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एस.एन विनोद की कलम से …. तीन तलाक पर खबरिया घाल-मेल

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ले कर आरंभ में खबरिया चैनलों ने पहले हम-पहले हम की दौड़ में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। 10.30पर मुख्य न्यायाधीश ने फैसला पढ़ना शुरू किया, और आदत के अनुसार,पहले खबर ब्रेक करने की ललक में मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपना फैसला पढ़ने के बीच में ही सभी चैनलों ने ब्रेकिंग न्यूज़ चला दी कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को संवैधानिक माना, कोर्ट ने दखल देने से इनकार किया, कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक बरकरार रहेगा,कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक नागरिक के मूलभूत अधिकारों पर चोट नहीं, सरकार को संसद से6महीने के अंदर कानून बनाने को कहा।पूरे देश में ये खबर फैल गई ।

बाद में जैसे-जैसे अन्य जजों के फैसले पढ़े गये , स्थिति साफ हुई।5 में से 3 जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक माना।तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगा दी गई।खबरें चलीं, तो स्थिति साफ हुई।
असल में, मुख्य न्यायाधीश श्री खेहर ने पहले अपना फैसला पढ़ा, जो तीन तलाक बरकरार रखे जाने के पक्ष में था, संवैधानिक करार दिया था उन्होंने।संवाददाताओं ने उसे ही कोर्ट का फैसला मान ब्रेकिंग न्यूज़ चला दीं।इसी कारण भ्रम पैदा हुए।
खैर, पूरे देश ने इस फैसले का स्वागत किया है।कुछ कट्टरपंथियों को छोड़ दें, तो मुस्लिम समुदाय ने भी फैसले का स्वागत किया है।आज इस फैसले से एक कुप्रथा का अंत हुआ। ऐसे तीन तलाक की आड़ में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार किए जाते रहें हैं।चाहे तो शोषण भी कह लें।अब, उम्मीद है कि ऐसेअत्याचार-/शोषण बंद हो जाएंगे।

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