लालू की “भाजपा भगाओ” रैली के चक्कर में लगता है लालू अलग थलग पड़ गए हैं। जैसे भाजपा ने कभी कांग्रेस मुक्त नारा दिया था। ऐसे ही लालू भाजपा भगाओ रैली कर रहे हैं। लालू की ‘भाजपा भगाओ रैली’ में तमाम दिग्गज नेताओं ने दूरी बना ली है।
इस रैली में सोनिया गांधी, मायावती, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी जैसे सरीखे नेता शामिल होने थे लेकिन इन नेताओं ने अचानक से लालू की रैली से दूरी बना ली है।
बता दें कि लालू इस रैली के माध्यम से बिहार में आरजेडी की सियासी जमीन को बचाने में लगे हैं।
इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती भी रैली में शामिल होने से इनकार कर चुकी हैं। मायावती ने जहां नहीं आने के संकेत दे दिए, वहीं मुलायम रैली में अखिलेश के साथ दिखेंगे इसकी उम्मीद भी कम है। ये तीन चेहरे बेशक यूपी की सियासत से हैं।
वैसे लालू और उनका परिवार 27 अगस्त को विपक्षी एकता को दिखाने की पूरी तैयारी में लगा है। बसपा सुप्रीमो के इस रैली में शामिल नहीं होने की सूचना को वे निराधार बता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि लालू सार्वजनिक मंच से मायावती को राज्यसभा भेजने की बात कह चुके हैं, इसके बाद मायावती का राजद की रैली में शामिल न होना बताता है कि राजनीतिक सौदेबाजी में अभी सही मूल्यांकन का सबको इंतजार है।
वैसे कांग्रेस और वाम दल के अलावा अब तक इस रैली को लेकर अन्य किसी दल ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जबकि भाजपा विरोधी 18 दलों को निमंत्रण भेजा गया है। ममता पहले जरूर पटना आने की बात कही थीं, लेकिन उनके ताजा बयान प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनके नरम रुख को दिखा रहा है।
शरद यादव को लेकर भी यह चर्चा राजनीतिक गलियारे में चल रही है कि राजग में उनके बेटे के लिए जगह नहीं बन रही थी, जबकि जदयू से अलग होकर उन्होंने बेटे के लिए बिहार और दामाद के लिए हरियाणा में जमीन पा ली है।
जदयू की मानें तो यह भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार के समर्थन में रैली हो रही है। जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि रैली में वही शामिल होंगे जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद के संरक्षक हैं। इधर, कहा जा रहा है कि राजद सुप्रीमो 27 की रैली को बाढ़ के मद्देनजर कुछ दिनों के लिए टाल सकते हैं।