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Right to Privacy (निजता का अधिकार) क्या वाकई बदल जाएगी आपकी जिंदगी.. जानें क्या-क्या होंगे आपके मौलिक अधिकार

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राइट तो प्राइवेसी यानि निजता का अधिकार से वाकई आपकी जिंदगी बदल जाएगी। अगर साफ शब्दों में आपको बताएं तो अब आपकी निज़ी जानकारी को कोई भी लीक नहीं कर सकता है। यानि कि आपकी निज़ी जानकारी किसी भी तरह सार्वजनिक करने का किसी को अधिकार नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राइट टू प्राइवेसी पर फैसला देने के बाद अब आपके पैन कार्ड, आधार कार्ड और क्रेडिट कार्ड की जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं जा सकेगी। कोर्ट ने साफ किया है कि निजता के अधिकार की सीमा तय होगी। अगर कोई इस फैसले का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ केस भी दर्ज कर सकेंगे।

निजता के अधिकार पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मौलिक अधिकार है। आधार कार्ड योजना को दी गई चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। 9 जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि आधार की सूचना लीक नहीं कर सकते, साथ ही निजता की सीमा तय करना संभव नहींं है। आधार पर अलग बेंच का आएगा फैसला, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये जरूर कहा है कि आधार और पैन की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इससे पहले दो अगस्त को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि निजता को मौलिक अधिकार कहा जा सकता है लेकिन यह पूरी तरह से अनियंत्रित नहीं है यानी शर्त विहीन नहीं है। ऐसे में निजता के अधिकार को पूरी तरह से मौलिक अधिकार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

 

निजता को जीवन जीने का अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़कर नहीं देखा जा सकता। संविधान सभा में निजता के अधिकार को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन इसे संविधान का हिस्सा नहीं बनाया गया। निजता का अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार की ‘उप प्रजाति’ है। लिहाजा हर ‘उप प्रजाति’ को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता।

मालूम हो कि आधार मामले पर सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय पीठ के पास याचिकाकर्ताओं का दावा किया जा रहा था कि आधार, निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पांच सदस्यीय पीठ ने निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं, इस मसले पर अंतिम व्यवस्था के लिए इस मसले को नौ सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया था।

 

क्या होगा इससे फायदा :

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कोई भी व्यक्ति निजी जानकारी के जरिए आपकी जासूसी नहीं कर सकेगी। इस फैसले के बाद पैन, क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट और टिकट बुकिंग के लिए आप जो भी अपनी पर्सनल जानकारी देते हैं, उसको कोई भी तीसरा व्यक्ति लीक या फिर सार्वजनिक नहीं कर सकता है।

सीधे सर्च वारंट से रेड नहीं कर सकेगी पुलिस
अब कोर्ट के फैसले के बाद सरकारी एजेंसियों और थर्ड पार्टी के लिए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा। मान लिजिए आपके घर पर पुलिस की रेड पड़ती है और उनके पास सर्च वारंट है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस सीधे तौर पर आपके घर में नहीं घुस सकेगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि अगर कोई व्यक्ति बैंक में नया खाता खुलवाने जाता है या फिर पैन कार्ड बनवाता है, तो सरकार या एजेंसियों द्वारा मांगे जाने वाली जानकारी आपको देनी होगी। आप किसी भी तरह की जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकते हैं। लेकिन सरकार, इनकम टैक्स, बैंक इसको किसी भी हालत में लीक नहीं कर सकते।

 

कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंक और टेलिकॉम कंपनियां अपने कस्टमर का डाटाबेस थर्ड पार्टी को नहीं बेच सकेंगी। पहले थर्ड पार्टी कंपनियां मोबाइल कंपनियों और बैंक से खरीद लेती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

 

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि आधार कार्ड को पैन से लिंक करने से जाली पैन कार्ड पर रोक लगेगी और लोगों को राइट टू प्राइवेसी का अधिकार है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।

 

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