भगवान शनिदेव के बारे में सभी जानते हैं, कुछ लोग इनके न्यायदाता और कर्मफल दाता होने के कारण इनकी दृष्टि से डरते हैं तो बहुत से लोग शनिदेव की अनंत भक्ति करते हैं। शनि भगवान जब अपने भक्तों के ऊपर कृपा की दृष्टि डालते हैं तो यकीन मानिए उस मनुष्य के सभी मार्ग खुलने शुरू हो जाते हैं और सफलता दर सफलता मिलनी शुरू हो जाती है। शनि भगवान की दृष्टि हर किसी मनुष्य पर एक बार जरूर पड़ती है और यह कभी भी बुरी नहीं होती है बल्कि कुछ ऐसा फल देकर जाती है जो जिंदगी का सबसे बड़ा ज्ञान या सबसे बड़ी शिक्षा होती है।
शनिदेव की महिमा अपरंपार है। हम आज एक ऐसे ही मंदिर की बात करने जा रहे हैं जहाँ दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते हैं, सभी कष्टों का निवारण होता है।
यह मंदिर है यूपी के बुलंदशहर में। इस मंदिर का निर्माण श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी माहारज ने करवाया था। इसके पीछे भी एक बड़ा चमत्कार है इसकी चर्चा भी हम करेंगे लेकिन फिलहाल आपको इस मंदिर की विशेषताएं और चमत्कारों के बारे में बता दें।
इस मंदिर में शनिदेव अपने गुरु, परम मित्र और सभी मित्र ग्रहों के साथ मौजूद हैं। यह एक ऐसा अकेला मंदिर हैं जहाँ महिला पुजारी भी हैं।
इस मंदिर में पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है, इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की परेशानियां दूर हो जाती है। लोगों को मनवांछित फल मिलता है।
श्री शनिदेव भगवान के जन्मोत्सव की पूरी यात्रा नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करने पर देखें
आपको बता दें कि भगवान सत्यशनि सिद्ध पीठ मन्दिर बुलन्दशहर में कचहरी रोड पर स्थित है।
यहाँ पर जल रही सरसो के तेल की अखण्ड ज्योति से लिए तेल के उपयोग से कैसे करें असाध्य रोगों को ठीक… और किसी भी विकट संकट हो या न्याय से सम्बंधित कोई भी असाध्य समस्या.. उसके तुरन्त ठीक और अनुकूल होने का चमत्कारी उपाय :-
शनिवार के दिन अपने घर से स्नान करके बुलन्दशहर जिले के सबसे प्राचीन भगवान सत्य शनिदेव सिद्ध पीठ मन्दिर कचहरी रोड पर जाये,यो अवश्य नीचे लिखा शनि कृपा का चमत्कारी उपाय का अनगिनत लोगों को मनवांछित लाभ मिला है और आपको भी मिलेगा,ये अनुभुत प्रयोग है और यदि आप यहां नहीं आ सकते है तो,कोई बात नहीं भगवान शनिदेव सभी जगहां कृपा करेंगे, इस उपाय के करने से!!
