जम्मू कश्मीर में सरकार की कमजोरी का फायदा उठाते आतंकी कुछ न कुछ ऐसी हरकत कर जाते हैं जिससे कि सेना के जवान इसका शिकार हो जाते हैं।
लेकिन राज्य की सरकार आतंकियों पर नकेल कसने में नाकाम रहती है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने सैकड़ों पत्थरबाजों को माफ कर दिया था। इसके अलावा आतंकियों की मदद करने वाले दोषियों पर भी सरकार नरम रुख दिखाती रही है।
इसके अलावा अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर की सरकार ने एक मेजर पर एफआईआर करवाकर आतंकवादियों के ही हौसले बुलंद करने का काम किया था जिसकी वजह से आतंकवादी खुलेआम स्थानीय लोगों की मदद से सेना पर हमला करने में कामयाब हो जाते हैं।
इसी की बानगी है कि आतंकवादी जम्मू के रिहायशी इलाके सुंजवां में स्थित सेना के कैंप पर हमला करने में कामयाब तो रहे लेकिन सेना ने इस हमले को ज्यादा सफल नहीं होने दिया। हमले में एक जेसीओ समेत दो जवान शहीद हो गए हैं। सेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में दो आतंकियों के मारे जाने की खबर आ रही है हालांकि इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। शहीद जवानों की पहचान मदनलाल और मोहम्मद अशरफ के तौर पर हुई है। आतंकियों की फायरिंग में एक हवलदार की बेटी की भी मौत हो गई है। जबकि तीन जवान समेत कुल आठ लोग घायल बताए जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक शनिवार सुबह तीन से चार आतंकी जम्मू से सटे सुंजवान स्थित सेना के कैंप में घुस गए। जम्मू-कश्मीर पुलिस आईजी एसडी सिंह जांवाल ने बताया कि गेट पर तैनात संतरी ने सुबह के अंधेरे में कुछ संदिग्ध हरकत देखी। जिसके बाद उसने आवाज लगाई।
आतंकियों ने संतरी के बंकर पर फायरिंग शुरू कर दी और दो ग्रुप में बंटकर कैंप के अंदर घुस गए। कैंप में सेना के परिवारों के लिए बनाए गए फ्लैट में जाकर आतंकी छिप गए। आतंकियों के खात्मे के लिए कम से कम सौ से ज्यादा राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने मोर्चा संभाल रखा है।
आतंकियों को खोजने के लिए ड्रोन के साथ-साथ हेलिकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है। सेना के कैंप के ऊपर तीन हेलिकॉप्टर लगातर मंडरा रहे हैं। जिस जगह आतंकी छिपे हैं, वहां बॉल कैमरे को फेंककर भी जानकारी हासिल की जा रही है।
इस हमले में सबसे पहला घेरा सेना का है, इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस की एसओजी तैनात की गई है। हमले के बाद पूरे शहर में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। साथ ही चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। कैंप के अंदर फायरिंग लगातार जारी है।
आतंकियों के खात्मे के लिए पैरा कमांडो ने भी मोर्चा संभाला है। पैरा कमांडो को आसमान के रास्ते आतंकियों के छिपे होने की जगह पर एयरलिफ्ट किया गया है। माना जा रहा है कि पहले सेना ने इस ऑपरेशन को खुद करने का फैसला लिया था, लेकिन अब उन्होंने वायुसेना की मदद ली है।
उधमपुर और सरसावा से पैरा कमांडो बुलाए गए हैं। बेहद ही खतरनाक हथियारों से लैस ये पैरा कमांडो आतंकियों को मौत के घाट उतारने के लिए हेलिकॉप्टर से रस्सी के जरिए नीचे आए। कैंप के अंदर मौजूद जवानों के परिवार वालों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरा ऑपरेशन पैरा कमांडो को सौंपा गया है। जिस फ्लैट में आतंकी छिपे हैं, उन्हें पैरा कमांडो उड़ा भी सकते हैं।
सुंजवां स्थित सेना के कैंप के भीतर लगभग 4000 फैमिली क्वार्टर बने हुए हैं जिनमें मौके से 3000 परिवार के होने की बात सामने आरही है। सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने पिछले पांच घंटों से कोई फायरिंग नहीं की है जिससे उनकी सटीक जानकारी मिलना मुश्किल हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इस हमले के पीछे जैश के आतंकियों का हाथ हो सकता है। हालांकि इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इस हमले में जम्मू के अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्यों के हाथ होने की खबरें भी आ रही है।
गृह मंत्रालय ने घटनाक्रम पर बनाई नजर
गृह मंत्रालय इस पूरी घटना के पीछे लगातार नजर बनाए हुए है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने डीजीपी से हमले के बारे में जानकारी ली है। हमले के बाद घटनास्थल से पांच सौ मीटर दूरी तक के सभी स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही आगाह किया था कि आतंकी अफजल गुरु की पांचवीं बरसी पर आतंकी कोई बड़ा आत्मघाती हमला कर सकते हैं। बावजूद इसके सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे।
गौरतलब है कि श्रीनगर में आतंकी नवीद के फरार होने के बाद से ही आतंकी अपने नापाक मंसूबों को घाटी में अंजाम नहीं दे सके और उन्हें जम्मू का रूख करना पड़ा। सूत्रों से 26 जनवरी के पहले ही इस बात के इनपुट मिले थे कि जम्मू के अंदर तीन से चार जैश के आतंकी मौजूद हैं, जो किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं।