Manish Kumar Ankur | Exclusive Report: मध्यप्रदेश की राजनीति में इस वक्त हालात बेहद गर्म हैं। राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में सिर्फ एक ही चर्चा है – क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव अब अपनी कुर्सी गंवाने वाले हैं? सूत्रों से मिल रही बड़ी जानकारी के अनुसार, भाजपा हाईकमान ने राज्य में सत्ता परिवर्तन को लेकर मन बना लिया है और जल्द ही एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
भाजपा के अंदर बढ़ती नाराजगी और सियासी खींचतान
मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने अभी 2 साल से भी कम हुए हैं, लेकिन पार्टी के भीतर उनके कामकाज को लेकर नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। कई वरिष्ठ नेता खुले तौर पर असंतोष जता चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, आलाकमान को लगातार रिपोर्ट मिल रही हैं कि जमीनी स्तर पर सरकार का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं है। यही वजह है कि पार्टी अब अगला विधानसभा चुनाव किसी और चेहरे के साथ लड़ने की तैयारी कर रही है।

ओबीसी आरक्षण पर घिरती सरकार
मोहन यादव सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ओबीसी आरक्षण का मुद्दा बन गया है। ओबीसी वर्ग की राजनीतिक पकड़ मध्यप्रदेश में बेहद अहम मानी जाती है, लेकिन आरक्षण को लेकर बढ़ते विरोध और असंतोष ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्टी के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद साफ दिखने लगे हैं। कई नेता मानते हैं कि अगर समय रहते कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले चुनावों में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
शिवराज सिंह चौहान पर फिर से भरोसा
ऐसे में भाजपा एक बार फिर अपने सबसे अनुभवी और लोकप्रिय चेहरे शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा जताने की तैयारी में है। शिवराज न सिर्फ संगठन के भीतर मजबूत पकड़ रखते हैं बल्कि जनता के बीच भी उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है। यही वजह है कि पार्टी एक बार फिर उन्हें सत्ता की कमान सौंपकर आगामी चुनावों में जीत का रास्ता आसान बनाना चाहती है।
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मोहन यादव का इस्तीफा अब बस औपचारिकता भर रह गया है। जैसे ही आलाकमान हरी झंडी देगा, सत्ता परिवर्तन की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है।
मध्यप्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर तय
अगर शिवराज सिंह चौहान की वापसी होती है, तो यह न सिर्फ भाजपा बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। विपक्ष भी इस सियासी हलचल पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। कांग्रेस के नेता पहले ही मोहन यादव सरकार को कमजोर और अनुभवहीन बता चुके हैं। ऐसे में सत्ता परिवर्तन भाजपा के लिए चुनावी रणनीति का मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
आने वाले कुछ दिन होंगे निर्णायक
अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इस्तीफे और नए मुख्यमंत्री की घोषणा कब होती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला मध्यप्रदेश के सियासी भविष्य को पूरी तरह बदल देगा। भाजपा के लिए यह एक जोखिम भरा लेकिन जरूरी कदम है, जो उसे अगले विधानसभा चुनाव में फायदा दिला सकता है।
और अंत में…
मोहन यादव का इस्तीफा और शिवराज सिंह चौहान की वापसी, दोनों ही घटनाएं अब लगभग तय मानी जा रही हैं। आने वाले कुछ दिन मध्यप्रदेश की राजनीति में इतिहास लिख सकते हैं। अगर यह सियासी समीकरण सच साबित होते हैं, तो राज्य की सत्ता में फिर से एक बार ‘मामा’ की एंट्री होना तय है।
Exclusive Report : Manish Kumar Ankur
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