नया साल आने में बस कुछ ही वक़्त शेष मानिए। नया साल जब आता है तो लागता है कि कुछ नया आ गया, नया मिल गया। या नया आने वाला है। लेकिन बीते पिछले सालों की तरह नया साल भी वैसा ही चला जाता है। लेकिन ये नया साल ऐसे नहीं जाएगा। इस नए साल में आपको नई खुशियां, खुशख़बरियाँ, नए मुकाम, सफलताएं ये सब जरूर हासिल होंगे बस थोड़ा सब्र रखिये और इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए, आर्टिकल को ही नहीं बल्कि स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की वीडियो भी देखिए जिसमें स्वामी जी बहुत कुछ बताते दिखेंगे।
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तो नया साल कैसे आपके जीवन में लेकर आएगा खुशियां? जानते हैं विधियां।
हर साल 1 जनवरी यानि साल के पहले दिन के मौके पर स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज एक महायज्ञ का आयोजन करते हैं। इस महायज्ञ के आयोजन का बड़ा महत्व होता है। भक्त दूर-दूर से इस अंखण्ड श्रीमहायज्ञ में शामिल होने आते हैं।
तो आइए सबसे पहले जानते हैं श्रीमहायज्ञ की महिमा, और साथ ही जानते हैं अंखण्ड श्री महायज्ञ का मतलब… :-
जब सारे जप-तप, ध्यान, दान सब निष्फल हो जाते हैं, तब यज्ञ ही सब प्रकार से रक्षा करता है। सृष्टि के आदिकाल से प्रचलित यज्ञ सबसे पुरानी पूजा पद्धति है। स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के अनुसार यज्ञ किसी के जीवन को सफल बनाने की ताकत रखता है। वेदों में अग्नि परमेश्वर के रूप में वंदनीय है। यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म माना गया है। समस्त भुवन का नाभि केंद्र यज्ञ ही है। यज्ञ की किरणों के माध्यम से संपूर्ण वातावरण पवित्र व देवगम बनता है। यज्ञ भगवान विष्णु का ही अपना स्वरूप है। वेदों का संदेश है कि शाश्वत सुख और समृद्धि की कामना करने वाले मनुष्य यज्ञ को अपना नित्य कर्तव्य अवश्य समझें। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवत गीता में अर्जुन से कहते हैं, हे अर्जुन! जो यज्ञ नहीं करते हैं, उनको परलोक तो दूर यह लोक भी प्राप्त नहीं होता है। जिन्हें स्वर्ग की कामना हो, जिन्हें जीवन में आगे बढ़ने की आकांक्षा हो उन्हें यज्ञ अवश्य करना चाहिए। यज्ञ कुंड से अग्नि की उठती हुई लपटें जीवन में ऊंचाई की तरह उठने की प्रेरणा देती हैं।
यज्ञ स्थान पर वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। नई ऊर्जा का संचार होता है। ध्यान मजबूत होता है। मन में शांति आ जाती है।
यज्ञ में बोले जाने वाले हर मंत्र में शरीर को झंकृत करने की अपार शक्ति होती है। परमपिता परमेश्वर से नाता जोड़ने का अनुपम माध्यम है यज्ञ। श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के अनुसार यज्ञ करने से, उसमें हिस्सा लेने से मनुष्य विद्वान बनता है, अपने आप सद्कर्म आने लगते हैं, परिवार में सुख-शांति सम्रद्धि का वास होने लगता है।
तो यह है यज्ञ की महिमा।
तो अब जानते हैं कि इस अंखण्ड श्री महायज्ञ का मतलब क्या है?
नयी साल के पहले दिन यानि 1 जनवरी 2019 दिन मंगलवार को सत्य ॐ सिद्धाश्रम में 19वें अंखण्ड श्रीमहायज्ञ का आयोजन होना है। हर साल पहली जनवरी को होने वाले इस महायज्ञ का आयोजन श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज करते हैं और इस महायज्ञ की महिमा बहुत बड़ी है। भारत के हर हिस्से से लोग इस महायज्ञ में हिस्सा लेने आते हैं। और नारियल की आहुति देकर जाते हैं। इस श्री महायज्ञ में हिस्सा लेने वाले भक्तों के दुःख दूर हो जाते हैं।
बुलंदशहर में कचहरी रोड़ पर स्थित सत्य ॐ सिद्धाश्रम है जिसे स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने स्थापित किया है। यही बगल में एक शानि भगवान का मंदिर भी है। स्वामी जी के इस आश्रम की महिमा बहुत बड़ी है। स्वामी जी के पास बड़ी संख्या में भक्त अपनी परेशानियों को लेकर आते हैं। खासतौर पर स्वामी जी के आश्रम में शनिवार और रविवार को 2 बजे से 6 बजे तक भक्तों का तांता लगता है। जो भी भक्त स्वामी जी के आश्रम में अपनी समस्या लेकर जाता है उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
जय सत्य ॐ सिद्धाय नमः
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Jay satya om siddhaye namah.. is maha yagya ki mahima aprampaar h