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Home / Breaking News / !!अंतर्राष्टीय एनीमेशन दिवस पर सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज की कविता!!

!!अंतर्राष्टीय एनीमेशन दिवस पर सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज की कविता!!

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इसके संछिप्त इतिहास के साथ साथ इसके सामाजिक प्रभाव को अपनी कविता के माध्यम से बता रहें है कि,,

28 October 2020 को अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन दिवस (IAD) के रुप में विश्व भर में मनाया जाता है। इस दिन एनीमेशन की कला का उत्सव मनाने के लिए विश्व भर के मुख्य विशिष्ट कार्यक्रम को एक क्रम देने का कार्य करता है। यह दिन एनिमेटेड फिल्मों सहित कलाकारों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को एनिमेटेड आर्ट के पीछे कोन है,इसे पहचानता है और मनाता व बताता है।

एनीमेशन का इतिहास:-

2002 में एसोसिएशन इंटरनेशनेल डु फिल्म डी एनिमेशन (ASIFA) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन दिवस घोषित किया गया था। यह दिन पेरिस में 1892 में एमिल रेनॉड के थिएटर ऑप्टीक के पहले सार्वजनिक प्रदर्शन की याद दिलाता है। 1895 में, लुमिनेयर भाइयों के सिनेमैटोग्राफ ने रेयनॉड के आविष्कार की खोज की और एमिल को दिवालिया कर दिया। एनीमेशन का उनका सार्वजनिक प्रदर्शन कैमरा-निर्मित फिल्मों का प्रदर्शन करने के साथ ही ऑप्टिकल मनोरंजन के इतिहास में प्रवेश किया।जो आजतक एक से एक अद्धभुत अलौकिक चमत्कृत प्रसिद्ध ऐश्वर्य देने और करने वाला फिल्मांकन कार्य क्षेत्र बन गया है।

एनिमेशन डे पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की कविता इस प्रकार से है कि,,,

मच गई हलचल चलचित्र जगत में
जीवित हो गए कीट पतंग।
मनुष्य की भाषा बोल परस्पर
अभिव्यक्त हाव भाव कर भरते उचंग।।
शेर चूहे बिल्ली गीदड़
ओर उपदेश देते भालू।
प्रेम उपेक्षा क्रोध व घृणा
को दर्शाते पेड़ फूल गाजर आलू।।
नर नारी ओर बाल रूप धर
पहाड़ पक्षी बादल हवा।
सभी अपने भाव उड़ेले
यहां तक बोले इग्जेक्शन दवा।।
गाड़ी चलाती हसीन गिलहरी
प्यार दर्शाते सुअर शालीन।
कुटिल चहरे गिद्ध लोमड़ी
षड़यंत्र रचाते कीड़े तल्लीन।।
शान से उड़ते चूम गगन को
लिपटते बिछुड़ते वस्त्र कालीन।
चिन्ह भी जीवित अर्थ दर्शाते
बर्तन चूल्हे भोजन सुगंध महीन।।
एनिमेशन कला के पर्दे
बची नहीं कोई वस्तु।
अष्ट विकार सुकार भाव सब
शब्द तक बोलते अस्तु।।
त्रिआयामी जगत खुल गए
जादुई माया अदृश्य संसार।
खोल दी खिड़की बुद्धि की
दे दिया सबको सम्पन्नता का व्यापार।।
आज इस कला को अपना रहे
दे रहे नई कल्पना बाल विहार।
साधन बना शिक्षा से नोकरी
धन प्रतिष्ठा संग है नए विचार।।
हाँ एक बदलाव हानिकारक आया
बाल पुस्तक खो गयी इनमें।
पर अच्छा पक्ष यही आज है
नए जीवंत चित्र संग बातें इनमें।।
यो एनिमेशन दिवस मनाओ
स्मरण करो इन जन्मदाता।
लुमिनेयर भाई धन्य तुम महनत
आज हर जीव पात्र तुम कारण हमसे नाता।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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