मातृत्व दिवस यानि मदर्स डे, अगर मदर्स डे को मातृत्व दिवस कहा जाए तो आजकी पीढ़ी के बहुत सारे युवाओं को ये समझ में नहीं आएगा इसीलिए यहाँ “मदर्स डे” कहना उचित होगा।
ये आजकी युवा पीढ़ी है जो हर चीज अपने मन की करती है, उसे न किसी फेस्टिवल से मतलब है ना किसी घरेलु चीज से, बस वो अपनी मस्ती में मग्न, अपने जीवन को अपने तरीके से जिए जा रहा हैं।
वैसे गलत भी नहीं है, हर किसी का जीवन उसका खुद का जीवन होता है फिर वो उसे अपनी शर्तों पर, अपने तरीके से क्यों ना जिए.. बिलकुल जीना चाहिए…।
लेकिन ठहरिये इस रेस में इतना भी तेज ना भागिए कि गिरने पर उठ ही ना पाओ… जरा सोचिये हम अपने इस दौड़ भाग वाले जीवन में कर क्या रहे हैं? हम भाग क्यों रहे हैं…? हम पैदा क्यों हुए थे..? हमें किसने बनाया था..? इन सब सवालों का जबाव.. उस माँ से पूँछिये जिसने आपको जन्म दिया.. वो माँ आपके हर सवाल का जबाव देगी और यकीन मानिए अगर आप अपनी जननी की बातों को ध्यान से सुनेंगे तो आप अपने जीवन का मकसद जान जायेंगे। क्योंकि माँ ही इस संसार का वो पहला गुरु है जो आपको कदम रखना सिखाता है, आपको हर अच्छाई बुराई से अवगत करवाता है, ये वो गुरु है जिसका आँचल जीवन को सार्थक बना देता है, चेहरे पर मुस्कान ला देता है।
मातृत्व दिवस पर डॉ स्वतन्त्र जैन द्वारा लिखे गए ये कीमती शब्द अगर आप दिल से पढ़कर अपने जीवन में उतार लेंगे तो आप अपना जीवन सफल बना लेंगे, आप हर मुश्किल को आसानी से पार कर जायेंगे क्योंकि डॉ स्वतन्त्र जैन के मुताबिक “माँ के आशीर्वाद” में वो शक्ति है जो यमराज को भी हरा दे।
* मातृत्व दिवस पर विशेष –
* चतुर्मुखी सनातन धर्म : पहला धर्म : मातृत्व धर्म –
हम जिस ईश्वर या परमेश्वर या भगवान या खुदा की कुछ पल से लेकर कुछ घंटे तक पूजा वंदना या इबादत करते हैं, उसे ही हम अपना धर्म मान लेते हैं,
लेकिन वह तो हमारे आस्था के केंद्र परमपिता परमेश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा तथा भक्ति की ही अभिव्यक्ति होती है.
इस तरह से मात्र कुछ मिनिट से लेकर एकाध घंटे के लिए हम हमारे आराध्य परमेश्वर की आराधना में डूब कर उन्हें अपनी श्रद्धा तथा भक्ति के सुमन चढ़ाते हैं.
आपने कभी सोचा है कि इस तरह मात्र अधिक से अधिक एक घंटे से ज्यादा यानी कि हमारे प्रति दिन के मात्र 5% समय में की गयी भगवान की पूजा से आप धार्मिक कैसे कहला सकते हैं?
सच्चाई तो यह है कि जिसका जिसका पालन हम हर पल, हर दम यानी कि प्रति दिन 24 घंटे करते रहते हैं, उसे ही हम हमारा धर्म मान सकते हैं.
तब क्या आप बाकी के 23 घंटे या अपने 95% समय में अधार्मिक हो जाते हैं?
आपका वही धर्म शाश्वत, सनातन, अजर, अमर तथा सुखदायक कहला सकता है, जो आपके
हर जन्म में हर समय, हर पल आपके साथ रहता है.
आप जानते ही हैं कि धर्म धृ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है – धारण करना.
अतः जो आप हो, ऐसे अपने चतुर्मुखी सनातन धर्म का प्रतिपादन करने वाले शाश्वत चैतन्य स्वरुप आत्मदेव को जानना, मानना और धारण करना ही सनातन धर्म कहलाता है.
