श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज हस्तरेखा विज्ञान के सातवें भाग में सूर्य पर्वत रेखा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं। हाथ में सूर्य पर्वत की यह स्थिति मालामाल कर देती है। इसके अलावा जीवन पर भी बहुत सारे प्रभाव डालती है।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज हस्तरेखा शास्त्र में सूर्य पर्वत के बारे में बता रहे हैं। आप सभी इसके अध्ययन से जानें अपनी आत्मा की स्थिति, पद, प्रतिष्ठा और जीवन सुख के बारे में : –
सूर्य यानि हमारे इस ब्रह्माण्ड की आत्मा का नाम है और उसकी शक्ति से ही सारे मुख्य 6 ग्रह चलते है, और ठीक वेसे ही मनुष्य की आत्मा भी सूर्य का ही स्वरूप है और उसके अनन्त जन्म से लेकर वर्तमान और भविष्य तक के सभी जन्म में कितनी शक्ति और भक्ति की प्राप्ति के लिए कितने गुण लेकर आया है और कैसे और कितना उसे इस जन्म में कर्म और उसके फल को प्राप्त होगा।ये विषय हमारे हाथ में सूर्य पर्वत की स्थिति केसी है,बताता है।उसे जानने से सभी कुछ जाना जा सकता है:-
हथेली पर पर्वतों की स्थिति अलग-अलग स्थानों पर बनती है। हथेली में गुरु पर्वत तर्जनी ऊँगली के नीचे, शनि मध्यमा के नीचे, सूर्य अनामिका के नीचे, बुध कनिष्ठा अँगुली के निचले हिस्से में रहते हैं, वहीं मंगल तर्जनी व अँगूठे के मध्य भाग, शुक्र पर्वत अँगूठे के नीचे, चंद्र पर्वत कनिष्ठिका अँगुली के नीचे व कलाई के ऊपर वाले भाग में स्थित है।
अनामिका अँगुली की जड़ में तथा हृदय रेखा के ऊपर का भाग सूर्य पर्वत कहलाता है। यदि सूर्य पर्वत साफ सुथरा होकर विकसित है, तो व्यक्ति को जीवन में सभी सफलता मिलती है। हाथ में सूर्य पर्वत का न होना व्यक्ति के लिए सामान्य व संघर्ष से भरा तथा उपेक्षित जीवन मिलता है।
सर्वकार्य सिद्धि योग-यदि चारो उंगलियो के या केवल तीन उंगलियों-मध्यमा,अनामिका और कंग की ऊँगली के बीच के पर्व या पोरवे या भाग में 2,2 और निचले भाग में एक एक खड़ी रेखा हो और सूर्य ऊँगली में चक्र हो,तो व्यक्ति जिस भी कार्य में हाथ डालता है,वही सिद्ध होता है।
सर्वतोमुखी प्रतिभा-सूर्य पर्वत पर 3 खड़ी रेखा हो,अनामिका ऊँगली पर चक्र और मस्तक रेखा अपने अंत में दो छोटी रेखा में बटी हो।या फिर ऐसा ही ह्रदय रेखा के अंत में हो।तो व्यक्ति में सर्व गुण सम्पन्न और उन्हें प्राप्ति की शक्ति होती है।
संगीतज्ञ- सूर्य पर्वत से कंग की ऊँगली के नीचे बुध पर्वत तक अर्द्ध चन्द्राकार रेखा यानि आधा चाँद सा बनाती जाये,तो व्यक्ति जन्मजात संगीतज्ञ होता है और सूर्य रेखा या पर्वत स्पष्ट हो तो,संगीत से प्रसिद्धि पाता है।
महान संत-सूर्य पर्वत पर ऊँगली की और रेखा से बना त्रिशूल हो और तर्जनी ऊँगली का पहला भाग लम्बा हो और ह्रदय रेखा गुरु पर्वत पर त्रिशूल बना रही हो और गुरु पर्वत पर एक व्रत रेखा हो,जो उच्च शक्ति सम्पन्न दीक्षा प्राप्ति की रेखा कहलाती है।यदि साथ में भाग्य रेखा के अंत में त्रिशूल बना हो या मणिबंध के ऊपर जहाँ जीवन रेखा समाप्त होती है,वहां खड़ी मत्स्य रेखा जैसा यव बना हो।या चन्द्र पर्वत से बुध पर्वत तक एक चन्द्राकार रेखा जा रही हो,ये रेखा अंतर्दृष्टि इंटीयूशन रेखा होती है।तो व्यक्ति सिद्धि सम्पन्न सिद्ध महात्मा या सिद्ध सन्त और महान व्यक्ति होता है।
