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22 मार्च “जल दिवस” पर सत्यास्मि मिशन की ओर से सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज का जनसंदेश जल बचाओ, जीवन बचाओ

+आज 22 मार्च को जल दिवस है। जल हमारे जीवन का मुख्य स्रोत है। अगर जल नहीं तो जीवन नहीं। इंसान खाने के बिना काफी समय जिंदा रह सकता है मगर जल के बिना 24 घंटे काटने भी मुश्किल हो जाते हैं। हर कोई जानता है कि जल के बिना जीवन की कल्पना बेईमानी है। लेकिन हम खुद इस ओर नहीं सोचते। हम जल का बिना मतलब के भी दोहन करते हैं, उसका मुख्य कारण है जागरूकता। ज्ञान व जागरूकता की कमी की वजह से हम खुद मौत के मुहाने पर जा रहे हैं।

लोगों को पता तो है कि बिना जल के जीवन नहीं है लेकिन वो यह सोचकर इस तरफ गंभीर नहीं होते कि संसार में सबसे ज्यादा अगर कुछ है तो वो जल है।
जल है तो सही लेकिन कितना पीने योग्य है? यह भी जानना जरूरी है।

तो सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज इस बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। स्वामी जी कहते हैं कि हमारी पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है। 1.6 प्रतिशत पानी ज़मीन के नीचे है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है। पृथ्वी की सतह पर जो पानी है उसमें से 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है जो नमकीन है और पीने के काम नहीं आ सकता। केवल तीन प्रतिशत पानी पीने योग्य है जिसमें से 2.4 प्रतिशत ग्लेशियरों और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है और केवल 0.6 प्रतिशत पानी नदियों, झीलों और तालाबों में है जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है- मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल है, रक्त में 79 प्रतिशत जल है तथा फेफड़ों में लगभग 80 प्रतिशत जल होता है।
अब आप खुद सोचिए कि इस तरह हम मात्र 3% पानी को अपनी मूर्खता से बर्बाद कर देंगे तो पानी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। और इसके बाद हमारा…।
अब आप कहँगे कि गुरु जी कैसी बात कर रहे हैं। हमारे चारों ओर पानी ही पानी है तो आपको बता दूँ कि यमुना में जाकर देखिए, गंगा स्नान के लिए आप जाते होंगे। आपने रास्ते में नदियां भी देखी होंगी। कितना जल दिखता है?
और हम जिस जल का दोहन करते हैं वह नालों में चला जाता है जो किसी काम का नहीं होता। आप देखें कि जल प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां फैल रही हैं जान लेवा केंसर भी जल की वजह से लोगों में फैल रहा है और इन सबका कारण हैं हम खुद।

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तो 22 मार्च को सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी ने विश्व जल दिवस पर रचित कविता के माध्यम से विश्व जल दिवस उत्सव के विषय “अपशिष्ट जल” के उपयोग पर एक जनसंदेश देती उपदेशिक कविता है, की हमे कैसे अपनी ओर अपने भविष्य की पीढ़ी को जल संकट नहीं देना चाहिए,अन्यथा वो हमारे ही लोगो हमे इसके लिए सदा दोषी मानेगे,ओर जरा कल्पना करिए कि,यदि आपके सामनेही जल खत्म हो जाये,तब आपके सामने क्या समस्याएं होंगी,कल्पना तो करें और सोचे कि जल कितना महत्त्वपूर्ण है,हम सभी के लिए,चारो तरफ आप रोज पढ़ते ओर यात्रा करते वहां उन क्षेत्रों से गुजरते हुए देखते है,की लोग प्यास से मर रहे है,खेतों में जल और विशेषकर स्वच्छ उपयोगी जल नही मिलने और होने के कारण वहाँ अन्न नही हो पाने की वजह से लोग कितने कष्ट उठा रहे है,जब उन क्षेत्रों में आय का साधन खत्म होगा,तो वे आपके सम्पन्न क्षेत्रों में आएंगे,ओर वे आपके साधनों में हिस्सा मांगेंगे,परिणाम जनसंख्या बढ़ेगी और साधन कम होंगे और परस्पर वे वैमनस्य बढेगा ओर विद्रोह होगा,मारा मारी बढ़ेगी,अराजकता फैलेगी,जिसका बुरे से बुरा परिणाम हम सभी को झेलना पड़ेगा,यो अभी से इन सब बुरे परिणाम की कल्पना करके सावधान हो जाओ और तुरन्त उपाय अपनाओ की, जल बचाओ, इस कविता को ध्यान से पढो…

जल है तो आज कल है
जल बिन सब मल है।
जल से जीवन सब
जल बिन झरने नदी कल कल है।।
ना सूरज की छवि होगी
ना हवा जल बिन तरंग।
चाँद बिखरेगा चाँदनी कहाँ
सब जल बिन होंगे अरंग।।
हिमालय नही दर्शन होंगे
जल बिन नही समुंद्र।
जो होगा जल भी शेष कहीं
उस पर मचेगा मात्र क्रंद।।
जानों स्वच्छ मूल्य जल
और करो ना जल व्यर्थ।
लो उतना ही उपयोग में
जितना करो प्रयोगिक अर्थ।।
छोड़ो नही चला टँकी
ना देखो ऐसा होता।
तुरंत करो उस बंद जाकर
दो जल विहीन धरा न न्योता।।
जल स्वच्छ तो हम स्वच्छ
जल बिन होंगे काल के गाल।
बढ़ेगी गर्मी और और अब
जल बिन नित फैल रहा अकाल।।
जल हमारे शरीर में
है प्रतिशत और अधिक।
जल नही तो हम नही
स्वच्छ जल बिन बने स्वयं वधिक।।
आज जो जल पी रहे
वो शोधित नाम है विष।
और कब तक उसे शोधित करो
अंत में और बने झरेगा विष।।
विधुत भी जल से बने
शुद्ध जल ही धरा दे जीवन।
जल बचाओ व्यर्थ करे बिन
नहीं तो मरो दूषित जल पीवन।।
यदि स्थान हो घर बाहर
तो वहाँ लगाओं वृक्ष।
बना नाली पहुँचाओ उस
वृक्ष दूषित जल स्वच्छ करे कर भक्ष।।
और भरो बरसात जल
गांव शहर निज ताल।
सिंचाई में उपयोग करो
यूँ जल प्रदूषण मिटे हर साल।।
बचाओ बचाओ जल बचाओ
छेड़ो जल स्वच्छ्ता का अभियान।
अपनाओ और भेजो संदेश ये
विश्व अपशिष्ट जल दिवस का ज्ञान।।

+

सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
www.satyasmeemission.org

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