1993 में हुए सीरियल बम धमाकों से देहली मायानगरी मुम्बई अभी तक जख़्म हरे हैं। लगभग 24 सालों से चले आ रहे इस मामले में अभी तक दोषियों को सजा नहीं हुई है। कुछ जेल में हैं तो कुछ अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं।
मुम्बई में ऐसा पहला धमाका था को सिलसिलेवार तरीके से अंजाम दिया गया था। इन हमलों में 257 लोग मारे गाये थे और 713 घायल हुए थे।
इस मामले में साल 2006 में सबसे बड़ा फैसला आया था ,123 लोगों को दोषी बनाया गया था जिनमें 100 को सजा सुनाई गई थी बाकी 23 को बरी कर दिया गया था।
याकूब मेनन को 2015 में फांसी दी जा चुकी है लेकिन असली दोषी दाऊद और उसके भाई अभी भी पकड़ से बाहर हैं।
1993 के मुंबई सीरियल बम धमाका केस में टाडा की स्पेशल कोर्ट ने अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट, करीमुल्ला शेख और रियाज सिद्दीकी को दोषी करार दिया था, जबकि अब्दुल कय्यूम को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। मुस्तफा दोसा की मौत के चलते विशेष टाडा कोर्ट अब पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाएगी।