आप सभी लोगों से अपील, अगर आप गोरखपुर के आसपास के इलाके से हैं तो ये ख़बर आपके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। अगर आपका उस क्षेत्र में कोई रहता है तब भी ये ख़बर आपके लिए उतनी ही जरूरी है।
आप जानते ही हैं कि गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में क्या हुआ है? अब तक 80 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं और ये त्रासदी अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है।
डॉ0 स्वतंत्र ने कुछ उपाय बताएं हैं। इन उपायों को करने मात्र से इस त्रासदी से निपटा जा सकता है और बहुत सारे मासूमों को बचाया जा सकता है।
डॉ0 स्वतंत्र जैन :–
आप जानते ही हैं कि उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के BRD Medical College में विगत एक हफ्ते में तथाकथित ऑक्सीजन की कमी के कारण साठ से ज्यादा बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब सभी न्यूज चैनल और सोशल मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा।
आज पक्ष-विपक्ष, सरकार, मीडिया आदि सभी लोग वहीं पर Camp किये हुए हैं.
अस्पताल का पूरा प्रशासन, जिला प्रशासन, राज्य सरकार आदि सभी चाक चौबंद हैं; .
लेकिन इलाज में सभी सावधानी रखने पर भी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 14 घंटे में यानी रात 12 बजे से लेकर आज दोपहर 2 बजे तक 8 बच्चों की और मृत्यु हो चुकी है.
आज तो ऑक्सीजन की कोई भी कमी नहीं रही है, फिर भी अभी भी बच्चे मर रहे हैं.
इस बात से पता चलता है कि यह समस्या बहुत गंभीर है और बताई जा रही ऑक्सीजन की कमी से इसका बहुत ज्यादा सम्बन्ध नहीं है.
इस भयानक बीमारी को समझने के लिए आपको भारत-नेपाल सीमा के किसी गांव में जाना होगा.
वहां पर अभी अभी धान का season है। चारों ओर खेतों में पानी भरा हुआ है। इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है। धान की खेती के समय उस क्षेत्र में इंसेफ़्लाइटिस Encephalitis एवं मेननजाइटिस Meningitis या बोलचाल की भाषा में दिमागी बुखार का खतरा रहता है। भारत में 182 ज़िले इस बीमारी की चपेट में हैं।
जब किसी व्यक्ति को क्यूलेक्स मच्छर काट लेता है तो उसको जापानी इंसेफ़्लाइटिस या जेई हो जाता है। इसे मस्तिष्क ज्वर भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति के मस्तिष्क के अंदर पेरेनकाइमा में सूजन हो जाती है। जिससे ब्रेन स्टेम और थैलमा को नुक़सान होता है। इस बीमारी में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। इस बीमारी में ऑर्गन फ़ेल्योर का डर रहता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इस बीमारी से अपंगता भी हो जाती है।
बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इसकी चपेट में ज्यादातर आते हैं।
अगर इन मरीजों का तुरंत Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है।
लेकिन आज हमारे गांवों में समस्या यह है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है।
जब बुखार तेज़ हो जाता है तो उस गाँव के ही किसी झोला छाप डॉ. के पास ले जाते हैं। एक दो दिन उसके चक्कर में भी बर्बाद हो जाते हैं। तब तक बच्चा मरणासन्न हो जाता है, तब वे लोग अपने बच्चे को लेकर PHC पहुंचते हैं.
वहां से डॉ. उसे Referral hospital यानी BRD medical College के लिए refer कर देते हैं। यहां तक आते आते बच्चा क्रिटिकली बीमार हो जाता है.
फिर उसे महँगी दवाइयों के साथ ऑक्सीजन भी लगाना होती है, लेकिन फिर भी ऐसे क्रिटिकल मरीजों की रिकवरी रेट कम ही रहती है.
• मस्तिष्क ज्वर के लक्षण
तेज़ बुखार, सिर दर्द, लाल आंखें, थकान, चिड़चिड़ापन, मुंह से झाग निकलना, झटके लगना, बेहोशी, सांस लेने में दिक्कत, दांत बंध जाना, आंखें चढ़ जाना, हाथों पैरों में अकड़न आदि मस्तिष्क ज्वर के लक्षण होते हैं।
आपके गाँव के किसी भी बच्चे को यह बीमारी न हो, इसके लिए आप बारिश के इन महीनों में शुरू में ही उसे हर माह तीन दिन तक –
युपेटोरियम पर्फ 30, आर्सेनिक 30, बेलाडोना 30, ब्रायोनिया 30, जेल्सीमियम 30 को मिलाकर बनी दवाई की छः पिल्स को दिन में दो बार चूसने को दें.
