कभी-कभी नेता दिखावे के चक्कर में क्या-क्या नहीं बोल जाते हैं जिन्हें बाद में खुद भी समझ नही आता कि वो बोल क्या गए या उनके बोले का पब्लिक में रिएक्शन क्या होगा?
हम बात कर रहे हैं कवि से नेता बनें कुमार विश्वास की जो अभी अपने घर का मामला सुधार नही पा रहे हैं और दूसरों को बोल रहे हैं। और बोल भी ऐसे मुद्दे पर रहे हैं जो बहुत ही सेंसटिव है।
देश में हाल के दिनों में हुए भीड़ द्वारा हिंसा और लोगों को जान से मारने की घटनाओं पर प्रियंका गांधी वाड्रा के बयान पर आप नेता कुमार विश्वास ने पलटवार किया है। कुमार ने कहा, ‘ मौसमी नेताओं का खून मौसम और अपने लिए हितकर घटनाओं को देखकर ही खौलता है। 1984 के दंगों को लेकर प्रियंका का खून क्यों नहीं खौला?’
आपको बता दें कि कुमार विश्वास ने ट्रेन में जुनैद हत्याकांड, बिहार में बीफ ले जाने के शक में भीड़ का हमला, झारखंड में शक के आधार पर हत्या, कश्मीर में डीएसपी की हत्या आदि घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा था कि देश में लिंचिंग की घटनाओं को देखकर खून खौल उठता है।
ऐसे मुद्दे पर कुमार ने प्रियंका को जो जबाव दिया वो कहीं तक भी ठीक नही लगा या यूं कहें कि जबाव निंदनीय और बेहद शर्मनाक है।
कुमार विश्वास ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र में इतने वर्ष की आजादी के बाद सड़क पर इस तरह लोग समूह, जाति, धर्म और खाने पीने की पसंद के कारण मारे जाते हों, लेकिन राजनीतिक दलों का जो खून है वह मौसमी नेताओं का खून अपने लिए हितकर घटनाओं पर ही खौलता है।
अब ये बात कुमार को कौन बताए कि वो तो मौसमी नेता भी नही हैं। कुमार को कोई बताए कि प्रियंका ने जो बोला वो आजका मुद्दा है और कुमार 1984 की घटना से तुलना कर रहे हैं। ये टैब से तुलना कर रहे हैं जब कुमार शायद 10 साल के भी नही रहे होंगे।
अब आपको कुमार इतिहास के बारे में बताते हैं : –
कुमार का एक भाई विकास यूपी के बुलंदशहर में प्रोफेसर है जिसके बारे में ना जाने क्या-क्या बातें प्रचलित हैं उसके बारे में तो यहां तक भी कहा जाता है कि उनका भाई लड़कियों के पीछे पड़ा रहता था और उनको पीएचडी करवाने के लिए जोर डालता था इसके बाद उनका शोषण भी करता था, इस पर कुमार के भाई की कई बार पिटाई भी हुई। कुमार खुद को बड़े सोशल वर्कर समझते हैं।
खुद कुमार विश्वास पर भी ऐसे ही आरोप लगे हैं। कुमार पर अपनी ही पार्टी तोड़ने के आरोप लगे। उनकी पार्टी के नेताओं ने ही आरोप लगाए। कुमार पर गबन के भी आरोप लगे। कुमार पर टिकट बेचने के भी आरोप लगाए। कुमार पर भीड़ भड़काने के भी आरोप लगे।
अब तो कुमार के बारे में यहां तक कहा जा रहा है कि वो भाजपा के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं।
कुमार ने प्रियंका की जिस बात पर तंज कसा है इसे देखकर कहीं से भी नही लगता कि ये नेता बनने के लायक भी हो।
जो लोग आज हिंसा में मर रहे हैं क्या वो किसी के बच्चे नही हैं या वो इस देश के नागरिक नही हैं। क्या मरने वाले लोगों से किसी की भावनाएं नही जुड़ी हुई होंगी। कुमार ने 1984 की तुलना आजकी हिंसा से की। तो क्या कुमार की नज़र में वही 1984 की हिंसा आज भी चली आ रही है। जब कुमार कुछ भी बोलते हैं तो क्या किसी और को कहने का हक़ नही है? क्या कुमार को पहले अपने गिरेवान में नही झांकना चाहिए? या हो सकता है सभी नेता ऐसे ही होते हो.. या ऐसे सभी नेता अपने को दूध का धुला समझते हों।
कुमार ने ये कहते हुए कहा कि 1984 के घटनाओं पर भी प्रियंका का खून खौलना चाहिए था। गांधी परिवार का खून खौलना चाहिए था। विश्वास ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अभी प्रियंका गांधी जैसी मौसमी नेता का खून उबल रहा है। राहुल अभी-अभी नानी के घर से लौटे हैं। अब उनका भी खून खौलने लगेगा।
आप नेता ने तंज कसा, ‘दोनों भाई बहनों ने समय अंतराल बांट रखा है कि इनका जुलाई में खून खौलेगा उनका खून जून में खौलेगा।’
पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन पर साधा निशाना
विश्वास ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम ने बयान दिया था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है, तो उस समय भी खून खोलना चाहिए था। तब प्रियंका को कहना चाहिए था कि यह एक अजीब बयान है और देश सबके लिए समान है।
आप नेता विश्वास ने पीएम मोदी पर भी जुबानी हमले किए। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश में कानून की व्यवस्था जैसी है वह बड़े-बड़े आधी रात के कार्यक्रमों से, बड़े-बड़े जलसों से, बड़े-बड़े स्टूडियो में दिए गए प्रधानमंत्री के भाषणों से शायद पूरी नहीं हो पाएगी। अगर हम लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में नाकाम हो रहे हैं तो यह लोकतंत्र के लिए सोचने वाली बात है।
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मनीष कुमार
इससे बेहतर और उम्मदा जवाब नही हो सकता