आप अपने शहर कस्बे के भगवान शनिदेव मन्दिर के जाये और वहां पुजारी जी से अपने असाध्य रोग या संकट के विषय में अपनी प्रार्थना कहें,तब उनकी आज्ञा से ही वहाँ जल रही अंखड ज्योति को “ॐ शं शनि ज्योत नमः स्वाहा” से 8 बार नमन करें और शनि ज्योति से अपने रोग की शांति के लिए प्रार्थना करें,तब आप शनि ज्योत को देखें,तो यदि वो शांति से जल रही है,तो अवश्य आप पर शीघ्र कृपा होगी और यदि वो बड़ी जोर से लहक रही है या इधर उधर हिल रही है,तो अभी आपके संकट या समस्या या रोग के निदान में शनिदेव देर से कृपा करेंगे।ये सब दिव्य संकेत होते है,जिन्हें लोग नजरअंदाज कर देते है या हंसी में उड़ा देते है की-अजी हां भला कहीं ऐसा भी होता है, ये ठीक आपके शरीर के अंग फड़कने जैसा ही शुभ और अशुभ संकेत और सन्देश होता है।जो जाने वो ही निदान कर अपना और औरों का भी कल्याण कर सकता है,यो इन बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
अब उस जल रही ज्योति के दीपक में पड़े सरसों के तेल को यदि पुजारी जी देना चाहे तो ठीक है,अन्यथा उस जल रही ज्योत को आपकी इस तरहां ऊँगली बाजी से बुझने का और शनिदेव के कोप का भी भयंकर डर है,यो बुझाए बिना ही अपनी मध्यमा यानि बीच की ऊँगली को डुबो कर, जो भी बीच की ऊँगली पे तेल लग जाये,उसे ही अपने साथ लाये एक कटोरी में डाल ले,ध्यान रहे केवल ऐसा एक बार ही करें,ये नहीं की-ऊँगली को बार बार दीपक में डाले।और अब जो जरा सा तेल कटोरी में आ जाये उसे तो ले ही ले और जो आपकी ऊँगली में लगा रह जाये,उसे अपने आज्ञा चक्र जहाँ स्त्री बिंदी लगती है,जरा सा तिलक वहाँ लगाये,और बाकि अपने सिर से पोछ ले और अपने हाथ पैर में लगा ले।अब बस यही से शनिदेव की कृपा चमत्कार आपके जीवन में शुरू हो जायेगा,अब उस तेल की कटौरी को अपने पूजाघर में लेजाकर ढककर रख दे और रोज के स्नान के बाद उस कटोरी से सीधे हाथ की मध्यमा यानि बीच की ऊँगली से अपने आज्ञा चक्र माथे के बीच लगते हुए शनिदेव का महामंत्र 8 बार ही पढ़े-“”ॐ शं शनैश्चराय नमः””!!और अपने काम पर जाये।अथवा जिन्हें असाध्य रोग हो,उन्हें अपने माथे पे लगाने के बाद उस रोग के स्थान पर लगाना चाहिए और मानो रोग सारे शरीर में हो या गुप्त स्थान पे हो,तो यही तेल स्नान करने के बाद कपड़े पहनने से पहले अपने शरीर पर दोनों हाथ में लेकर रगड़ कर उसे सारे शरीर पे शनिदेव का मंत्र जपते हुए मल ले,यानि ध्यान रहे की- केवल तेल का हल्का सा स्पर्श ही देना है,ना की तेल चुपड़ ही डाले।ये केवल अपने शरीर पर शनिकर्पा आशीष लेने जैसा है बस।अब अपने कपड़े पहनों और रोगी हो तो आराम करो और किसी काम पर जाना है,तो अपने काम पर जाओ।
वेसे इस प्रयोग को रोगी को रात्रि में भी एक बार और करना चाहिए।यदि रोगी नहीं कर सकता है,तो उसका कोई भी परिजन ये काम कर सकता है और वो ऐसा करके अपना हाथ धो ले।वेसे तो शनिवार से शनिवार तक ही रोग में शांति आ जायेगी और यदि नहीं आये तो केवल एक बार ही और करें।इसके बाद नहीं करें।ये इतने से ही शनिदेव की कृपा चमत्कार हो जाना है।शनिदेव के प्रति आपकी श्रद्धा और विश्वास मुख्य है,तब कम भी है,तो अवश्य ही कृपा होगी।
विशेष:-
भगवान शनि मन्दिर के दानपात्र में अवश्य ही दान डालकर आये और दीपक जलाकर साथ ही प्रसाद भी बांटे।और वहाँ तेल अवश्य चढ़ा कर आये।ये नहीं की तेल ले तो आये, पर तेल देकर नहीं आये।।
!!जय जय शनिदेव हितकारी!!
!!सुन लीजिये प्रभु अरज हमारी!!
!!कृपा हम पर अपनी कीजिये!!
!!सब संकट को तुम हर लीजिये!!
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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