फिर भी अगर किसी को यह बीमारी हो जाये, तो आप निम्न उपचार करें –
1. युपेटोरियम पर्फ 30, आर्सेनिक 30, बेलाडोना 30, ब्रायोनिया 30, जेल्सीमियम 30 को मिलाकर बनी दवाई की छः पिल्स को दिन में दो बार चूसने को दें.
2. तुलसी से बनी ओसिमम सैक्टम Q तथा नीम से बनी एजाडिरेक्टा इण्डिका Q को आपस मे मिलाकर प्रतिदिन केवल 15 बूँद आधे कप पानी में हर दो-दो घंटे में लेते रहे.
3. फेरम फास 6X, केलकेरिया फास 12X, काली फास 6X, काली म्यूर 6X, नेट्रम म्यूर 6X, नेट्रम सल्फ़ 6X, मेगनेशिया फास 6X, साइलीसिया 12X दवाई में से प्रत्येक की दो-दो गोली एक कप कुनकुने पानी में डालकर उसे हर दो घंटे में दो चम्मच पीने को दें.
4. तीन दिन में हालत में सुधार न दिखे, तो तत्काल पास के किसी बड़े हॉस्पिटल में ले जाएँ.
• कायाकल्प करें, स्वस्थ रहें, स्वस्थ करें –
आज की इस भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में आपके पास अपने खुद के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का भी समय नहीं रहता है.
लेकिन जब इस लापरवाही की आपको बहुत बड़ी सजा बीमारी के रूप में मिलती है, तब तक बहुत देर हो जाती है.
लगभग रोज ही मेरे स्वास्थ्य सम्बन्धी लेख आते हैं और बहुत से लोग रोज ही मुझ से अपनी बीमारी का उपचार लेते रहते हैं और मेरे से मोबाइल पर भी डिटेल में अपनी बीमारी के बारे में बताते हैं, ताकि मैं उचित निदान कर दवाई दे सकूँ.
फिर भी अक्सर मुझे उन्हें बताना पड़ता है कि किसी भी बीमारी के पूर्ण रूप से ख़त्म होने के लिए सिर्फ दवाई से ही काम नहीं चलता है और उन्हें हमेशा स्वस्थ रहने के लिए उन बताई गयी होम्योपैथी की दवाइयों के साथ ही नियमित रूप से अपने पूरे परिवार व बच्चों के साथ कायाकल्प कर अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग भी करते रहना चाहिए.
इसलिए आप सभी से भी मैं पुनः निवेदन करता हूँ कि आप भी सिर्फ दस मिनिट का समय अपने स्वास्थ्य को दें और पूरे परिवार व बच्चों के साथ अपने शरीर की नियमित रूप से मेरे बताये अनुसार ओवरहालिंग और रिचार्जिंग हमेशा करते रहें और खान-पान और एक्सरसाइज भी बताये अनुसार करते रहे, ताकि आप और आपके परिवार को कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, डिप्रेशन, चर्म रोग आदि किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं होगी.
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अगर उत्तरप्रदेश सरकार चाहे तो हमारा मुक्तियाँ ट्रस्ट पूर्वांचल के 10 जिले, बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई वाली paddy belt क्षेत्र में मुक्तियाँ स्वास्थ्य मित्र बना सकती है और उनको अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उचित ट्रेनिंग देकर अपने-अपने क्षेत्र की जिम्मेवारी दे सकती है, ताकि भविष्य में फिर किसी माँ को अपना लाल खोना न पड़े.
* काउंसलिंग –
किसी भी तरह की बीमारी, परेशानी, लाचारी, कठिनाई की निशुल्क काउंसलिंग तथा उचित समाधान हेतु कृपया आप उम्र, शिक्षा, बचपन से आज तक की बीमारी या परेशानी की हिस्ट्री, पसंद, नापसंद आदि जानकारी के साथ फेसबुक के muktiya के मेसेज बाक्स में लिखें या संपर्क करें
डॉ. स्वतंत्र जैन
अध्यक्ष : मुक्तियाँ विश्व शांति, सुख, सम्रद्धि ट्रस्ट
मोब. : 07777870145
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