
महाराष्ट्र में महाअघाड़ी यानी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद शिवसेना के बागियों ने भाजपा से हाथ जा मिलाया। मात्र 40 विधायक और मुख्यमंत्री का पद, शिवसेना के बागियों को भले मुंह मांगी कीमत मिल गई हो। लेकिन इस कीमत की कीमत भी तो बागियों को कहीं न कहीं चुकानी पड़ेगी। तभी तो 3 हफ्तों से ज्यादा का समय हो गया और अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है।
शिवसेना के 40 बागी और भाजपा के 106 विधायक 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए जरूरी आंकड़ा 146 का होता है लेकिन 1 विधायक के निधन के बाद यह आंकड़ा 145 हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि शिवसेना के बागी और भाजपा विधायकों को मिलाकर यह आंकड़ा हासिल भी हो गया है। ED (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस) की सरकार भी बन गई। लेकिन 3 हफ्तों से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक मंत्रियों के नाम तय नहीं किए जा सके हैं। मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बनें देवेंद्र फडणवीस के चेहरे पर वो तेज़ भी दिखाई नहीं दे रहा है। वहीं अपना सपना साकार होते देख एकनाथ शिंदे फूले नहीं समा रहे हैं लेकिन इन सबके बीच कहीं न कहीं भाजपा के अंदर एक टीस जरूर नजर आ रही है। भाजपा के नेता कुछ न बोल पा रहे हों लेकिन मुख्यमंत्री का पद जाने के बाद एक दर्द जरूर महसूस किया जा सकता है लेकिन थोड़ी राहत की बात यह है कि वो शिवसेना को तोड़ने व उद्धव ठाकरे सरकार को गिराने में कामयाब हो सके। बस यही सब्र की बात हो सकती है।
लेकिन, लेकिन कुछ भी हो इस गठबंधन को भाड़े का गठबंधन कहना गलत नहीं होगा। जिस दिन मंत्रिपरिषद का गठन होगा उस दिन असली कहानी निकलकर सामने आएगी।
अभी तो भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शनिवार को फणडवीस-शिंदे सरकार पर बड़ा बयान देकर अपना दर्द जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस की जगह शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को भारी मन से राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने दावा किया कि सही संदेश देने के लिए यह फैसला लिया गया था।
महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ा दल है। इसके बावजूद भाजपा ने 30 जून को शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी थी। यह फैसला सिर्फ विपक्षी ही नहीं, बल्कि खुद भाजपा नेताओं के लिए भी चौंकाने वाला था।
पाटिल ने कहा कि हमें एक ऐसे नेता की जरुरत थी, जो सही संदेश दे और स्थिरता सुनिश्चित करे। केंद्रीय नेतृत्व और देवेंद्र फणडवीस ने भारी मन से शिंदे को बतौर मुख्यमंत्री समर्थन देने का फैसला लिया। हम नाखुश थे, लेकिन फैसले को स्वीकार करने का निर्णय करना पड़ा।
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इस बीच उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। उन्होंने उद्धव को चेतावनी दी कि मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूं। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे अचानक मुख्यमंत्री नहीं बने, बल्कि यह पहले से हो तय था। राज्य में हिंदुत्व की विचारधारा वाली सरकार बनाने के लिए यह जरूरी था। फडणवीस ने पनवेल में पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में असली शिवसेना और भाजपा गठबंधन की हिंदुत्ववादी सरकार बनी है।
खैर हम तो यही कहेंगे कि अगर ऐसा है तो क्यों सरकार का गठन नहीं हो पा रहा है। मंत्रिपरिषद के बिना महज दो मंत्रियों की सरकार महाराष्ट्र में चल रही है। 3 हफ्तों से ज्यादा का समय हो गया इतने दिनों तक सिर्फ मंथन ही चल रहा है। अभी तक मंत्रियों के नामों पर निर्णय नहीं हो पाया है। अगर सब कुछ सही है तो सही दिखना भी चाहिए। ऐसे कितने दिनों तक चलता है यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि एक न एक दिन तो भाजपा को सरकार का गठन करना ही पड़ेगा।

मुंबई से खबर 24 एक्सप्रेस के लिए मनीष कुमार अंकुर की रिपोर्ट