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Home / Breaking News / क्या वाकई प्रभावी है कोरोना वैक्सीन? पीएम मोदी या उनके मंत्रिमंडल आगे आकर पहले क्यों नहीं लगवा रहे हैं कोरोना का टीका? Manish Kumar Ankur, Khabar24 Express

क्या वाकई प्रभावी है कोरोना वैक्सीन? पीएम मोदी या उनके मंत्रिमंडल आगे आकर पहले क्यों नहीं लगवा रहे हैं कोरोना का टीका? Manish Kumar Ankur, Khabar24 Express





भारत में पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीन के टीके की शुरुआत कर दी है। भारत में पहले 2 लाख लोगों को सबसे पहले कोरोना का टीका लगाया जा रहा है। लेकिन वहीं इस वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। एक न्यूज चैनल के सर्वे में 65 फीसदी भारतीय कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते हैं।



यही नहीं WHO ने भी कोरोना वैक्सीन को 60-65 प्रतिशत तक ही प्रभावी बताया है। यानि कि वैक्सीन 100 प्रतिशत तक प्रभावी नहीं है।

वहीं कुछ हिन्दू धर्म गुरु भी वैक्सीन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। धर्म गुरुओं का कहना है कि भारत में आयुर्वेद है, होम्योपैथी है। इनसे हर बीमारी का इलाज संभव है वो भी शरीर को बिना नुकसान पहंचे।



भारत में टीकाकरण के लिए तैयार कोरोना वैक्सीन अभी पूरी तरह प्रभावी भी नहीं है और ना ही इसका परीक्षण सत्यापित हो पाया है तो ऐसे में पीएम मोदी कोरोना वैक्सीन को कैसे लगवा रहे हैं?



बता दें कि खुद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना वैक्सीन को बाद में लगवाने की बात कही है जबकि वे दो बार कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, तो क्या उन्हें पहले कोरोना वैक्सीन लगवाकर मिसाल पेश नहीं करनी चाहिए?


एक याचिका के जबाव में पीएम मोदी ने मंत्री, सांसद विधायकों को पहले कोरोना टीका लगाने की बात को नकार दिया।

जबकि रूस, इजरायल, अमेरिका, जापान, इंग्लैंड जैसे कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने पहले कोरोना का टीका लगवाकर मिसाल पेश की और लोगों के सवालों को खत्म कर दिया।

“तो क्या भारत में ऐसी मिसालें पेश नहीं की जा सकती हैं?”


पीएम मोदी कोरोना को भगाने के लिए थाली, ताली, संख बाजवा सकते हैं, दीपक जलवा सकते हैं तो क्या भारत के 130 करोड़ लोगों के लिए टीका नहीं लगवा सकते हैं?



बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड व भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी मिली है।


हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन की डोज ली लेकिन टीका लगवाने के बाद उन्हें फिर दोबारा कोरोना हो गया। मध्यप्रदेश में कोरोना के टीके के बाद तीन लोगों की मौत की खबर है। पुर्तगाल में भी कोरोना के टीके को लगवाने के बाद एक लड़की की मौत हो गयी। तो क्या ऐसे में सवाल नहीं उठने चाहिए?

पक्ष विपक्ष के बड़े नेता, मंत्री टीका लगवाने के लिए मना कर रहे हैं, बाबा रामदेव ने साफ कर दिया कि वे कोरोना का टीका नहीं लगवाएंगे? तो क्या इन लोगों को कोरोना नहीं होगा या हुआ नहीं है?

कोरोना के टीके को प्रामाणिक करने के लिए पीएम मोदी व उनके मंत्रिमंडल को सबसे पहले सामने आना चाहिए। वे पहले खुद के शरीर पर परीक्षण करवाएं इसके बाद आमजन को टीके के लिए कहें।

लेकिन इसकी क्या प्रमाणिकता है कि वैक्सीन के शरीर पर दुष्परिणाम नहीं होंगे या वैक्सीन दुष्प्रभावी नाहीं होगी?

यूपी के मुरादाबाद में भी कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो गयी। वैसे स्वास्थ्य विभाग इसको वैक्सीन की वजह से मौत नहीं बता रहा है, जबकि स्वास्थ्यकर्मी के घरवाले वैक्सीन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

अब ऐसे में लोगों के मन में संशय तो होगा ही। यही वजह है कि सरकार वैक्सीन लगवाने का टारगेट पूरा भी नहीं कर पाई।



Article : Manish Kumar Ankur



Note : यह आर्टिकल लेखक के निजी विचार हैं। सोर्स के मुताबिक ही आर्टिकल लिखा गया है।


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