किसी भी बड़े चुनाव की जैसे ही वोटिंग ख़त्म होती है सभी टीवी चैनल वाले अपना अपना पिटारा खोलने लग जाते हैं और जीत का दावा ऐसे ठोकते हैं जैसे कि उन्होंने वोट पड़ते हुए देखे थे या गिनती के लिए ईवीएम मशीन सबसे पहले उनके पास आई हों।
वोटिंग ख़त्म होने के 3-4 दिन बाद रिजल्ट आ जाता है तो इतनी आपाधापी कैसी?
दिल्ली में अभी 2 दिन पहले एमसीडी चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हुई है, जैसे ही वोटिंग ख़त्म हुई सभी चैनल्स ने एक ख़ास पार्टी को जिताना शुरू कर दिया, इसे ख़ास पार्टी से लगाव कहें या दबाव, रिजल्ट चाहे जो हो, या जीत किसी की भी हो, जब रिजल्ट आना ही है और वो भी वोटिंग के 3-4 दिनों में तब इतनी मारामारी क्यों? इतना ही नहीं चैनल्स नेताओं को बुला कर डिबेट शुरू कर देते हैं और उनकी हार का आंकलन भी शुरू हो जाता है, जबकि यही नहीं पता होता कि उस पार्टी की हार हुई है या जीत बाबजूद इसके सभी मिलकर एक दूसरे के ऊपर छींटाकसी करने लग जाते हैं।
ये एग्जिट पोल हमेशा सच नहीं होते, कितनी बार झूंठे भी साबित हुए हैं लेकिन बाबजूद इसके खूब जोर शोर से दर्शाने की कोशिश करते हैं और सभी चैनल टीआरपी की होड़ में लगकर अपनी मर्यादा भी भूल जाते हैं, कई बार कुछ ख़ास चैनल पार्टी के प्रवक्ता के रूप में काम करते हैं, यानि कि सवाल नेता से पूंछा लेकिन जबाव या बहस चैनल के एंकर से मिली।
मीडिया नेताओं के हाथ की ऐसे कठपुतली बन चुका है कि वो अपने समर्थित नेता के बारे में ज़रा सी बात नहीं सुन सकता है।
पार्टी, नेताओं का खुला समर्थन आजकल टीवी चैनल और प्रिंट मीडिया का ट्रेंड बन गया है और यही वजह है कि रिजल्ट आने से पहले वो अपनी पार्टी को जिता देते हैं।
मनीष कुमार
Discover more from Khabar 24 Express Indias Leading News Network, Khabar 24 Express Live TV shows, Latest News, Breaking News in Hindi, Daily News, News Headlines
Subscribe to get the latest posts sent to your email.