“विदेशी निवेशकों के पलायन से भारतीय अर्थव्यवस्था पर खतरे की घंटी, सरकार और RBI एक्शन मोड में, 260 अरब डॉलर के वित्तीय सेक्टर में बड़े सुधार की तैयारी”
भारत की अर्थव्यवस्था पर विदेशी निवेशकों का भरोसा क्या डगमगा गया है? आंकड़े यही कहते हैं। इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से करीब 1.50 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। इतनी बड़ी पूंजी निकासी से सरकार और रिजर्व बैंक दोनों की नींद उड़ी हुई है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने साल 2025 के शुरुआती महीनों से लेकर अब तक करीब 17 अरब डॉलर (लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये) की बिकवाली की है। इससे भारतीय बाजार में अस्थिरता और रुपया दोनों पर दबाव बढ़ गया है।
क्यों नाराज़ हुए विदेशी निवेशक?
जानकारों का मानना है कि अमेरिका और यूरोप के सेंट्रल बैंकों द्वारा ब्याज दरें ऊंची बनाए रखने और टैरिफ बढ़ाने से भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकल रही है। निवेशक अब सुरक्षित बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं, घरेलू स्तर पर चुनावी अनिश्चितता, घटती कॉर्पोरेट कमाई और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने भी हालात को और बिगाड़ा है।
सरकार और RBI एक्शन में
विदेशी निवेशकों की इस नाराज़गी को दूर करने के लिए मोदी सरकार अब बड़े सुधारों की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले 6 से 12 महीनों में भारत अपने 260 अरब डॉलर के वित्तीय सेक्टर में कई नियमों को आसान करने जा रहा है। इसमें शामिल हैं:
- कंपनियों के लिए शेयर बाजार में लिस्टिंग की प्रक्रिया आसान करना
- विदेशी बैंकों को भारत में कारोबार बढ़ाने की छूट देना
- छोटे शहरों के निवेशकों को बाजार में भागीदारी के लिए प्रेरित करने की नई योजनाएं
इसके अलावा, बैंकिंग सेक्टर में पुराने नियमों को खत्म करने, और विलय प्रक्रियाओं को तेज करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
विदेशी पूंजी की निकासी से क्या खतरा?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रुझान जारी रहा, तो भारत की आर्थिक विकास दर, रुपया और रोजगार तीनों पर दबाव बढ़ सकता है। साल 2023 में भारत में जहां 20 अरब डॉलर का निवेश आया था, वहीं 2025 में उल्टा 17 अरब डॉलर बाहर चला गया। यानि भारत इस वक्त एशिया का सबसे ज़्यादा प्रभावित बाजार बन गया है।
चीन से बढ़ी प्रतिस्पर्धा
चीन ने भी हाल ही में विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए अपने स्टॉक और बॉन्ड मार्केट में कई छूट दी हैं। ऐसे में भारत का कदम भी उसी दिशा में माना जा रहा है यानी वैश्विक निवेशकों को फिर से आकर्षित करने की कोशिश।
आत्मनिर्भर भारत बनाम विदेशी पूंजी संकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार “आत्मनिर्भर भारत” की बात कर रहे हैं, लेकिन विदेशी पूंजी की भारी निकासी ने आर्थिक मजबूती की राह मुश्किल कर दी है। सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
और अंत में:
भारत सरकार का ये आर्थिक दांव सफल होगा या नहीं, ये आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि अगर विदेशी निवेशकों का भरोसा दोबारा नहीं जीता गया, तो भारतीय बाजार को झटके से उबरना मुश्किल हो सकता है।
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