संतान रेखा-सूर्य पर्वत पर स्पष्ट खड़ी एक या दो रेखा होनी भी उत्तम पुत्र या सन्तान की प्राप्ति बताती है या ब्रह्मचारी के हाथ में ये उत्तम शिष्य की प्राप्ति बताती है।
नोकरी-सूर्य पर्वत पर स्पष्ट खड़ी रेखा अवश्य सरकारी सर्विस या उत्तम प्राइवेट जॉब को देती है,साथ ही भाग्य रेखा भी अच्छी होनी चाहिए।और सूर्य ऊँगली पे चक्र हो।
सम्पत्ति मिलने में देरी-यदि सूर्य पर्वत पर नक्षत्र होने से व्यक्ति को उसके पिता या सम्पत्ति बहुत देर से मिलती है।
सम्बन्ध और साझेदारी-यदि सूर्य रेखा में कटाव हो या कोई बुध पर्वत से रेखा आकर काट रही हो,तो व्यक्ति के पार्टनर से व्यापार या जीवनसाथी या प्रेम में अन्य किसी योजना या सम्बंध के चलते, सम्बंध या साझीदारी टूट जाती है।
फ़क़ीरी या साधू जीवन-यदि सूर्य यानि अनामिका ऊँगली कंग की ऊँगली से थोड़ी सी बड़ी और तर्जनी ऊँगली से छोटी हो,सूर्य पर्वत सामान्य या रेखा रहित हो,तो व्यक्ति सामान्य जीवन बिताता है और साधू या फकीर बनकर यूँ ही भटकता फिरता है।
सामान्य जीवन-सूर्य ऊँगली और गुरु ऊँगली दोनों बराबर हो और अंगूठे का पहला भाग छोटा या कमजोर हो और भाग्य रेखा कमजोर या छोटी सी हो,तो व्यक्ति का संघर्षो में बने रहकर, जीवन सामान्य ही बीतता है।
नेता या सामजिक नेतृत्व-सूर्य ऊँगली के पहले पर्व यानि भाग पे नक्षत्र हो,और भाग्य रेखा अच्छी हो,तो प्रसिद्ध नेता बने या ऐसा ही तर्जनी ऊँगली पर हो तो,ऐसे कार्य में बहुत देर से लगे रहने पर अवश्य प्रसिद्धि और पद मिलता है।
साहित्य लेखन से प्रसिद्धि:-
सूर्य रेखा पर नक्षत्र हो और भाग्य रेखा से एक रेखा निकल कर बुध पर्वत की और जाये या फिर गुरु पर्वत पर साफ क्रॉस हो,तो उसे धर्म विषय लेखन से प्रसिद्धि मिलती है या इसके साथ जीवन रेखा के साथ साथ शुक्र पर्वत तक, एक साफ रेखा चले,जिसे शुक्र वलय कहते है,ये प्रेम और रसिक काव्य से प्रसिद्धि मिलती है।
जेल या लम्बी बीमारी या बदनामी:-
सूर्य रेखा के बीच में यव बने और ऊपर को जाते में सूर्य रेखा कमजोर हो तो ये योग बनते है।
सूर्य रेखा:- यदि ह्रदय रेखा या उससे ऊपर हो,तो भाग्य बड़े अवरोध के देर से सफलता अवश्य देता है।और ऊँगली के पोर पर चढ़ रही हो तो,अवश्य ही प्रसिद्धि मिलती है,या ये रेखा मस्तक रेखा से या करीब से शुरू हुयी हो या यहाँ तक आई हो तो,व्यक्ति अपने बौद्धिक कार्य,योजनाओं या वकालत या जज कार्य से प्रसिद्धि पाता है।यदि ये रेखा चन्द्र से चलकर सूर्य ऊँगली तक जाये,तो कल्पना जगत के लेखन या फ़िल्मी अभिनय में नयेपन यानि स्टाइल से बहुत प्रसिद्धि पाता है,या ये रेखा मस्तक रेखा के नीचे भाग्य रेखा के पास से चले,तो व्यक्ति केतु ग्रह के प्रभाव से योगी बनकर या योग विषय के लेखन से प्रसिद्धि पाता है या और कुछ हथेली के बाहर से राहु क्षेत्र से चले तो,साइंस में वैज्ञानिक और रहस्यवाद या इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र से या उसमें नोकरी से प्रसिद्धि पाता है।