आज हम आपके चैतन्य स्वभाव वाले चतुर्मुखी धर्म के पहले अंग मातृत्व धर्म पर चर्चा करते हैं –
मेरी जन्मदायनी माँ का मातृत्व धर्म मेरा पहला धर्म होता है.
मेरी माँ ही मुझे करुणामय ममत्व प्रदान कर अत्यंत वात्सल्य भाव से मेरा पोषण कर मुझे पोषण देती है.
मेरी माँ के ममत्व और वात्सल्य के संस्कार मुझे बताते हैं कि मेरे इस मातृत्व धर्म का पालन करने के लिए मुझे भी अपने परिवार का अच्छी तरह से भरण-पोषण करना चाहिए. अतः मेरा पहला धर्म तो मातृत्व धर्म या वात्सल्य धर्म होता है.
साथ ही मेरी माँ के बताये ममत्व और वात्सल्य भाव के संस्कार को गृहण कर मुझे अपने आसपास के सभी लोगो को अपने परिवार का अंग मानकर उनकी सहायता करना ही मेरा पहला मातृत्व धर्म है.
मातृत्व धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिससे प्रत्येक व्यक्ति या प्राणी का सबसे पहले परिचय होता है.
मातृत्व धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो अनादिकाल से है, अभी भी है और आगे आने वाले अनंत काल में भी रहेगा.
मातृत्व धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो देश, समय, समाज, सम्प्रदाय, आस्था, काल, पुनर्जन्म आदि की सभी सीमाओं के पार जाकर मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षी आदि में भी पाया जाता है.
अतः यह मातृत्व धर्म शाश्वत है, सनातन है, अजर है, अमर है, सुखदायक है.
अगर आप भी इस मातृत्व धर्म का पालन कर बेबस, बीमार, कमजोर, लाचार और दुखी लोगो को अपने परिवार का अंग मानकर उनकी मदद करते हैं, तो आप भी मातृत्व धर्म का पालन करते है.
आप किसी भी जाति, सम्प्रदाय या आस्था को मानने वाले हों, फिर भी आप मातृत्व धर्मी हैं और अनंत काल तक रहेंगे.
इसलिए आप भी मातृत्व धर्मी कहला सकते हैं. अगर ऐसा है, तो आप भी अब खुद को धर्मी ही मानें.
आपके वर्तमान के धर्म तो इस जन्म के साथ ही ख़त्म हो जायेंगे.
अतः आप उनका तो पालन करें ही, साथ ही शाश्वत, सनातन, अजर, अमर, सुखदायक चतुर्मुखी धर्मों का भी पालन करें, ताकि आप भी शाश्वत, सनातन, अजर, अमर होकर अक्षय अनंत सुख को पा सकें.
इस संसार के समस्त प्राणियों को कलियुग या पंचम काल के अंत तक स्वयं के शुद्ध आत्म-तत्व या चैतन्यदेव या चैतन्य सम्राट को प्रतिपादित करने वाले चतुर्मुखी सनातन धर्म का ज्ञान मिलता रहे,
चतुर्मुखी सनातन धर्म का पालन करने की प्रेरणा मिलती रहे,
इसके लिए सम्पूर्ण विश्व के हर कोने में समवशरण सेवा मंदिर बनाने की हमारी योजना है.
हमारे प्रस्तावित एक हजार आठ समवशरण सेवा मंदिरों में आपको इस चतुर्मुखी सनातन आत्म धर्म का इस युग के अंत तक सतत लाभ मिलता रहेगा.
अतः अब आप भी खुद को चतुर्मुखी सनातन धर्मी माने तथा इसके चारों अंग जैसे कि मातृत्व धारण, राष्ट्र धर्म, विश्व धर्म तथा आत्म धर्म का स्वरुप जानकार इस चतुर्मुखी सनातन धर्म का पालन करें.
फिर निश्चित ही आप अक्षय अनंत सुख की प्राप्ति कर मोक्ष महल में सदा के लिए निवास करेंगे.
अतः आज हमारा मातृत्व दिवस मनाना तभी सार्थक होगा, जब हम हमारी जननी के बताये इस मातृत्व धर्म का पालन करेंगे।
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डॉ स्वतंत्र जैन के जीवन मंत्र
ख़बर 24 एक्सप्रेस