(कहां है शिवलिंग में स्त्री शक्ति?)
ओर क्या है असल मे शिवलिंग ओर उसका व्यर्थ का प्रचारित कुअर्थ जाने ओर स्त्री को अपनी आत्म उन्नति के लिये ये शिवलिंग यानी पुरुष लिंग यानी पुरुष के मूलाधार चक्र व पुरुष की कुंडलिनी जाग्रत शक्ति की पूजा का सच्चा अर्थ जानकर उसे त्याग कर अपने ही योनि जिसे श्रीभगपीठ कहते है यानी मूलाधार चक्र की जागृति को ध्यान साधना करनी चाहिए ओर अपनी कुंडलिनी जाग्रत करनी चाहिए, तभी उसको सच्ची शक्ति प्राप्त होक उसकी मुक्ति और आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति होगी,इस विषय पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी इस संछिप्त ओर परमज्ञानमयी कविता के माध्यम से जनसंदेश देते इस प्रकार से कहते है कि,,,
शिव पुरुष लिंग पुरुषत्व
शिव लिंग पुरुष अभिमान??
पुरुष अंडकोष को योनि कहें
शिवलिंग स्त्रितत्व कहां है ज्ञान??
ऊर्ध्व लिंग त्वचा मुड़े
जिसे मुस्लिम खतना करते?
उसे शिवलिंग त्रिपुंड कहें
क्या त्रिगुण पुरुष से झरते??
पार्वती कार्तिकेय ओर गणेश
बीच रख पूजे शिवलिंग?
निज पूजे योनि क्यों पार्वती
शिव पूजे नहीं शिवलिंग??
शिवलिंग दो प्रकार के
ब्रह्मचारी लिंग ओर ग्रहस्थ?
चीरा-बेचीरा लिंग पूजे
स्त्री मान दोनों में अस्त??
ज्योतिर्लिंग क्यों जल चढ़े
ज्ञान ज्योति क्यों बुझाये?
सम्भोग समय क्यों पूजकर
क्या वरदान श्राप भक्त पाएं??
शिव पिता के लिंग को
क्या पूज सके संतान?
माता योनि पूज कर
भक्त क्या पाएं सत ज्ञान??
पुरुष की पूजा त्याग दे
नवयुग है नारी उत्थान।
शिवलिंग त्याग “श्रीभग पूज”
यही नवरात्रि सत्यास्मि दे सतज्ञान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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