श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज समय- समय पर ऐसी चीजें बताते हैं जिसे कोई न तो बताता है और न ही उनका पूर्ण ज्ञान किताबों में मिलता है।
तो आइए जानते हैं इस चमत्कारी मनीप्लांट के बारे में।
मनीप्लांट पोधे के चमत्कारिक उपाय:-
मनी प्लांट, धन देता भी ही और लेता भी है, जानिए कैसे:-
ज्योतिष और वास्तु शास्त्रियों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि- घर में मनीप्लांट का पौधा लगाने पर धन का आगमन के साथ साथ ही सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। ऐसे अनेक कारणों के चलते लोग अपने घरों में मनीप्लांट का पौधा लगाते हैं।
साथ ही वास्तु शास्त्र के अनुसार यह पौधा घर में उचित दिशा में नहीं लगाया गया है तो-उस घर और परिवार के लोगो को पता भी नहीं चलेगा और धीरे धीरे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
ज्योतिषियों व् वास्तु शास्त्रियों का मानना है कि- मनीप्लांट के पौधे के घर में लगाने के लिए “आग्नेय दिशा” यानि घर के दक्षिण+पूर्व दिशा का स्थान सबसे उचित दिशा है। इस दिशा में यह पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का भी लाभ मिलता है।
मनीप्लांट को आग्नेय कोण यानी दक्षिण+पूर्व दिशा में लगाने का कारण यह है कि- इस दिशा के बुध ग्रह का वास होता है और बुध ग्रह की मूल देवता स्वयं बुध देवता और उनकी पत्नी इला देवी है,साथ इस दिशा के देवता गणेशजी और उनकी पत्नी देवी ऋद्धि और देवी सिद्धि भी हैं।और इस आग्नेय कोण के प्रतिनिधि शुक्र यानि दैत्य गुरु शुक्राचार्य हैं।
बुद्धदेव और उनकी पत्नी इला देवी सभी हरे रंग यानि प्रकति की हरियाली के इष्ट है और गणेश जी और ऋद्धि सिद्धि देवी सदा अमंगल का नाश करने वाले हैं, साथ ही शुक्रदेव यानि शुक्राचार्य और इनकी पत्नी उर्जस्वती सुख-समृद्धि लाने वाले इष्ट है। यही नहीं, बल्कि समस्त प्रकार की बेल और लता का अधिष्ठाता और कारण स्वामी शुक्र ग्रह को माना गया है। इसलिए मनीप्लांट को आग्नेय दिशा यानि दक्षिण+पूर्व में लगाना अधिक उचित और शुभकारी माना गया है।
वास्तुशास्त्र की चेतावनी:-
मनीप्लांट को घर में कभी भी ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं लगाना चाहिए।
यह दिशा मनीप्लांट के लिए सबसे नकारात्मक मानी गई है, क्योंकि ईशान दिशा का प्रतिनिधि देवगुरु बृहस्पति माना गया है और शुक्र यानि नीला और हरा रंग तथा बृहस्पति यानि पीला रंग में शत्रु जैसा संबंध होता है।
इसलिए शुक्र से संबंधित यह पौधा ईशान दिशा में होने पर नुकसान होता है। हालांकि ईशान कौण दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है।
मनीप्लांट को कभी पूर्व+पश्चिम दिशा में नहीं लगाना चाहिए,इससे आपके दाम्पत्य जीवन में प्रेम भंग होकर खटास बढ़ती जायेगी।
मनीप्लांट को कभी जमीन पर नहीं फैलने देना चाहिए,इससे आपका धन व्यर्थ के कार्यो में बरबाद होता रहेगा,जैसे कहते है की-इसका कमाया सारा पैसा जमीन पर ही फेल गया।
और अपने मनीप्लांट के पीले पत्तो को तुरन्त तोड़ लिया करें।वेसे तो प्रकति का नियम है की-प्रत्येक वस्तु या नए से पुरानी होकर नष्ट हो जाती है, मनीप्लांट के हरे पत्ते ही शुभ है,यो यदि पीले पत्ते बने रहे तो,आपके धन और सुख को भी जेसे दिया है वेसे ही लेते हुए सुखायेंगे।यो उन्हें तोड़ लिया करें।
और कभी कभी मनीप्लांट को सूर्य की धुप भी दिखा दिया करें।
ज्यादा पुराना मनीप्लांट हो जाने पर उसके निरन्तर मुरझाते रहने पर,उस मनीप्लांट को हटाकर नया मनीप्लांट को लगाएं।
शुक्रवार को मनीप्लांट का अचूक उपाय:-
भक्तों-मनी प्लांट से जुड़े इस उपाय को शुक्रवार के दिन करना है। मनी प्लांट के ऊपर थोड़े से पत्ते निकले हो और उससे कुछ नीचे के भाग में एक लाल रंग का रेशमी धागे की एक गांठ ही बांध दें।यदि रेशमी धाँगा नहीं मिले,तो फिर गहरे लाल रंग का कलावे की एक गांठ ही मार कर बंधे।इसका कारण है की-मनीप्लांट के आगे के भाग से जो व्यर्थ धन के जाने की सम्भावना होती है,वो ऐसा धाँगा बांधने से रुक जाती है, यो ऐसा करने से आपके घर में मनीप्लांट की ऊर्जा व्यर्थ नहीं बह कर, रुकने लगेगी और सकारात्मकता का प्रभाव बढ़ने लग जाएगा। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बढ़ने लगेगी।
दूसरा उपाय ऐसे करें:-
किसी भी शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर, नहा धोकर, मां लक्ष्मी की पूजा करें और घी का दीपक जलाएं। फिर लाल रंग का रेशमी या कलावे का धागा मां लक्ष्मी के पैरों में चढ़ाएं। इसके बाद कुमकुम लगाए। फिर मनी प्लांट के पास जाकर मां लक्ष्मी का ध्यान लगाकर मनी प्लांट की जड़ों में वह धागा लपेट दे। और आगामी बुधवार या शुक्रवार के दिन उस धागे को मनीप्लांट की जड़ से खोलकर अब अपने घर या व्यापार या दफ्तर के पूजाघर में या अपनी बैठने की मेज की दराज में या तिजोरी में रख दे। इसके कुछ समय बाद ही आपको मनवांछित कार्य में बढ़ोतरी और लक्ष्मी यानि धन की व्रद्धि होने का असर देखने को मिल जाएगा।अब इस उपाय को एक माह में एक बार ही कर सकते है।यदि फिर से करना है,तो आगामी शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार को फिर से ऐसे ही करके करें,तो फिर से आपको लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होगी और बुध और शुक्र देव की भी अनुकूल कृपा की प्राप्ति होगी।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः