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तो माननीय नहीं कर पाएंगे लालबत्ती का इस्तेमाल


लाल बत्ती लगाए कार जब आपके पास से गुजरती थी तो ऐसा लगता था जैसे वो आपको चिढ़ा कर जा रही हो। बहुत से छुटभैये नेता जब लालबत्ती का इस्तेमाल शुरू कर दिए थे तब ऐसा ही लगता था कि वो अपने रुतबे से और गलत तरीकों से हमें चिढ़ा रहा हो लेकिन अब शायद ऐसा नहीं हो।
केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को वीवीआईपी कल्चर को खत्म करने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने लाल बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का फैसला ले लिया है। कैबिनेट ने बुधवार को यह फैसला करते हुए केंद्रीय मंत्रियों, अफसरों के वाहनों पर लाल बत्ती लगाने पर बैन लगा दिया है।

1 मई से अब सिर्फ 5 लोग ही लाल बत्ती का इस्तेमाल कर पाएंगे। यह फैसला एक मई को मजदूर दिवस के दिन से लागू होगा। वहीं, सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि लाल बत्ती की इजाजत प्रधानमंत्री को भी नहीं होगी। इसके अलावा, यह फैसला राज्य सरकारों पर भी लागू होगा। गडकरी ने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी पर लगी लाल बत्ती को हटा दिया है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, महेश शर्मा, विजय गोयल के साथ ही महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपनी कार से लाल बत्ती हटवा दी।

बिहार के नवादा से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को जैसे ही इस फैसले के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने अपनी गाड़ी से खुद ही लाल बत्ती हटा दी। बिहार के शेखपुरा के बरबीघा दौरे पर गए सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का यह फैसला स्वागतयोग्य है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि सिर्फ इमरजेंसी गाडिय़ों को नीली बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत होगी। बता दें कि काफी वक्त से सडक़ परिवहन मंत्रालय में इस पर काम चल रहा था। इससे पहले, पीएमओ न इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में करीब डेढ़ साल से लंबित था। इस दौरान पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रेटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी।

सडक़ परिवहन मंत्रालय ने लाल बत्ती वाली गाडिय़ों के इस्तेमाल के मुद्दे पर कई वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने पीएमओ को कई विकल्प दिए थे। इन विकल्पों में एक यह था कि लाल बत्तियों वाली गाड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जाए। दूसरा विकल्प यह कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इन 5 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हैं। माना जा रहा है कि दूसरे विकल्प को मंजूरी दी गई है।

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