अलगाववादियों ने कश्मीर को लेकर जो जो खुलासे किये हैं उन्हें सुनकर वाकई होश उड़ जाएंगे।
आपको बता दें कि भारतीय जांच एजेंसी एनआईए ने अलगाववादियों को पूंछताछ के लिए दिल्ली बुलाया हुआ है और उन्होंने ही लवने और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का खुलासा किया है।
कश्मीर में बढ़ रहे आतंकवाद और पत्थरबाजी से पूरे कश्मीर के हालात ख़राब हैं। पाकिस्तान का काम है कश्मीर में फंडिंग करना और अलगाववादियों का काम है उस फंडिंग से कश्मीर के छात्रों को भारतीय सेना के खिलाफ भड़काना और पत्थरबाजी करवाना।
पिछले साल कश्मीर में हिजबुल कमांडर बुरहान बानी की मौत के बाद घाटी के स्कूलों में आग लगाने और नौजवानों के हाथ में पत्थर के साथ पेट्रोल बम थमाने के लिए कुछ अलगाववादी तत्वों को खास फंडिंग की जा रही थी। नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को इस फंडिंग के मनी ट्रेल में कश्मीर में उपद्रव की पाकिस्तान की नई योजनाओं का खुलासा हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक इन अलगाववादियों को घाटी के कम से कम 5000 स्कूलों को जलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। संभवत इसका मकसद घाटी से आम परिवार को लड़कों को स्कूल से दूर रखना या पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर करना है।
सोमवार को एनआईए मुख्यालय में तीन अलगाववादियों की चली लंबी पूछताछ में यह साफ हो गया है कि बुरहान की मौत के बाद घाटी की आशांति स्वाभाविक नहीं थी बल्कि बड़ी चालाकी से रची गई साजिश का हिस्सा थी। इतना ही नहीं इस साल बर्फ पिघलने के बाद चल रहा हिंसा का दौर भी उसी योजना का विस्तार है। इसके लिए घाटी में मौजूद पाकिस्तानी तंत्र ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
सोमवार को एनआईए ने फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान और जावेद अहमद बाबा उर्फ गाजी से लंबी पूछताछ की। देर शाम तक यह पूछताछ जारी थी। एनआईए सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से सुराग मिल रहे हैं उनके आधार पर इनसे आने वाले दो तीन दिन तक पूछताछ की जाएगी।
एनआईए ने इन्हें कुछ खास बैंक एकाउंट और संपत्ति से संबंधित कागजात साथ लाने को कहा था। गौरतलब है कि इन तीनों ने एक स्टिंग ऑपरेशन में स्वीकारा है कि घाटी में उपद्रव के लिए इन्हें पैसे दिए जाते थे। एनआईए पहले भी इन तीनों से शुरुआती पूछताछ कर चुकी है।
अलगाववादी गुटों के साथ काम कर रहे चुनिंदा लोगों को खासी रकम
एक समाचार पत्र के हवाले से हुए इस खुलासे में यह भी पता चला है कि घाटी में सक्रिए आईएसआई के गुर्गे अलगाववादी गुटों के साथ काम कर रहे चुनिंदा लोगों को खासी रकम दिया करते हैं। सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में सुरक्षा तंत्र के फैले जाल को इस फंडिंग की जानकारी नहीं मिल पा रही थी।
गौरतलब है कि घाटी में 24265 सरकारी और करीब इतने ही निजी स्कूल हैं। सूत्रों ने बताया कि निजी स्कूलों की नेटवर्किंग में काफी जटिलता है और पाकिस्तान इसे ही स्कूलों को निशाना बनाने की कोशिश में है।
करीब 5000 ऐसे निजी स्कूल हैं जिनमें भर्ती छात्रों की संख्या सिर्फ 20 है। इसी तरह 4994 स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ 35 छात्र हैं जबकि करीब 1500 स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 के आसपास है। ऐसे निजी स्कूल एक या दो कमरों में चलाए जाते हैं। अब तक की पूछताछ के मुताबिक इन स्कूलों को निशाना बनाना आसान है। साथ ही स्कूल के जलने से भारत विरोधी प्रचार में अलगाववादियों को सफलता मिलती है।
हालांकि उपद्रवी अबतक सिर्फ 50 स्कूलों को ही नुकसान पहुंचा पाए। पेट्रोल बम की योजना में भी उन्हें बड़ी सफलता नहीं मिली। एनआईए सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में इस मामले में अहम खुलासे होंगे।