गुजरात चुनाव जैसे-जैसे अपने अंतिम पड़ाव पर हैं वैसे-वैसे गुजरात में राजनीति बढ़ती जा रही है। ऐसे वक्त में एक जरा सी चूक किसी भी पार्टी के लिए बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है।
गुजरात में दलित शक्ति केंद्र ने 125 फुट चौड़ा और 83.3 फुट ऊंचा राष्ट्रध्वज मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को देना चाहा लेकिन मुख्यमंत्री ने वहाँ जाने से इनकार ही नहीं बल्कि राष्ट्रध्वज लेने से भी मना कर दिया जिसके बाद राजनीति और गरमा गयी।
विपक्ष ने राष्ट्रध्वज का अपमान बताया तो वहीं लोगों ने मुख्यमंत्री के इस व्यवहार का जबर्दस्त विरोध किया।
आपको बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए मतदान की तारीखें नजदीक हैं। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां अपना-अपना किला फतह करने की कोशिशों में लगी हैं और सभी जाति धर्मों के लोगों को मनाने में लगे हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री के इस व्यवहार से के हर कोई स्तब्ध है। इसी वजह से लोग अपनी नाराजगी साफ तौर पर ज़ाहिर कर रहे हैं।
लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने तुरंत इसको स्वीकारते हुए अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान दलित शक्ति केन्द्र का भी दौरा करने का ऐलान किया और साथ ही कहा कि वो दलित शक्ति केन्द्र पर राहुल गांधी राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान के साथ स्विकारेंगे। दलित शक्ति केंद्र द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक ये भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज, है जो 125 फुट चौड़ा और 83.3 फुट ऊंचा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस भेद भाव भरे रवैये को देखते हुए राहुल गांधी भारत को छुआ छूत जैसी कुप्रथाओं से मुक्त करने के लिए शपथ लेंगे।
वो कल शुक्रवार को दलित केन्द्र का दौरा करेंगे।
पहले दलित केन्द्र ने यह राष्ट्रीय ध्वज गुजरात के सीएम विजय रुपाणी को पेश किया था और उन्हें बाबा साहेब की तरह छुआ छूत प्रथाओं को खत्म करने की शपथ लेने के लिए कहा था। उस समय विजय रुपाणी ने इस राष्ट्रीय ध्यज को लेने से इंकार कर दिया था। गुजरात के सीएम की ओर से गांधीनगर कलेक्ट्रेट के अधिकारियों ने कहा था कि उनके पास राष्ट्रीय ध्वज रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री इस ध्वज को नहीं ले सकते हैं।
दलित शक्ति केन्द्र का दौरा कर और इस राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार करने से राहुल गांधी को गुजरात विधानसभा चुनावों में इसका लाभ मिल सकता है। ज्ञातव्य है कि गुजरात में 7 फीसदी दलित मतदाता हैं। वहीं गुजरात की 182 सीटों में से 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। हांलांकि गुजरात में दलित मतदाताओं पर बीजेपी की मजबूत पकड मानी जाती है। लेकिन मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस भेद भाव वाले रवैये से दलितों में खास रोष है जिसकी वजह से भाजपा की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 13 में से 10 सीटें जीती थी लेकिन इस बार दलित नेता जिग्नेश मेवाणी बीजेपी के खिलाफ मोर्चे पर हैं। जिग्नेश ने बीजेपी को दलित, गरीब और संविधान विरोधी बताया है। ऐसे में राहुल गांधी का दलित शक्ति केन्द्र दौरा उन्हें गुजरात चुनावों में इन 13 सीटों पर इस बार लाभ पहुुंचा सकता है।
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