पीएम मोदी आज अपने पूरे लाव लश्कर के साथ त्रिपुरा गए हुए थे। जहां पर त्रिपुरा में भाजपा की सरकार का सपथ ग्रहण समारोह था। आरएसएस के बड़े-बड़े नेता भी मंच पर मौजूद थे। वहीं भाजपा के तारणहार कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी मंच पर मौजूद थे।
जैसे ही पीएम मंच पर आए पार्टी के सभी नेता उनका स्वागत करने लगे। सब हाथ जोड़कर खड़े हो गए। उनमें से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी थे जो पीएम का स्वागत करने के लिए हाथ जोड़े खड़े थे लेकिन पीएम मोदी अपनी ही पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता को इग्नोर करते हुए आगे बढ़ गए।
बता दें कि आज त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में विप्लव देव का मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ समारोह था। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम माणिक सरकार भी शामिल मंच पर मौजूद थे। राज्यपाल तथागत रॉय ने उपमुख्यमंत्री के रूप में जिष्णु देव शर्मा समेत नौ मंत्रियों को शपथ ली दिलाई।
त्रिपुरा में यह पहला मौका था जब भाजपा ने इतनी बड़ी जीत हासिल की हो। तो उस जीत को और बड़ा बनाने के लिए बड़े जश्न का आयोजन किया गया था। इस जश्न को मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, राम माधव, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के अलावा बीजेपी शासित राज्यों के अधिकतर मुख्यमंत्री भी गवाह बनें।
“लेकिन जश्न के दौरान कुछ ऐसा घटा जिसकी कल्पना वहाँ पर मौजूद शायद ही किसी नेता ने की हो।’
पीएम मोदी के मंच पर आते ही सभी नेता उनके सम्मान में हाथ जोड़कर खड़े हो गए। पीएम मोदी भी एक-एक करके सभी नेताओं के पास जाकर उनका अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। लेकिन मंच पर मौजूद लालकृष्ण आडवाणी को अनदेखा कर पीएम मोदी आगे बढ़ गए और लालकृष्ण आडवाणी हाथ जोड़े खड़े रहे। इस दौरान भाजपा के तारणहार लालकृष्ण आडवाणी कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए।
बता दें कि पीएम मोदी ने मंच पर आते ही हाथ जोड़कर पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का अभिवादन स्वीकार किया, फिर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास गए। लेकिन जैसे ही आडवाणी सामने आए मोदी ने अपना हाथ नीचे कर लिया और उन्हें अनदेखा करते हुए त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार की तरफ चले गए और उनसे बात करने लगे।
इस दौरान भाजपा के सबसे वरिष्ठम नेता कहे जाने वाले 90 वर्षीय आडवाणी की लाचारी देख किसी को भी तरस आ जाए। आडवाणी मोदी के सामने हाथ जोड़े काफी देर तक खड़े रहे लेकिन मोदी ने उनकी तरफ मुड़कर भी नहीं देखा।
एक वक्त था जब बीजेपी का मतलब ही ‘लालकृष्ण आडवाणी’ हुआ करता था। आडवाणी बीजेपी के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते थें। उस वक्त मोदी का राजनीतिक कद आडवाणी के सामने कुछ भी नहीं था। वे लालकृष्ण आडवाणी ही थे जिनके सिफारिश से मोदी को गुजारत में टिकट मिल और वो वहां के मुख्यमंत्री बनें।
इसके अलावा लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी को खड़ा करने में जो योगदान दिया वो शायद कभी भाजपा के इतिहास से मिट तो नहीं पायेगा। उन्होंने पार्टी को यहां तक लाने के लिए जिस तरह संघर्ष किया। आज वो पूरी तरह से धूमिल था।
लेकिन एक बड़ा सवाल, वहां पर मौजूद बहुत से नेताओं के मन में जरूर आया होगा कि क्या जीत का अहंकार इतना बड़ा हो सकता है कि अपनी ही पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता का इस तरह अपमान कर दे।
एक न्यूज एजेंसी ने इस घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह वीडियो इतना वायरल हुआ कि सभी के मोबाइल में जा पहुंचा।
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मनीष कुमार
ख़बर 24 एक्सप्रेस