पशु वध पर अपने विवादित बिल से केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गयी थी जिसकी वजह से इसको अब वापस लिया जा रहा है।
गोवा और नार्थईस्ट में इसको लेकर खासा विवाद हुआ था। यहां तक कि भाजपा के अंदर ही इस बिल को लेकर आवाजें उठने लगी थीं। मेघालय में तो बड़े स्तर पर बीजेपी नेताओं ने त्याग पत्र दे दिए थे। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर भी साफ कर चुके थे कि इस बिल को गोवा में नहीं माना जायेगा।
जिसके बाद विरोधियों ने सरकार को अपने निशाने पर ले लिया था और पहले खुद के घर देखने की सलाह भी दी थी।
अब जब सरकार इस बिल को लेकर लोगों के निशाने पर हैं तो इसको वापस लेने की तैयारी की जा रही है।
पर्यावरण और वन मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, पिछले हफ्ते इसके लिए कानून मंत्रालय को लिखा जा चुका है। बताया गया है कि सरकार उस नोटिफिकेशन को कुछ वजहों से दोबारा देखने के लिए वापस ले रही है।
एक अखबार की खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने इस नोटिफिकेशन के संबंध में बाकी राज्यों ने उनकी राय मांगी थी। केंद्र सरकार की इस नोटिफिकेशन पर काफी विवाद हुआ था, माना जा रहा था कि सरकार ने ऐसा अपनी पार्टी की विचारधारा से प्रेरित होकर किया है। उस दौरान गाय के नाम पर हिंसक घटनाएं भी सामने आ रही थीं।
सरकार जानवरों पर होने वाली क्रूरता की रोकथाम के लिए बने पशुधन बाजार नियम में बदलाव करना चाहती थी। नोटिफिकेशन में लिखा था कि अगर कोई शख्स पशु बाजार में मवेशियों का खरीदी-बिक्री करना चाहता है तो उसको लिखित में देना होगा कि उस मवेशी का वध नहीं किया जाएगा बल्कि वह किसानी में काम आएगा।
केरल, मेघायल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने खुलकर इस नोटिफिकेशन का विरोध किया था। किसान भी इसके विरोध में थे। मई के आखिर में मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर तमिलनाडु में इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी, फिर जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को पूरे भारत में लागू कर दिया था।