बता रहे है अपनी ज्ञानमयी कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,
श्री राम विजय रावण दशहरा।
धर्म अधर्म विजय दशहरा।।
दस महाविद्या सिद्ध था रावण।
जगत प्रसिद्ध नाम दशहरा रावण।।
अधर्म पंथ अनुयायी रावण।
नारी अपमान कुल नाश हुआ रावण।।
यही ज्ञान आज मानव सीखे।
अधर्म चाहे फलता हुआ दिखे।।
अंत नाश अवश्य सब होगा।
अधर्म कमाई असफल सब होगा।।
नारी अपमान करो ना मानव।
नारी अपमान बनाता दानव।।
भक्ति शक्ति चाहे सिद्धि पाओ।
नारी अपमान सदा नरक ही पाओ।।
संकल्प करें हम आज दशहरा।
धर्म विजय को बांधे सेहरा।।
नारी उत्थान सर्व दिशा करेंगे।
दशहरा सफल इस ज्ञान करेंगें।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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