लाखेरी की ऐतिहासिक तोरण की बावड़ी जो कि प्राचीन धरोहर है, किंतु प्रशासन की अनदेखी से अपनी पहचान खोती जा रही है। बता दें की बूंदी दरबार द्वारा जिले में कई बावडियों का निर्माण करवाया था इसके तहत लाखेरी में भी राजाओं द्वारा कई बावडियों का निर्माण करवाया, यह प्रमुख बावड़ी है जिसे तोरण की बावड़ी के रूप में जाना जाता है। इस बावड़ी की पुरानी मान्यता है कि यहां पर तोरण मारा गया था। जिसके बाद इस बावड़ी का नाम तोरण की बावड़ी रखा गया
यह बावड़ी अपनी प्राचीन शैली एवं भव्यता के कारण आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इस बावड़ी में आसपास के क्षेत्र में जो भी धार्मिक कार्यक्रम होते हैं उसमें इसी बावड़ी के पानी का उपयोग किया जाता है। इस बावड़ी में किसी भी व्यक्ति को कपड़े धोने एवं नहाने की इजाजत नहीं है। यह तोरण की बावड़ी अपनी बनावट, धार्मिक मान्यता एवं अपने आप में कई महत्व रखती है।
किंतु हमें बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इस बावड़ी के महत्व को जानते हुए भी इस पर किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है, इस कारण यह बावड़ी अपनी सुंदरता को दिनों दिन खोती जा रही है।
आपको बता दें कि इसी बावड़ी से जलदाय विभाग लाखेरी द्वारा boosting se पानी की सप्लाई की जाती है जिससे लाखेरी की जनता की प्यास बुझती है। लेकिन सबसे बड़ी बात कि इस बावड़ी में एक सूअर पानी पर तैरता हुआ नजर आया, इस पर जनता द्वारा प्रशासन को अवगत करवाया गया, नगर पालिका प्रशासन ने पानी से सूअर को बाहर निकाला। यह सूअर 2- 3 दिन से इसी पानी में मरा हुआ देखा गया था। जलदाय विभाग लाखेरी इसी बावड़ी के पानी से लेकर बूस्टिंग द्वारा लाखेरी क्षेत्र की जनता को पानी उपलब्ध कराता है। जिसे लोग नहाने व पीने के पानी के रूप में उपयोग करती है।