यदि सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका हो और सूर्य रेखा ठीक हो तो, वह व्यक्ति एकांतप्रिय,चिंतन से आध्यात्मिक ज्ञान की गहराईयों को जीवन के 27 या 38 वे वर्ष में प्राप्त करके जनयश पाता है और सूर्य रेख कटी हो या नहीं हो तो,इस पर्वत का झुकाव उसे ऐसे कार्य में बार बार निराशा देता है,उसका ज्ञान व्यर्थ चला जाता है, एवं उसके पास सदैव धन की कमी बनी रहती है। ऐसे जातक एक कार्य को पूर्ण होने से पहले दूसरे कार्य में लग जाते हैं। इस वजह से दोनों कार्य पूरे नहीं होते। शनि की ओर झुका सूर्य पर्वत भाग्यहीनता की निशानी होती है।
हस्तरेखा विज्ञान (भाग-6) हाथ के अंगूठे से करें भविष्य का अध्ययन, और जाने जीवन की बहुत सारी बातें : श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
सूर्य पर्वत यदि बुध की ओर झुका हो तो बुधादित्य योग बनकर, ऐसा जातक सफल व्यापारी और धनवान होकर समाज में सम्मान पाता है। सूर्य पर्वत पर ज्यादा रेखाएँ व्यक्ति को सदा किसी न किसी बीमारी से बीमार बनाती है और दवाई चलती रहती है।
सूर्य पर्वत पर काला धब्बा या ऐसा तिल हो,तो व्यक्ति के जीवन में मित्र या विपरीत लिंगी के कारण और सम्पत्ति के हड़पने या गलत निर्णय करने,रिश्वत लेने आदि से बात खुलकर कलंक लगता है।
यहाँ पड़ी रेखा या सूर्य रेखा को काटती रेखा व्यक्ति के प्रमोशन को रोकती है और उसे एक्सिडेंट में हाथ में और संग में होने पर भाई को चोट आती है।
यहाँ त्रिभुज होने से उसमें जो भी प्रतिभा होती है,उसी से बहुत पुरुष्कृत और प्रसिद्धि मिलती है।
सूर्य पर्वत के नीचे ह्रदय रेखा कटी हो या उसपर यव बना हो,तो व्यवसायिक कारण से हार्ट अटेक और प्रेम सम्बन्ध के टूटने से बड़ी हानि होती है।
सूर्य रेखा सदा अकेली ही शुभ होती है,यहाँ दो या ज्यादा रेखाएं व्यक्ति की एकाग्रता और सब्जेक्ट या प्रतिभा को सदा बांटती होने से उसे उच्च लक्ष्य या सुख शांति नहीं देने देती और गृहस्थी सुख में सदा जीवनसाथी से मतभेद बने ही रहते है।साधना में मन की एकाग्र नही होक ध्यान और उसकी उच्चता को प्राप्त नही होने देगी।
सूर्य रेखा का नहीं होना-व्यक्ति की जीवन में जो कमाता है,उससे कम ही फल मिलता है और अंत में उसका कोई नाम नहीं रहता है।लोग उसके अहसान को जल्दी ही भूल जाते है।
सूर्य रेखा लहरदार हो तो-व्यक्ति के जीवन में कभी शांति और सुख नहीं मिलता,उसकी सन्तान और जीवनसाथी से या अधिकारी या उसके अधीनस्थ कार्य करने वाले लोगों से जरा जरा सी बातों पे विवाद होते है।जल्दी घर या पद या स्थानपरिवर्तन होते रहते है।और इसी के साथ यदि ये ऊँगली लम्बी हो तो,सट्टेबाजी जेसे काम से बड़ी धनहानि होती है।
उपाय:-मैने पहले सभी लेखो में बताया है की-वही यहाँ है की-सूर्य पर्वत को थोड़ी देर धीरे धीरे दबाये और अनामिका ऊँगली को सहलाये और अब सीधे बैठकर या कुर्सी पे या जहाँ थोडा समय मिले,इस सहलाये को स्मरण करते हुए मन ही मन गुरु मंत्र का जप या ॐ सूर्याय नमः का जप करते ध्यान करें,तो सूर्य से सबंधित सभी दोष मिटकर बड़ा ही अति शीघ्र लाभ मिलता है।
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अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं? घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
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श्री सत्यसाहिबस्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः