उत्तरी कोरिया जो किसी ना किसी विवाद में फंसा रहता है। उत्तरी कोरिया का तानाशाह किम जोंग एक ऐसा तानाशाह जिसकी सनक के किस्से पूरी दुनिया में मशहूर हैं। अपने खुद के देशवासियों के लिए उसकी क्रूरता दिल दहला देती है। वो ऐसा तानाशाह है जो किसी पर रहम नहीं करता किसी को मौत की सजा देना उसके लिए मजाक है। उसके सामने जुबान खोलना मना है। अपनी सनक के लिए ये दुनिया भर में मशहूर है। जिसकी बदौलत दूसरे देशों को धमिकयां देना उनको खुली चुनौती देना इस सनकी को मज़ा आता है।
उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग की सनक की वजह से ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तरी कोरिया को चेतावनी दे है। दरअसल ट्रंप अपने 11 दिवसीय एशियाई दौरे के पहले पड़ाव के तहत रविवार को जापान पहुंच गए है। दो दिवसीय जापान दौरे पर पहुंचे ट्रंप का टोक्यो के पश्चिम में योकोता एयरबेस में भव्य स्वागत हुआ। यहा सेवाकर्मियों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने उत्तर कोरिया को अप्रत्यक्ष तौर पर आगाह किया। उन्होंने कहा कि किसी को भी, किसी भी तानाशाह, सरकार और राष्ट्र को अमेरिका के संकल्प को कम आंकना नहीं चाहिए। इस दौरान ट्रंप ने उन्हें दी गई सैन्य जैकेट पहन रखी थी।
उन्होंने कहा, पूर्व में उन्होंने हमें कम आंका। यह उनके लिए अच्छा नहीं रहा। हम अपने लोगों, आजादी और हमारे महान अमेरिकी ध्वज की रक्षा में कभी नहीं हारेंगे, कभी नहीं लडख़ड़ाएंगे और कभी हिम्मत नहीं हारेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के पहुंचने पर जापानी पीएम शिंजो आबे ने कहा, मैं राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भरोसे और दोस्ती के संबंधों पर आधारित जापान-अमेरिका गठबंधन को और मजबूत करना चाहता हूं। दक्षिण कोरिया के बाद ट्रंप चीन जाएंगे जहां वह शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे।
आपको बता दें कि रविवार को ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया के साथ जापान पहुंचे है। जापान दौरे के बाद ट्रंप सात नवंबर को दक्षिण कोरिया जाएंगे। ट्रंप दक्षिण कोरिया के बाद आठ नवंबर को चीन जाएंगे, जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। ट्रंप 10 से 11 नवंबर तक वियतनाम दौरे पर होंगे। इस दौरान वह डानांग में एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग सम्मेलन में शिरकत करेंगे और हनोई का भी दौरा करेंगे।
इसके बाद ट्रंप 12 से 13 नवंबर के बीच फिलीपींस की राजधानी मनीला में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के सम्मेलन में शामिल होंगे। इससे पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 1991 के अंत में और 1992 की शुरुआत में एशियाई देशों का सिलसिलेवार दौरा किया था।