इसको ढोंग नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे। आस्था के नाम पर चल रहे इस खिलवाड़ में एक तरफ चिताएं जलती रहीं दूसरी और बार बालाएं ठुमके लगती रहीं और इन्ही सबके बीच वाराणसी के महाशमशानेश्वर मंदिर में संपन्न हुआ पूजा पाठ।
लोग ढोंग और दिखावे को भी धर्म का नाम दे देते हैं और ये हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्मों में है जहाँ धर्म के नाम पर जमकर ढोंग होता है और लोग भी इन ढोंगियों का जमकर लुफ्त उठाते नज़र आते हैं।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मणिकर्णिका यानी महाशमशान घाट पर चैत्र नवरात्र के मौके पर महाशमशानेश्वर मंदिर का श्रृंगार हुआ। बताया जा रहा है कि यह परम्परा 400 वर्षों से चली आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ संगीत महोत्सव का भी आयोजन किया गया जिसमें बार बालाओं ने जमकर ठुमके लगाये। बार बालाओं द्वारा परोसे जा रहे अश्लीलता का लुत्फ लोगों ने जमकर उठाया। एक तरफ महाश्मशानेश्वर की पूजा और जलती चिताएं थीं तो दूसरी तरफ अश्लीलता की पराकाष्ठा।
कहने वाले इस अश्लीलता को भी परम्परा के धागे में पीरोते नजर आये। इनकी माने तो बार बालाओं का नृत्य उनके अगले जन्म में मुक्ति के द्वार खोल देता है। हैरत की बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ। चैत्र नवरात्र के सप्तमी के दिन ये अश्लीलता हर साल परोसी जाती है, लेकिन प्रशासन जानकर भी अनजान बना रहता है।
खास बात यह है कि तीन दिवसीय श्मशान घाट पर रात मे चलने वाला संगीत महोत्सव मे बार बालाओं का डांस हर साल आयोजित होता है। काशी के महाशमशान घाट पर जहां रात-दिन चितायें जल रही होती हैं। वहीं, दूसरी ओर घाट पर ही बार-बालाओं का ठुमका भी रात भर चलता रहता है।
काशी के घाट पर सदियों पुरानी नगर वधू के डांस को देखने के लिए लोग काफी संख्या में मौजूद रहते हैं। इस नजारे को देखने के लिए दूर-दराज से भी लोग काशी के घाट पर आते हैं। जहां एक ओर चिताओ की ज्वाला तो वही दूसरी ओर बार बालाओं का डांस रात भर चलता है।
ठुमका लगाने वाली बार बालों के बारे मे मान्यता है कि अगर इस जन्म मे नगर बधू के रूप मे जन्म ली है तो दूसरे जन्म मे इन्हें बेटी के रूप मे जन्म मिलेगा। इसी मान्यता को पूरा करने के लिए हर साल इस तरह का आयोजन महाश्मशान घाट पर होता चला आ रहा है।
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