देवी की चमत्कारी प्रतिमा या बीज मंत्र मंगाने के लिए, श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज से जुड़ने के लिए या किसी प्रकार की सलाह के लिए संपर्क करें +918923316611

ज्ञान लाभ के लिए श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के यूटीयूब

https://www.youtube.com/channel/UCOKliI3Eh_7RF1LPpzg7ghA से तुरंत जुड़े।

 

 

******

 

श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः

Follow us :

Check Also

Chandrashekhar Bawankule ने Saif Ali Khan पर हमले को लेकर कही ये बात

सैफ अली खान पर हमले को लेकर राजनीति हो रही है। विपक्ष आरोप प्रत्यारोप लगा …

11 comments

  1. Pingback: हस्तरेखा विज्ञान (भाग-5) हाथ में शनि पर्वत के महत्त्व को जानें, साथ ही जीवन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव

  2. Pingback: हस्तरेखा विज्ञान (भाग-5) हाथ के अंगूठे से करें भविष्य का अध्ययन, और जाने जीवन की बहुत सारी बातें : श्

  3. Pingback: हस्तरेखा विज्ञान (भाग-6) हाथ के अंगूठे से करें भविष्य का अध्ययन, और जाने जीवन की बहुत सारी बातें : श्

  4. Pingback: हस्तरेखा विज्ञान (भाग-11), अगर आपके हाथ में चंद्र पर्वत है, तो जानिए उसके शुभ अशुभ लाभ, बता रहे हैं श्र

  5. Pingback: हस्तरेखा विज्ञान (भाग-12), हाथ की रेखाएं पढ़ने के सरल उपाय जाने, और जाने अपने भविष्य की महत्त्वपूर्ण ज

  6. Pingback: तंत्रा त्राटक (भाग-1) से कैसे प्राप्त करें अन्तर्द्रष्टि, इससे कैसे कर सकते हैं गहन अध्ययन जाने सब

  7. Pingback: आकाश गमन और आसन उत्थान क्रिया योग को जानिये, जानिए इसके रहस्य को, बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वाम

  8. Pingback: किन वजहों से नवग्रह होते हैं नाराज? किन वजहों से नवग्रह अप्रसन्न हो डालते हैं कुदृष्टि? बता रहे है

  9. Pingback: तंत्र-मंत्र, काला जादू और तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा हेतु सिद्ध करें काली कौड़ी, घर-परिवार में परे

  10. Pingback: बिहार, जहानाबाद सांसद डॉ० अरुण कुमार के जन्मदिन पर माही गुप्ता की विशेष रिपोर्ट – Khabar 24 Express India's Leadin

  11. Pingback: भगवान विष्णु के कल्कि अवतार अब नहीं, बल्कि अब होंगे स्त्री शक्ति अवतार : श्री सत्यसाहिब स्वामी सत

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp